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Rajasthan : चंद्रयान 3 मिशन का हिस्सा रही राजस्थान की बेटी, सेंसर बनाने में दिया अहम योगदान

चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रचा है. राजस्थान की बेटी भी इस मिशन का हिस्सा रहीं हैं. डिडवाना-कुचामन जिले की सुनीता खोखर ने सेंसर बनाने में अहम भूमिका निभाई है, जिसपर विधायक चेतन डूडी ने उन्हें बधाई दी है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 23, 2023, 9:58 PM IST

Rajasthan Sunita Part of Chandrayaan 3 Mission
राजस्थान की सुनीता चंद्रयान 3 मिशन का हिस्सा
राजस्थान की सुनीता चंद्रयान 3 मिशन का हिस्सा.

डीडवाना-कुचामन. राजस्थान के डीडवाना-कुचानव जिले के ग्राम डाकिपुरा की बेटी सुनीता खोखर चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा बनी हैं. उन्होंने सेंसर बनाने में अहम भूमिका निभाई है, जिसपर विधायक चेतन डूडी ने उन्हें फोन पर बधाई दी है. उन्होंने सुनीता को राजस्थान का गौरव बताया है.

छोटे से गांव में जन्मी सुनीता : सुनीता के ताऊ भागीरथ राम ने बताया कि सुनीता खोखर का जन्म डीडवाना उपखंड के ग्राम डाकीपुरा में 20 जुलाई 1993 को हुआ था. सुनीता के माता-पिता साधारण किसान परिवार से हैं और अपने गांव में ही खेती बाड़ी का काम करते हैं. सुनीता ने कक्षा 1 से लेकर 8वीं तक अपने गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ाई थी. इसके बाद उन्होंने गांव से निकलकर उच्च शिक्षा हासिल की. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने इसरो में जाने की तैयारी की. पहले साल उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन दूसरी बार ज्यादा मेहनत कर वह इसरो में जाने में सफल हुईं. 2 मई 2017 को अहमदाबाद अंतरिक्ष उपयोग केंद्र में ज्वाइन किया और आज चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा बनकर डीडवाना का मान बढ़ाया है.

पढ़ें. भारत ने रचा इतिहास ! चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग... सीएम गहलोत, वसुंधरा, ओम बिरला समेत इन नेताओं ने दी बधाई

चंद्रयान का सेंसर बनाया सुनीता खोखर ने : भारत देश के सपने, गौरव और विश्वास को साथ लेकर चंद्रयान-3 गत 14 जुलाई को चंद्रमा के लिए रवाना हुआ था. इसरो के इस मिशन में राजस्थान की सुनीता खोखर भी हिस्सा रहीं, जिन्होंने सेंसर बनाने में अहम भूमिका निभाई. चंद्रयान-3 में सेंसर का मुख्य कार्य चंद्रयान की गति और ऊंचाई बताने का है. सारे प्रोग्राम सेंसर के माध्यम से ही बनते हैं. इसी के जरिए सारी सूचनाएं इसरो के वैज्ञानिकों को प्राप्त होती हैं.

भारत ने रचा इतिहास : चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल बुधवार को सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतर गया. शाम को 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की. इस सफलता के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया.

राजस्थान की सुनीता चंद्रयान 3 मिशन का हिस्सा.

डीडवाना-कुचामन. राजस्थान के डीडवाना-कुचानव जिले के ग्राम डाकिपुरा की बेटी सुनीता खोखर चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा बनी हैं. उन्होंने सेंसर बनाने में अहम भूमिका निभाई है, जिसपर विधायक चेतन डूडी ने उन्हें फोन पर बधाई दी है. उन्होंने सुनीता को राजस्थान का गौरव बताया है.

छोटे से गांव में जन्मी सुनीता : सुनीता के ताऊ भागीरथ राम ने बताया कि सुनीता खोखर का जन्म डीडवाना उपखंड के ग्राम डाकीपुरा में 20 जुलाई 1993 को हुआ था. सुनीता के माता-पिता साधारण किसान परिवार से हैं और अपने गांव में ही खेती बाड़ी का काम करते हैं. सुनीता ने कक्षा 1 से लेकर 8वीं तक अपने गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ाई थी. इसके बाद उन्होंने गांव से निकलकर उच्च शिक्षा हासिल की. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने इसरो में जाने की तैयारी की. पहले साल उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन दूसरी बार ज्यादा मेहनत कर वह इसरो में जाने में सफल हुईं. 2 मई 2017 को अहमदाबाद अंतरिक्ष उपयोग केंद्र में ज्वाइन किया और आज चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा बनकर डीडवाना का मान बढ़ाया है.

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चंद्रयान का सेंसर बनाया सुनीता खोखर ने : भारत देश के सपने, गौरव और विश्वास को साथ लेकर चंद्रयान-3 गत 14 जुलाई को चंद्रमा के लिए रवाना हुआ था. इसरो के इस मिशन में राजस्थान की सुनीता खोखर भी हिस्सा रहीं, जिन्होंने सेंसर बनाने में अहम भूमिका निभाई. चंद्रयान-3 में सेंसर का मुख्य कार्य चंद्रयान की गति और ऊंचाई बताने का है. सारे प्रोग्राम सेंसर के माध्यम से ही बनते हैं. इसी के जरिए सारी सूचनाएं इसरो के वैज्ञानिकों को प्राप्त होती हैं.

भारत ने रचा इतिहास : चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल बुधवार को सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतर गया. शाम को 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की. इस सफलता के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया.

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