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चंद्रयान-3 मिशन में हिस्सा बने चंडीगढ़ के वैज्ञानिक निखिल आनंद, ऐसा रहा जिला बार एसोसिएशन से इसरो तक का सफर

इसरो वैज्ञानिकों की जिस टीम ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग कर इतिहास रचा है. उनकी टीम में चंडीगढ़ के निखिल आनंद भी शामिल रहे. जानें उनके इसरो तक का सफर.

chandigarh scientist nikhil anand
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 24, 2023, 3:10 PM IST

चंडीगढ़: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है. इसरो वैज्ञानिकों की जिस टीम ने ये इतिहास रचा है. उनकी टीम में चंडीगढ़ के निखिल आनंद भी शामिल रहे. चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग होते ही निखिल के घर बधाइयों का तांता लग गया. चंडीगढ़ के रहने वाले निखिल जिला बार एसोसिएशन (डीबीए) के नामांकित सदस्य थे.

ये भी पढ़ें- ISRO बड़े मिशन पर अगले महीने से काम करेगा, कई अन्य प्रोजेक्ट्स की बना रहा योजना

निखिल एक वकील के रूप में अपनी प्रैक्टिस शुरू कर पाते, इससे पहले दिसंबर 2021 में उनका चयन इसरो के लिए हो गया. तभी से वो चंद्रयान-3 के लिए वैज्ञानिकों के साथ काम कर रहे थे. चंद्रयान-3 मिशन सफल होने के बाद से चंडीगढ़ सेक्टर 42 में निखिल के घर पर जश्न का माहौल है. निखिल के पिता चंडीगढ़ जिला अदालत में वकील हैं. उनके पिता लल्लन ठाकुर ने बताया कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद उसकी मां ने निखिल को फोन किया.

उन्होंने बताया कि इसरो सेंटर में फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है. इसलिए उन्होंने सिर्फ दो मिनट ही निखिल से फोन पर बात की. उन्होंने बताया कि हम दोनों ने निखिल को मिशन की सफलता पर बधाई दी. निखिल की मां संगीता कुमारी हरियाणा के महालेखाकार कार्यालय में एएओ (सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी) के पद पर तैयान हैं, जबकि उनकी बहन शिखा शालिनी चंडीगढ़ में पश्चिमी कमान में एएओ के रूप में काम करती हैं.

निखिल के पिता लल्लन ठाकुर ने बताया कि पूरे परिवार को निखिल पर गर्व है कि वो इसरो की ऐतिहासिक टीम का हिस्सा बना. ये हमारे परिवार के लिए एक यादगार समय है. लल्लन ने बताया कि निखिल 12वीं कक्षा पास करने के बाद, मैकेनिकल चीजों से संबंधित करियर में जाने के लिए अधिक उत्सुक था. निखिल ने सेक्टर 35 के सरकारी मॉडल स्कूल से 10वीं कक्षा और सेक्टर 40 के सरकारी मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 12वीं कक्षा पास की.

ये भी पढ़ें- Chandrayaan- 3 : ...जब अंबाला की बहू आरुषि ने दुनिया को बताया- चांद पर उतरा भारत का चंद्रयान- 3, खुशी से झूम उठे लोग

निखिल के पिता के मुताबिक उसने मोहाली में चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से बीटेक की और सहारनपुर के लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की. बाद में निखिल ने पीईसी (पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज) से एमटेक किया. निखिल ने पीईसी से एमटेक की पढ़ाई शुरू की. अपने पहले सेमेस्टर के बाद, उसका चयन इसरो में वैज्ञानिक के रूप में हो गया. बाद में, अनुमति के साथ उसने एमटेक पूरा किया.

चंडीगढ़: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है. इसरो वैज्ञानिकों की जिस टीम ने ये इतिहास रचा है. उनकी टीम में चंडीगढ़ के निखिल आनंद भी शामिल रहे. चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग होते ही निखिल के घर बधाइयों का तांता लग गया. चंडीगढ़ के रहने वाले निखिल जिला बार एसोसिएशन (डीबीए) के नामांकित सदस्य थे.

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निखिल एक वकील के रूप में अपनी प्रैक्टिस शुरू कर पाते, इससे पहले दिसंबर 2021 में उनका चयन इसरो के लिए हो गया. तभी से वो चंद्रयान-3 के लिए वैज्ञानिकों के साथ काम कर रहे थे. चंद्रयान-3 मिशन सफल होने के बाद से चंडीगढ़ सेक्टर 42 में निखिल के घर पर जश्न का माहौल है. निखिल के पिता चंडीगढ़ जिला अदालत में वकील हैं. उनके पिता लल्लन ठाकुर ने बताया कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद उसकी मां ने निखिल को फोन किया.

उन्होंने बताया कि इसरो सेंटर में फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है. इसलिए उन्होंने सिर्फ दो मिनट ही निखिल से फोन पर बात की. उन्होंने बताया कि हम दोनों ने निखिल को मिशन की सफलता पर बधाई दी. निखिल की मां संगीता कुमारी हरियाणा के महालेखाकार कार्यालय में एएओ (सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी) के पद पर तैयान हैं, जबकि उनकी बहन शिखा शालिनी चंडीगढ़ में पश्चिमी कमान में एएओ के रूप में काम करती हैं.

निखिल के पिता लल्लन ठाकुर ने बताया कि पूरे परिवार को निखिल पर गर्व है कि वो इसरो की ऐतिहासिक टीम का हिस्सा बना. ये हमारे परिवार के लिए एक यादगार समय है. लल्लन ने बताया कि निखिल 12वीं कक्षा पास करने के बाद, मैकेनिकल चीजों से संबंधित करियर में जाने के लिए अधिक उत्सुक था. निखिल ने सेक्टर 35 के सरकारी मॉडल स्कूल से 10वीं कक्षा और सेक्टर 40 के सरकारी मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 12वीं कक्षा पास की.

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निखिल के पिता के मुताबिक उसने मोहाली में चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से बीटेक की और सहारनपुर के लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की. बाद में निखिल ने पीईसी (पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज) से एमटेक किया. निखिल ने पीईसी से एमटेक की पढ़ाई शुरू की. अपने पहले सेमेस्टर के बाद, उसका चयन इसरो में वैज्ञानिक के रूप में हो गया. बाद में, अनुमति के साथ उसने एमटेक पूरा किया.

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