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केंद्र को जम्मू- कश्मीर में स्थायी शांति के लिए बातचीत शुरू करनी चाहिए: विशेषज्ञ

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Published : Aug 6, 2023, 8:57 AM IST

जम्मू- कश्मीर का विशेष दर्जा अनुच्छेद 370 को हटाए जान के चार साल पूरे होने पर केंद्र शासित प्रदेश को जानने वालों ने अपने विचार रखे हैं. विशेषज्ञ ने जम्मू कश्मीर के हालात पर ईटीवी भारत से बातचीत में कई अहम सुझावे दिए हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

Etv BharatCentre should initiate talk with all stakeholders in Jammu Kashmir for permanent peace Expert
Etv Bharatकेंद्र को जम्मू कश्मीर में स्थायी शांति के लिए बातचीत शुरू करनी चाहिए: विशेषज्ञ

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की चौथी वर्षगांठ पर केंद्र शासित प्रदेश के विशेषज्ञ और अनुभवी पत्रकार पुष्प सराफ ने शनिवार को कहा कि भारत सरकार को क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए सभी हितधारकों के साथ बातचीत शुरू करनी चाहिए. उन्होंने जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव कराने का भी सुझाव दिया.

सराफ ने यहां ईटीवी भारत से कहा,'स्थानीय राजनेता, विशेष रूप से घाटी-आधारित राजनेता, शीघ्र चुनाव के पक्ष में हैं. सरकार को उनसे बातचीत में तेजी लानी चाहिए. जम्मू-कश्मीर के सभी राजनेताओं को आगे आना चाहिए और सरकार के साथ बातचीत के लिए बैठना चाहिए.' मूल रूप से जम्मू के रहने वाले सराफ का मानना है कि राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा, 'जब से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया है, पत्थरबाजी और उग्रवाद संबंधी घटनाओं में कमी आई है.'

हालांकि, उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से विशिष्ट राजनीति गायब हो गई है. लगभग सभी अलगाववादी नेता सलाखों के पीछे हैं. वर्तमान में केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के पूरे मामलों को नियंत्रित कर रही है. शराफ ने कहा आगे कहा, 'जम्मू-कश्मीर के मौजूदा उपराज्यपाल मनोज सिन्हा कई पहलों के साथ लोगों तक पहुंचने में सक्षम हैं. हालाँकि, अभी और भी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है. ' शराफ ने कहा, 'केंद्र सरकार को बड़े फैसले और कार्रवाई की जरूरत है.'

जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे के मुद्दे का जिक्र करते हुए शराफ ने कहा कि राज्य का दर्जा वापस आना चाहिए क्योंकि लोग राज्य का दर्जा चाहते हैं. जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा हटाना इस तरह का पहला उदाहरण था. चार साल से अधिक समय हो गया है, सरकार को विधानसभा चुनाव से पहले या बाद में राज्य का दर्जा बरकरार रखने के लिए कदम उठाना चाहिए.'

यह कहते हुए कि सुरक्षा बलों ने आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है, शराफ ने कहा कि इससे पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की आमद में वृद्धि हुई है. पर्यटकों की बढ़ती आमद के अलावा, अमरनाथ यात्रियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. पर्यटक अब जम्मू-कश्मीर में कहीं भी घूम सकते हैं.

सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि जब से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया है, तब से वहां आतंकवादी घटनाओं में कमी आ रही है. नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2021 में 129 से घटकर 2022 में 125 और इस वर्ष जून तक 26 आतंकवादी-संबंधी घटनाएं हो गई. इसी तरह घुसपैठ की घटनाओं में भी भारी कमी आई है. 2021 में सीमा पार से घुसपैठ की 34 घटनाएं हुईं जो 2022 में घटकर 14 रह गईं.

राज्यसभा में हाल ही में एक जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा है कि संवैधानिक परिवर्तनों के बाद, सभी केंद्रीय कानूनों को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लागू किया गया है. इस तरह से 205 राज्य कानूनों को निरस्त कर दिया गया है और 130 राज्य कानूनों को संशोधित कर लागू किया गया है. जम्मू और कश्मीर के इतिहास में पहली बार केंद्र शासित प्रदेश में विधिवत निर्वाचित 3-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली स्थापित की गई है.

ये भी पढ़ें-Jammu Kashmir News : जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने से लेकर बाद के बदलाव पर डालिए नजर

संविधान के 73वें और 74वें संशोधन के तहत पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय दोनों को फंड, कार्यों और पदाधिकारियों के हस्तांतरण द्वारा सशक्त बनाया गया है. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर ने हाल के वर्षों में कई सुधारों और पहलों की शुरूआत के माध्यम से वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता पर ध्यान केंद्रित किया है. इसके परिणामस्वरूप 2022 में 92,560 कार्यों के साथ एक वित्तीय वर्ष में परियोजनाओं के पूरा होने में कई गुना वृद्धि हुई है.

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की चौथी वर्षगांठ पर केंद्र शासित प्रदेश के विशेषज्ञ और अनुभवी पत्रकार पुष्प सराफ ने शनिवार को कहा कि भारत सरकार को क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए सभी हितधारकों के साथ बातचीत शुरू करनी चाहिए. उन्होंने जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव कराने का भी सुझाव दिया.

सराफ ने यहां ईटीवी भारत से कहा,'स्थानीय राजनेता, विशेष रूप से घाटी-आधारित राजनेता, शीघ्र चुनाव के पक्ष में हैं. सरकार को उनसे बातचीत में तेजी लानी चाहिए. जम्मू-कश्मीर के सभी राजनेताओं को आगे आना चाहिए और सरकार के साथ बातचीत के लिए बैठना चाहिए.' मूल रूप से जम्मू के रहने वाले सराफ का मानना है कि राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा, 'जब से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया है, पत्थरबाजी और उग्रवाद संबंधी घटनाओं में कमी आई है.'

हालांकि, उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से विशिष्ट राजनीति गायब हो गई है. लगभग सभी अलगाववादी नेता सलाखों के पीछे हैं. वर्तमान में केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के पूरे मामलों को नियंत्रित कर रही है. शराफ ने कहा आगे कहा, 'जम्मू-कश्मीर के मौजूदा उपराज्यपाल मनोज सिन्हा कई पहलों के साथ लोगों तक पहुंचने में सक्षम हैं. हालाँकि, अभी और भी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है. ' शराफ ने कहा, 'केंद्र सरकार को बड़े फैसले और कार्रवाई की जरूरत है.'

जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे के मुद्दे का जिक्र करते हुए शराफ ने कहा कि राज्य का दर्जा वापस आना चाहिए क्योंकि लोग राज्य का दर्जा चाहते हैं. जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा हटाना इस तरह का पहला उदाहरण था. चार साल से अधिक समय हो गया है, सरकार को विधानसभा चुनाव से पहले या बाद में राज्य का दर्जा बरकरार रखने के लिए कदम उठाना चाहिए.'

यह कहते हुए कि सुरक्षा बलों ने आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है, शराफ ने कहा कि इससे पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की आमद में वृद्धि हुई है. पर्यटकों की बढ़ती आमद के अलावा, अमरनाथ यात्रियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. पर्यटक अब जम्मू-कश्मीर में कहीं भी घूम सकते हैं.

सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि जब से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया है, तब से वहां आतंकवादी घटनाओं में कमी आ रही है. नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2021 में 129 से घटकर 2022 में 125 और इस वर्ष जून तक 26 आतंकवादी-संबंधी घटनाएं हो गई. इसी तरह घुसपैठ की घटनाओं में भी भारी कमी आई है. 2021 में सीमा पार से घुसपैठ की 34 घटनाएं हुईं जो 2022 में घटकर 14 रह गईं.

राज्यसभा में हाल ही में एक जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा है कि संवैधानिक परिवर्तनों के बाद, सभी केंद्रीय कानूनों को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लागू किया गया है. इस तरह से 205 राज्य कानूनों को निरस्त कर दिया गया है और 130 राज्य कानूनों को संशोधित कर लागू किया गया है. जम्मू और कश्मीर के इतिहास में पहली बार केंद्र शासित प्रदेश में विधिवत निर्वाचित 3-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली स्थापित की गई है.

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संविधान के 73वें और 74वें संशोधन के तहत पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय दोनों को फंड, कार्यों और पदाधिकारियों के हस्तांतरण द्वारा सशक्त बनाया गया है. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर ने हाल के वर्षों में कई सुधारों और पहलों की शुरूआत के माध्यम से वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता पर ध्यान केंद्रित किया है. इसके परिणामस्वरूप 2022 में 92,560 कार्यों के साथ एक वित्तीय वर्ष में परियोजनाओं के पूरा होने में कई गुना वृद्धि हुई है.

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