नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण (Union Health Secretary Rajesh Bhushan) ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव कृष्ण द्विवेदी को पत्र लिखकर मामले में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है. इस पर ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल को बदनाम करने के लिए भाजपा नीत केंद्र सरकार कुछ एजेंसियों का इस्तेमाल राई का पहाड़ बना रही है.
राज्य सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, 'संदिग्ध टीकाकरण शिविर लगाने का एक मामला है. पश्चिम बंगाल सरकार का उनसे कोई संबंध नहीं है. हमने शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई शुरू की.'
बता दें कि कई लोगों को कोलकाता में संदिग्ध टीकाकरण शिविर आयोजित करने और फर्जी टीके की खुराक देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है जिनमें खुद को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अधिकारी बताने वाला सरगना भी शामिल है. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उनकी सरकार को भेजे पत्र का हवाला देते हुए बनर्जी ने दावा किया कि इस तरह का पत्र तब नहीं भेजा गया जब गुजरात में भाजपा के कार्यालय में टीके की खुराक दी गई.
भाजपा ने फर्जी टीकाकरण शिविर के मुख्य आरोपी देवंजन देब के साथ तृणमूल नेताओं की तस्वीर साझा की थी. ममता बनर्जी ने कहा कि तस्वीरों के आधार पर कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वे संपादित हो सकते हैं और ऐसी तस्वीरों का इस्तेमाल अपना धंधा चलाने के लिए किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि ऐसी तस्वीरें हो सकती है जिनमें भाजपा और अन्य पार्टियों के नेता देवंजन देब के साथ दिख रहे हों.
भूषण द्वारा लिखे गए पत्र में पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेन्दु अधिकारी (Shubhendu Adhikari) के 25 जून को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन (Union Health Minister Harsh Vardhan) को लिखे गये उस पत्र का संदर्भ दिया गया है जिसमें कथित तौर पर अनधिकृत लोगों द्वारा टीकाकरण शिविर लगाये जाने को लेकर ध्यान आकर्षित कराया गया था.
भूषण ने पत्र में कहा कि कोलकाता नगर निगम (Kolkata Municipal Corporation) के कुछ इलाकों में खासतौर पर कस्बा इलाके में लगाए गए टीके में किसी भी लाभार्थी को कोविन के जरिये टीकाकरण प्रमाण पत्र नहीं मिला जिससे इन शिविरों के वास्तविक होने पर आशंका पैदा हो गई है.
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि दिशानिर्देशों के मुताबिक कोविड-19 के सभी टीकाकरण सत्र कोविन पोर्टल के जरिये आयोजित किए जाने चाहिए और सभी टीकाकरण के रिकॉर्ड भी इस पोर्टल पर दर्ज किए जाने चाहिए. टीका लगाने के बाद उसकी जानकारी कोविन पोर्टल में सफलतापूर्वक दर्ज होने पर टीकाकरण प्रमाण पत्र डिजिटल और भौतिक माध्यम से लाभार्थी को दिया जाना चाहिए.
केंद्र ने समय-समय पर राज्यों को सलाह दी है कि लाभार्थी को टीकाकरण प्रमाणपत्र दिया जाना चाहिए. भूषण ने कहा कि इन प्रमाण पत्रों के जारी नहीं होने से टीकाकरण (vaccination) शिविरों के फर्जी होने की आशंका पैदा होती है और इससे ऐसे शिविरों में लगाए गए टीके में मौजूद सामग्री को लेकर भी शंका पैदा होती है, अगर ऐसे मामलों की तुरंत जांच नहीं की जाती है और इससे नहीं निपटा जाता है तो दोबारा ऐसी घटनाएं हो सकती हैं.
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उन्होंने कहा कि इसलिए अनुरोध किया जाता है और इस मामले की तुरंत जांच की जाए और जरूरी हो तो मामले में उचित एवं सख्त कदम उठाए जाए. यह भी अनुरोध किया जाता है कि इस मामले में तथ्यात्मक रिपोर्ट अगले दो दिनों में मंत्रालय को भेजी जाए.