मुंबई: केंद्र सरकार ने बुधवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय से कहा कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सुबोध जायसवाल की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के रूप में नियुक्ति कानून में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार की गई है और उनके पास भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए पर्याप्त अनुभव है.
केंद्र द्वारा यह बात कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अवर सचिव संजय चौरसिया द्वारा दायर एक हलफनामे में कही गई, जिन्होंने पूर्व सहायक पुलिस आयुक्त राजेंद्र त्रिवेदी द्वारा दायर उस जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज करने का अनुरोध किया जिसमें जायसवाल की मई 2021 में सीबीआई निदेशक के रूप में नियुक्ति को चुनौती दी गई है.
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त्रिवेदी ने अपनी याचिका में दावा किया था कि जायसवाल की नियुक्ति दिल्ली पुलिस स्थापना अधिनियम के उल्लंघन में की गई है. याचिका में अदालत से उस तीन सदस्यीय समिति के रिकॉर्ड और कार्यवाही की जानकारी मंगाने का अनुरोध किया गया जिसने पद पर भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के महाराष्ट्र कैडर के अधिकारी के नाम को मंजूरी दी थी. केंद्र ने अदालत से याचिका को 'गुण-दोष से रहित और धारणा पर दायर' करार देते हुए खारिज करने का आग्रह किया. सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि याचिका जनहित में नहीं बल्कि 'त्रिवेदी के निजी हित' में दायर की गई है.