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गांव में सेवा नहीं देना चाहते डॉक्टर, जानें वजह

देश में आज भी ज्यादातर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर नहीं किया जा सका है. साथ ही डॉक्टर भी ऐसे इलाकों में नहीं (lack of doctors in rural areas) जाना चाहते. इसके पीछे क्या कारण है, इसको लेकर चंडीगढ़ पीजीआई (chandigarh PGI) के प्रोफेसर सोनू गोयल ने एक शोध किया.

चंडीगढ़ पीजीआई
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Published : Dec 7, 2021, 7:12 AM IST

चंडीगढ़ : केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई गई, लेकिन आज तक इन इलाकों में अच्छी स्वास्थ्य सेवाएंं उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है. लोगों को इलाज के लिए आसपास के शहरों में जाना ही पड़ता है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि चिकित्सक ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में पोस्टिंग नहीं कराना चाहते हैं. इसे लेकर चंडीगढ़ पीजीआई (chandigarh PGI) के प्रोफेसर सोनू गोयल ने शोध (research on rural area doctor shortage) किया.

इस शोध को करने में उन्हें कई साल लगे, लेकिन इस शोध के माध्यम से कई ऐसे कारण सामने आए जिस वजह से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में चिकित्सक नहीं जाना चाहते और वहां पर स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर नहीं हो पाती हैं. इस शोध के लिए प्रो. सोनू गोयल को हाल ही में राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया है.

प्रो. सोनू गोयल ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि हमने इस शोध के लिए उन्होंने हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के चिकित्सकों से बात की. प्रो. गोयल ने चिकित्सकों से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में वे पोस्टिंग नहीं कराने की वजह जाननी चाही, जिससे उन इलाकों में जाने के लिए चिकित्सकों को प्रेरित किया जा सके.

चंडीगढ़ PGI के प्रोफेसर की रिसर्च में हुआ खुलासा

चिकित्सकों का कहना था कि जब हमें ऐसे इलाकों में भेजा जाता है, तब उन इलाकों में हमें ऐसा माहौल मिलता है जिसमें न तो लोगों का इलाज सही तरीके से किया जा सकता है और न ही एक डॉक्टर चिकित्सा जगत में नई रिसर्च द्वारा अपना योगदान दे पाता है. उन चिकित्सकों का कहना था कि इन इलाकों में डॉक्टरों की पोस्टिंग तो होती है, लेकिन उन्हें लोगों के इलाज के लिए न तो पर्याप्त दवाइयां मिलती हैं और न ही उपकरण मिलते हैं. यहां तक कि ऐसे इलाकों में शोध करने का कोई अवसर भी प्राप्त नहीं होता है. इसलिए चिकित्सक ऐसे माहौल में नहीं जाना चाहते हैं.

इसके अलावा वे अपने परिवार के बारे में भी सोचते हैं, क्योंकि शहर से दूर जाने पर अगर वह अपने परिवार को साथ लेकर जाते हैं तो उनके साथ जाने वाले पति या पत्नी के लिए वहां पर काम करने का कोई विकल्प नहीं होता है. ऐसे इलाकों में यातायात के भी पर्याप्त साधन नहीं होते हैं. हर माता-पिता बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा चाहता हैं, लेकिन ऐसे इलाकों में बच्चों के लिए अच्छे स्कूल नहीं होते हैं. इन कारणों से भी चिकित्सक बाहरी इलाकों में नहीं जाना चाहते.

ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवा
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवा

पढ़ें : गाजियाबाद: मिर्गी दिवस पर लाइव डेमो देखकर जानिए कैसे बचाएं मरीज की जान

चिकित्सकों का यह भी कहना था कि अगर वे वहां पर लोगों का इलाज करने के लिए चले भी जाएं, तब भी उन्हें सरकार से इतना मेहनताना नहीं मिलता, जितना दूसरे बड़े अस्पतालों में डॉक्टरों को दिया जाता है. तो फिर ऐसे में भी अपना परिवार और अपने करियर को छोड़कर इन इलाकों में क्यों जाएंगे.

हालांकि, कुछ ऐसे भी कारण थे जो उन्हें ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में जाने के लिए प्रेरित करते हैं. जिनके बारे में चिकित्सकों ने कहा कि जब ऐसे इलाकों में जाकर लोगों का इलाज करते हैं तो लोग बहुत खुश होते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं, जो एक खुशी प्रदान करने वाली बात है. इसके अलावा इन इलाकों में कई बार ऐसी बीमारियां देखी जाती हैं जो शहरों में आमतौर पर देखने को नहीं मिलती. ये ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से चिकित्सक इन इलाकों में चले जाते हैं.

ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य केंद्र
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य केंद्र

प्रो. गोयल ने बताया कि भारत में चिकित्सकों की काफी कमी है, तो वहीं, ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में इनकी संख्या अत्यंत चिंताजनक (lack of doctors in rural areas) है. डब्ल्यूएचओ (World Health Organisation-WHO) के अनुसार, 1000 लोगों के लिए एक चिकित्सक उपलब्ध होना चाहिए, लेकिन भारत में इस समय 1700 लोगों के पीछे एक डॉक्टर है. अगर हम ग्रामीण इलाकों की बात करें तो करीब 2700 लोगों के लिए एक चिकित्सक (rural area doctor shortage) है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत में उनकी संख्या कितनी कम है और लोगों को पर्याप्त चिकित्सीय सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.

अगर, हमें इन इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करना है, तो चिकित्सकों को भी सुविधाएं देनी होंगी. अगर कोई चिकित्सक पिछड़े इलाकों में जाता है तो सरकार को उनके बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी उठानी चाहिए.

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीण इलाकों में नियुक्त चिकित्सकों तथा उनके परिवार के लिए सुविधाएं करायी हैं. सरकार उनके बच्चों को अच्छे स्कूलों में शिक्षा दिलवा रही है.

ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवा
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवा

डॉक्टरों को सम्मानजनक सैलरी और इंसेंटिव भी मिलना चाहिए. अगर सरकार ये सोचती है कि कम सैलरी और बिना इंसेंटिव के चिकित्सक वहां काम कर सकते हैं तो यह सही नहीं है. लोगों की सेवा के लिए अगर चिकित्सक इस तरह के इलाकों में जा रहा है, तो सरकार को भी उनका ध्यान रखना चाहिए.

इसके अलावा सरकार को स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में सुविधाएं भी मुहैया करानी चाहिए. अगर एक सर्जन को उन इलाकों में भेजा जा रहा है तो उसे ऑपरेशन के सभी उपकरण और एक अच्छा ऑपरेशन थिएटर भी मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदारी है. तभी वह लोगों का इलाज कर पाएगा. इसके अलावा ऐसे लोगों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

सरकार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के उत्थान के लिए काम करना चाहिए. इन स्वास्थ्य केंद्रों में सभी सुविधाएं मौजूद होनी चाहिए ताकि चिकित्सक अच्छे तरीके से लोगों का इलाज कर सके और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सके.

चंडीगढ़ : केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई गई, लेकिन आज तक इन इलाकों में अच्छी स्वास्थ्य सेवाएंं उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है. लोगों को इलाज के लिए आसपास के शहरों में जाना ही पड़ता है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि चिकित्सक ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में पोस्टिंग नहीं कराना चाहते हैं. इसे लेकर चंडीगढ़ पीजीआई (chandigarh PGI) के प्रोफेसर सोनू गोयल ने शोध (research on rural area doctor shortage) किया.

इस शोध को करने में उन्हें कई साल लगे, लेकिन इस शोध के माध्यम से कई ऐसे कारण सामने आए जिस वजह से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में चिकित्सक नहीं जाना चाहते और वहां पर स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर नहीं हो पाती हैं. इस शोध के लिए प्रो. सोनू गोयल को हाल ही में राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया है.

प्रो. सोनू गोयल ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि हमने इस शोध के लिए उन्होंने हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के चिकित्सकों से बात की. प्रो. गोयल ने चिकित्सकों से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में वे पोस्टिंग नहीं कराने की वजह जाननी चाही, जिससे उन इलाकों में जाने के लिए चिकित्सकों को प्रेरित किया जा सके.

चंडीगढ़ PGI के प्रोफेसर की रिसर्च में हुआ खुलासा

चिकित्सकों का कहना था कि जब हमें ऐसे इलाकों में भेजा जाता है, तब उन इलाकों में हमें ऐसा माहौल मिलता है जिसमें न तो लोगों का इलाज सही तरीके से किया जा सकता है और न ही एक डॉक्टर चिकित्सा जगत में नई रिसर्च द्वारा अपना योगदान दे पाता है. उन चिकित्सकों का कहना था कि इन इलाकों में डॉक्टरों की पोस्टिंग तो होती है, लेकिन उन्हें लोगों के इलाज के लिए न तो पर्याप्त दवाइयां मिलती हैं और न ही उपकरण मिलते हैं. यहां तक कि ऐसे इलाकों में शोध करने का कोई अवसर भी प्राप्त नहीं होता है. इसलिए चिकित्सक ऐसे माहौल में नहीं जाना चाहते हैं.

इसके अलावा वे अपने परिवार के बारे में भी सोचते हैं, क्योंकि शहर से दूर जाने पर अगर वह अपने परिवार को साथ लेकर जाते हैं तो उनके साथ जाने वाले पति या पत्नी के लिए वहां पर काम करने का कोई विकल्प नहीं होता है. ऐसे इलाकों में यातायात के भी पर्याप्त साधन नहीं होते हैं. हर माता-पिता बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा चाहता हैं, लेकिन ऐसे इलाकों में बच्चों के लिए अच्छे स्कूल नहीं होते हैं. इन कारणों से भी चिकित्सक बाहरी इलाकों में नहीं जाना चाहते.

ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवा
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवा

पढ़ें : गाजियाबाद: मिर्गी दिवस पर लाइव डेमो देखकर जानिए कैसे बचाएं मरीज की जान

चिकित्सकों का यह भी कहना था कि अगर वे वहां पर लोगों का इलाज करने के लिए चले भी जाएं, तब भी उन्हें सरकार से इतना मेहनताना नहीं मिलता, जितना दूसरे बड़े अस्पतालों में डॉक्टरों को दिया जाता है. तो फिर ऐसे में भी अपना परिवार और अपने करियर को छोड़कर इन इलाकों में क्यों जाएंगे.

हालांकि, कुछ ऐसे भी कारण थे जो उन्हें ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में जाने के लिए प्रेरित करते हैं. जिनके बारे में चिकित्सकों ने कहा कि जब ऐसे इलाकों में जाकर लोगों का इलाज करते हैं तो लोग बहुत खुश होते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं, जो एक खुशी प्रदान करने वाली बात है. इसके अलावा इन इलाकों में कई बार ऐसी बीमारियां देखी जाती हैं जो शहरों में आमतौर पर देखने को नहीं मिलती. ये ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से चिकित्सक इन इलाकों में चले जाते हैं.

ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य केंद्र
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य केंद्र

प्रो. गोयल ने बताया कि भारत में चिकित्सकों की काफी कमी है, तो वहीं, ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में इनकी संख्या अत्यंत चिंताजनक (lack of doctors in rural areas) है. डब्ल्यूएचओ (World Health Organisation-WHO) के अनुसार, 1000 लोगों के लिए एक चिकित्सक उपलब्ध होना चाहिए, लेकिन भारत में इस समय 1700 लोगों के पीछे एक डॉक्टर है. अगर हम ग्रामीण इलाकों की बात करें तो करीब 2700 लोगों के लिए एक चिकित्सक (rural area doctor shortage) है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत में उनकी संख्या कितनी कम है और लोगों को पर्याप्त चिकित्सीय सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.

अगर, हमें इन इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करना है, तो चिकित्सकों को भी सुविधाएं देनी होंगी. अगर कोई चिकित्सक पिछड़े इलाकों में जाता है तो सरकार को उनके बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी उठानी चाहिए.

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीण इलाकों में नियुक्त चिकित्सकों तथा उनके परिवार के लिए सुविधाएं करायी हैं. सरकार उनके बच्चों को अच्छे स्कूलों में शिक्षा दिलवा रही है.

ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवा
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवा

डॉक्टरों को सम्मानजनक सैलरी और इंसेंटिव भी मिलना चाहिए. अगर सरकार ये सोचती है कि कम सैलरी और बिना इंसेंटिव के चिकित्सक वहां काम कर सकते हैं तो यह सही नहीं है. लोगों की सेवा के लिए अगर चिकित्सक इस तरह के इलाकों में जा रहा है, तो सरकार को भी उनका ध्यान रखना चाहिए.

इसके अलावा सरकार को स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में सुविधाएं भी मुहैया करानी चाहिए. अगर एक सर्जन को उन इलाकों में भेजा जा रहा है तो उसे ऑपरेशन के सभी उपकरण और एक अच्छा ऑपरेशन थिएटर भी मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदारी है. तभी वह लोगों का इलाज कर पाएगा. इसके अलावा ऐसे लोगों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

सरकार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के उत्थान के लिए काम करना चाहिए. इन स्वास्थ्य केंद्रों में सभी सुविधाएं मौजूद होनी चाहिए ताकि चिकित्सक अच्छे तरीके से लोगों का इलाज कर सके और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सके.

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