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भारत की यूरेशिया तक पहुंच के लिए चाबहार बंदरगाह महत्वपूर्ण : विशेषज्ञ

चाबहार बंदरगाह भारत को न केवल इंडो-पैसिफिक, बल्कि यूरेशिया से भी जोड़ता है, जहां भारत एक स्वीकार्य योग्य साझेदार रहा है. यह भारत की रणनीतिक और क्षेत्रीय विस्तार के बारे में भी महत्तवपूर्ण है. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी से खास बातचीत में अंतरराष्ट्रीय मामलों की जानकार मीना सिंह रॉय ने यह बात कही. पढ़ें पूरी खबर....

चाबहार बंदरगाह
चाबहार बंदरगाह
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Published : Mar 4, 2021, 9:26 PM IST

Updated : Mar 4, 2021, 10:27 PM IST

नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि चाबहार बंदरगाह न केवल क्षेत्र के लिए एक वाणिज्यिक पारगमन केंद्र के रूप में उभरा है, बल्कि मानवीय सहायता के वितरण में (खासकर कोरोना महामारी के दौरान) भी मदद की है.

मेरीटाइम इंडिया समिट के आखिरी दिन आयोजित चाबहार दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान के लोगों की शांति, स्थिरता और समृद्धि के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता का हिस्सा है. भारत ने सितंबर 2020 में अफगानिस्तान को मानवीय खाद्य सहायता के रूप में 75,000 मीट्रिक टन गेहूं भेजने के लिए चाबहार बंदरगाह का उपयोग किया.

ईटीवी भारत ने चाबहार और इसके महत्व के बारे में पश्चिम एशिया के एक विशेषज्ञ से बातचीत की.

अंतरराष्ट्रीय मामलों की जानकार मीना सिंह रॉय से खास बातचीत.

भारत और क्षेत्र के लिए चाबहार बंदरगाह का महत्व
नई दिल्ली स्थित मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (IDSA) में पश्चिम एशिया सेंटर की प्रमुख मीना सिंह रॉय ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि चाबहार बंदरगाह न केवल भारत के लिए बल्कि अफगानिस्तान के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जो इसे और अधिक विशेष बनाता है. एक पहलू भारत की इंडो-पैसिफिक दृष्टि है और दूसरा यूरेशियन कॉरिडोर, भारत की मध्य एशिया से कनेक्टिविटी और उससे बाहर.

उन्होंने कहा कि चाबहार बंदरगाह भारत को न केवल इंडो-पैसिफिक, बल्कि यूरेशिया से भी जोड़ता है, जहां भारत एक प्रमुख साझेदार रहा है. यह भारत की रणनीतिक और क्षेत्रीय विस्तार के बारे में भी महत्तवपूर्ण है.

रिसर्च फेलो मीना सिंह ने कहा कि अमेरिका एक कारक है, जो भारत और ईरान संबंध पर भारी पड़ रहा है. यहां तक कि अमेरिका के लिए भी चाबहार और अफगानिस्तान के साथ इसकी कनेक्टिविटी समान रूप से महत्वपूर्ण है. सुरक्षा चिंता के अलावा, आर्थिक दृष्टिकोण से भी चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान को पाकिस्तान पर निर्भरता कम करने में मदद करता है और यह अफगानियों के लिए कई अवसरों को खोलता है.

उन्होंने कहा कि चाहे वह रूस हो, चीन हो, अमेरिका हो, ईरान हो, भारत हो, क्षेत्र की हर बड़ी शक्ति की चाबहार बंदरगाह में अपनी हिस्सेदारी है. बड़े संदर्भ में देखा जाए तो चीन अफगानिस्तान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है. चीन का इरादा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के ओर अधिक है. अफगानिस्तान को अभी तक BRI का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था, लेकिन अब उसे इसमें शामिल किया जा सकता है. इसलिए, समग्र क्षेत्रीय और वैश्विक गतिशीलता में, चाबहार बंदरगाह बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है.

चाबहार बंदरगाह, भारत के व्यापार संबंधों और अफगानिस्तान, ईरान, उज्बेकिस्तान और मध्य एशियाई देशों के साथ क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाने के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. इसे भारत की इंडो-पैसिफिक दृष्टि के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है.

विदेश मंत्रालय के अनुसार, अफगानिस्तान, आर्मीनिया, ईरान, कजाकिस्तान, रूसी संघ और उज्बेकिस्तान के मंत्रियों ने 'चाबहार डे' बैठक में भाग लिया.

'चाबहार' में निवेश ऐतिहासिक निर्णय
विशेष रूप से, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के महत्व को महसूस करते हुए, भारत सरकार ने एक विदेशी बंदरगाह 'चाबहार' में निवेश करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया. वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारा स्थापित करने के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

यह भी पढ़ें- भारत ने चाबहार बंदरगाह अधिकारियों को दो मोबाइल हार्बर क्रेन सौंपे

इस गलियारे का उद्देश्य पूरे क्षेत्र में वाणिज्य के निर्बाध प्रवाह को सुनिश्चित करना और अफगानिस्तान के साथ शुरू में व्यापार करने के लिए एक सुरक्षित, सुरक्षित और विश्वसनीय मार्ग बनाना है. इसके बाद पूरे मध्य एशिया के इसे व्यापार का मार्ग बनाना है.

दक्षिण-पूर्वी ईरान में चाबहार भारत की पश्चिम की कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण है, जो अफगानिस्तान और मध्य एशिया में प्रवेश प्रदान करता है और मुंबई को मास्को से जोड़ने वाले उत्तर-दक्षिण अंतरराष्ट्रीय परिवहन गलियारे की अहम है.

अन्य मध्य एशियाई देश इस परियोजना का हिस्सा बनने के लिए रुचि दिखा रहे हैं. इस बारे में भारत, ईरान और उज्बेकिस्तान के एक कार्यकारी समूह ने पिछले साल दिसंबर में मुलाकात की थी.

INSTC रूट में शामिल करने का प्रस्ताव
गुरुवार को 'चाबहार डे' की शुरुआत के दौरान, विदेश मंत्री जयशंकर ने चाबहार को इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) रूट में शामिल करने का प्रस्ताव दिया.

उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि INSTC समन्वय परिषद की बैठक के दौरान सदस्य राष्ट्र चाबहार पोर्ट को शामिल करने के लिए INSTC रूट के विस्तार पर सहमत होंगे और इस परियोजना की सदस्यता के विस्तार पर भी सहमत होंगे.'

इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर एक महत्वपूर्ण व्यापार गलियारा परियोजना है, जिसमें भारत क्षेत्र के लोगों के लाभ के लिए आर्थिक गलियारा स्थापित करने के लिए 12 देशों के साथ साझेदारी कर रहा है.

जयशंकर ने आगे कहा, 'हम बहुपक्षीय गलियारा परियोजना में शामिल होने के लिए उज्बेकिस्तान और अफगानिस्तान के हित का भी स्वागत करते हैं. अफगानिस्तान के माध्यम से एक पूर्वी गलियारे की स्थापना इसकी क्षमता को और अधिक बढ़ाएगी.'

पढ़ें- भारत-ईरान संबंधों में गेम चेंजर साबित होगी स्वदेशी वैक्सीन

जयशंकर ने अफगानिस्तान और ईरान को मानवीय सहायता भेजने और व्यापार के अवसरों को खोलने में हाल के वर्षों में चाबहार की भूमिका पर भी प्रकाश डाला.

उन्होंने कहा कि 'चाबहार डे' इवेंट कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय हितधारकों के साथ काम करने और मध्य एशियाई देशों में समुद्र तक पहुंच प्रदान करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.'

भारत ने जून 2020 में चाबहार के माध्यम से ईरान को 25 मीट्रिक टन मालाथियन (Malathion) की आपूर्ति करके कोरोना महामारी से लड़ने में मदद की. 25 मीट्रिक टन का दूसरा बैच हाल ही में चाबहार पोर्ट पहुंचा है.

साथ ही, खाद्य उत्पादों के भारतीय निर्यात के अलावा, बंदरगाह ने रूस, ब्राजील, थाईलैंड, जर्मनी, यूक्रेन और यूएई से कई शिपमेंट और ट्रांस-शिपमेंट को संभाला है.

नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि चाबहार बंदरगाह न केवल क्षेत्र के लिए एक वाणिज्यिक पारगमन केंद्र के रूप में उभरा है, बल्कि मानवीय सहायता के वितरण में (खासकर कोरोना महामारी के दौरान) भी मदद की है.

मेरीटाइम इंडिया समिट के आखिरी दिन आयोजित चाबहार दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान के लोगों की शांति, स्थिरता और समृद्धि के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता का हिस्सा है. भारत ने सितंबर 2020 में अफगानिस्तान को मानवीय खाद्य सहायता के रूप में 75,000 मीट्रिक टन गेहूं भेजने के लिए चाबहार बंदरगाह का उपयोग किया.

ईटीवी भारत ने चाबहार और इसके महत्व के बारे में पश्चिम एशिया के एक विशेषज्ञ से बातचीत की.

अंतरराष्ट्रीय मामलों की जानकार मीना सिंह रॉय से खास बातचीत.

भारत और क्षेत्र के लिए चाबहार बंदरगाह का महत्व
नई दिल्ली स्थित मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (IDSA) में पश्चिम एशिया सेंटर की प्रमुख मीना सिंह रॉय ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि चाबहार बंदरगाह न केवल भारत के लिए बल्कि अफगानिस्तान के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जो इसे और अधिक विशेष बनाता है. एक पहलू भारत की इंडो-पैसिफिक दृष्टि है और दूसरा यूरेशियन कॉरिडोर, भारत की मध्य एशिया से कनेक्टिविटी और उससे बाहर.

उन्होंने कहा कि चाबहार बंदरगाह भारत को न केवल इंडो-पैसिफिक, बल्कि यूरेशिया से भी जोड़ता है, जहां भारत एक प्रमुख साझेदार रहा है. यह भारत की रणनीतिक और क्षेत्रीय विस्तार के बारे में भी महत्तवपूर्ण है.

रिसर्च फेलो मीना सिंह ने कहा कि अमेरिका एक कारक है, जो भारत और ईरान संबंध पर भारी पड़ रहा है. यहां तक कि अमेरिका के लिए भी चाबहार और अफगानिस्तान के साथ इसकी कनेक्टिविटी समान रूप से महत्वपूर्ण है. सुरक्षा चिंता के अलावा, आर्थिक दृष्टिकोण से भी चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान को पाकिस्तान पर निर्भरता कम करने में मदद करता है और यह अफगानियों के लिए कई अवसरों को खोलता है.

उन्होंने कहा कि चाहे वह रूस हो, चीन हो, अमेरिका हो, ईरान हो, भारत हो, क्षेत्र की हर बड़ी शक्ति की चाबहार बंदरगाह में अपनी हिस्सेदारी है. बड़े संदर्भ में देखा जाए तो चीन अफगानिस्तान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है. चीन का इरादा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के ओर अधिक है. अफगानिस्तान को अभी तक BRI का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था, लेकिन अब उसे इसमें शामिल किया जा सकता है. इसलिए, समग्र क्षेत्रीय और वैश्विक गतिशीलता में, चाबहार बंदरगाह बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है.

चाबहार बंदरगाह, भारत के व्यापार संबंधों और अफगानिस्तान, ईरान, उज्बेकिस्तान और मध्य एशियाई देशों के साथ क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाने के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. इसे भारत की इंडो-पैसिफिक दृष्टि के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है.

विदेश मंत्रालय के अनुसार, अफगानिस्तान, आर्मीनिया, ईरान, कजाकिस्तान, रूसी संघ और उज्बेकिस्तान के मंत्रियों ने 'चाबहार डे' बैठक में भाग लिया.

'चाबहार' में निवेश ऐतिहासिक निर्णय
विशेष रूप से, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के महत्व को महसूस करते हुए, भारत सरकार ने एक विदेशी बंदरगाह 'चाबहार' में निवेश करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया. वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारा स्थापित करने के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

यह भी पढ़ें- भारत ने चाबहार बंदरगाह अधिकारियों को दो मोबाइल हार्बर क्रेन सौंपे

इस गलियारे का उद्देश्य पूरे क्षेत्र में वाणिज्य के निर्बाध प्रवाह को सुनिश्चित करना और अफगानिस्तान के साथ शुरू में व्यापार करने के लिए एक सुरक्षित, सुरक्षित और विश्वसनीय मार्ग बनाना है. इसके बाद पूरे मध्य एशिया के इसे व्यापार का मार्ग बनाना है.

दक्षिण-पूर्वी ईरान में चाबहार भारत की पश्चिम की कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण है, जो अफगानिस्तान और मध्य एशिया में प्रवेश प्रदान करता है और मुंबई को मास्को से जोड़ने वाले उत्तर-दक्षिण अंतरराष्ट्रीय परिवहन गलियारे की अहम है.

अन्य मध्य एशियाई देश इस परियोजना का हिस्सा बनने के लिए रुचि दिखा रहे हैं. इस बारे में भारत, ईरान और उज्बेकिस्तान के एक कार्यकारी समूह ने पिछले साल दिसंबर में मुलाकात की थी.

INSTC रूट में शामिल करने का प्रस्ताव
गुरुवार को 'चाबहार डे' की शुरुआत के दौरान, विदेश मंत्री जयशंकर ने चाबहार को इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) रूट में शामिल करने का प्रस्ताव दिया.

उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि INSTC समन्वय परिषद की बैठक के दौरान सदस्य राष्ट्र चाबहार पोर्ट को शामिल करने के लिए INSTC रूट के विस्तार पर सहमत होंगे और इस परियोजना की सदस्यता के विस्तार पर भी सहमत होंगे.'

इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर एक महत्वपूर्ण व्यापार गलियारा परियोजना है, जिसमें भारत क्षेत्र के लोगों के लाभ के लिए आर्थिक गलियारा स्थापित करने के लिए 12 देशों के साथ साझेदारी कर रहा है.

जयशंकर ने आगे कहा, 'हम बहुपक्षीय गलियारा परियोजना में शामिल होने के लिए उज्बेकिस्तान और अफगानिस्तान के हित का भी स्वागत करते हैं. अफगानिस्तान के माध्यम से एक पूर्वी गलियारे की स्थापना इसकी क्षमता को और अधिक बढ़ाएगी.'

पढ़ें- भारत-ईरान संबंधों में गेम चेंजर साबित होगी स्वदेशी वैक्सीन

जयशंकर ने अफगानिस्तान और ईरान को मानवीय सहायता भेजने और व्यापार के अवसरों को खोलने में हाल के वर्षों में चाबहार की भूमिका पर भी प्रकाश डाला.

उन्होंने कहा कि 'चाबहार डे' इवेंट कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय हितधारकों के साथ काम करने और मध्य एशियाई देशों में समुद्र तक पहुंच प्रदान करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.'

भारत ने जून 2020 में चाबहार के माध्यम से ईरान को 25 मीट्रिक टन मालाथियन (Malathion) की आपूर्ति करके कोरोना महामारी से लड़ने में मदद की. 25 मीट्रिक टन का दूसरा बैच हाल ही में चाबहार पोर्ट पहुंचा है.

साथ ही, खाद्य उत्पादों के भारतीय निर्यात के अलावा, बंदरगाह ने रूस, ब्राजील, थाईलैंड, जर्मनी, यूक्रेन और यूएई से कई शिपमेंट और ट्रांस-शिपमेंट को संभाला है.

Last Updated : Mar 4, 2021, 10:27 PM IST
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