नई दिल्ली : मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है, जिसके मद्देनजर गृह मंत्रालय (एमएचए) ने हिंसाग्रस्त राज्य में लगभग 4,500 अतिरिक्त केंद्रीय अर्धसैनिक बल भेजने का फैसला किया है. गृह मंत्री अमित शाह के सुझाव के बाद, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने राज्य की वर्तमान कानून व्यवस्था और सुरक्षा स्थिति पर समीक्षा बैठक की. बैठक में अर्धसैनिक बलों के साथ-साथ खुफिया ब्यूरो (आईबी) के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्थिति पर नियंत्रण पाने में केंद्रीय बलों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में विस्तार से चर्चा की. इसके साथ ही यह फैसला किया गया कि राज्य में अतिरिक्त 4,500 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात कराये जाएंगे. बहरहाल, राज्य में कुल 36,000 केंद्रीय बल तैनात हैं. चूंकि राज्य में इस बीच स्कूल और कॉलेज फिर से खोल दिये गए हैं. इसलिए गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से केंद्रीय बलों के ठहरने की व्यवस्था कराने के लिए भी कहा है.
बैठक में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि उग्रवादियों सहित असामाजिक तत्वों द्वारा पुलिस पोशाक का दुरुपयोग सुरक्षा बलों के लिए एक गंभीर मुद्दा है. दिल्ली में सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "विद्रोही खुद को सुरक्षा बलों की नजरों से छिपाने के लिए पुलिस की वर्दी का इस्तेमाल करते हैं. इस तथ्य के बाद विद्रोहियों और सुरक्षा अधिकारियों की पहचान करना बहुत कठिन हो गया है." बैठक में लापता हथियारों और गोला-बारूद का पता लगाने के लिए और अधिक कठोर कार्रवाई करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया. सुरक्षा बलों ने चिंता जाहिर की कि बदमाशों के पास शक्तिशाली हथियार और पर्याप्त मात्रा में गोला-बारूद हैं.
अधिकारी ने कहा, "उनके पास एके47, एसएलआर और इंसास राइफलें हैं. उनके पास असंख्य गोला-बारूद भी स्टॉक हो चुके हैं." गौरतलब है कि तीन मई से मणिपुर में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से राज्य के पुलिस शस्त्रागारों से कम से कम 4,000 हथियार गायब हो गए हैं. हालांकि, गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद राज्य भर से अब तक लूटे गए 50 फीसदी हथियार बरामद कर लिए गए हैं. बता दें कि मणिपुर में जातीय संघर्ष में 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 3 मई से अब तक 60,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदायों की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया.