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एनईपी मसौदे के लिए केंद्र को बंगाल के शिक्षाविदों का सम्मान करना चाहिए: मंत्री

पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने केंद्र सरकार द्वारा बंगाल के कुछ शिक्षाविदों का अपमान किए जाने का विरोध किया है और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वार उठाए गए सवाल का जवाब भी दिया

पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु
पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु
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Published : Apr 21, 2022, 7:35 AM IST

Updated : Apr 21, 2022, 8:02 AM IST

कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने बुधवार को कहा कि केंद्र को नई शिक्षा नीति 2020 के मसौदे के बारे में सिफारिशें देने के लिए राज्य द्वारा गठित 10 सदस्यीय समिति में शामिल प्रख्यात शिक्षाविदों को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए. शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने यहां संवाददाताओं से कहा कि राज्य ने पूरे एनईपी 2020 के मसौदे और इसके अच्छे पहलुओं पर विचार कर रही है. लेकिन राज्य सरकार को प्रसिद्ध शिक्षाविदों के पैनल की सिफारिशों का इंतजार है.

मंत्री बसु ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के हालिया आरोपों का जवाब दे रहे थे जिसमें प्रधान ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस सरकार बच्चों के भविष्य से संबंधित बुनियादी शिक्षा के मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है. प्रधान ने खेद जताया था कि ममता बनर्जी सरकार ने अंतरिक्ष वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन जैसे व्यक्तित्व के लिए कोई सम्मान नहीं है. जिन्होंने एनईपी 2020 का मसौदा तैयार करने के लिए केंद्र द्वारा गठित समिति का नेतृत्व भी किया था. बसु ने कहा का केंद्रीय पैनल के सभी लोगों के प्रति हमारे मन में बहुत ही सम्मान और श्रद्धा है. लेकिन धर्मेंद्र प्रधान हमें यह भी बताएं कि क्या राज्य द्वारा गठित समिति के मानद सदस्यों का अपमान किया जा सकता है. पैनल के सदस्य बंगाल के रहने वाले दुनिया के सबसे अच्छे दिमाग वाले माने जाते हैं. यदि केंद्र को पैनल में कोई गलती मिलती है तो सभी को उनकी सिफारिशों का इंतजार करना चाहिए.

कोलंबिया विश्वविद्यालय के गायत्री चक्रवर्ती स्पिवक, जादवपुर विश्वविद्यालय के सुरंजन दास, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के सुगाता बोस और एनआईटी दुर्गापुर के अनुपम बसु आठ अप्रैल को राज्य सरकार द्वारा गठित समिति के सदस्यों में शामिल किए गए हैं. प्रधान ने सोमवार को एनईपी के लिए राज्य के विरोध की आलोचना की थी. कहा था कि क्या यह उन धाराओं के खिलाफ है जो छात्रों की रोजगार क्षमता को बढ़ाते हैं या आपत्तियां राजनीति से प्रेरित है. एनईपी-2020 ने शिक्षा पर राष्ट्रीय नीति 1986 को बदल दिया है. जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने के लिए स्कूलों और उच्च शिक्षा प्रणाली में परिवर्तनकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त करना है.

एसएससी उम्मीदवारों की भर्ती में देरी और उनके विरोध पर बसु ने कहा कि मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है. कोर्ट का फैसला आने के बाद हम (सरकार) सभी योग्य एसएससी उम्मीदवारों की पारदर्शी और निष्पक्ष भर्ती सुनिश्चित करेंगे. मंत्री यहां साइंस सिटी सभागार में एक प्रेस वार्ता से इतर मीडियाकर्मियों से बातचीत की थी जिसमें उन्होंने दावा किया कि राज्य में स्कूलों की संख्या 2020-21 में 63,794 हो गई है जो 2010-11 में 60,837 थी. सभी सरकारी प्री-प्राइमरी स्कूल प्राथमिक स्कूलों से जुड़े हुए हैं. मूलभूत शिक्षा पर विशेष पहल कई वर्षों से निरंतर जारी है.

कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने बुधवार को कहा कि केंद्र को नई शिक्षा नीति 2020 के मसौदे के बारे में सिफारिशें देने के लिए राज्य द्वारा गठित 10 सदस्यीय समिति में शामिल प्रख्यात शिक्षाविदों को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए. शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने यहां संवाददाताओं से कहा कि राज्य ने पूरे एनईपी 2020 के मसौदे और इसके अच्छे पहलुओं पर विचार कर रही है. लेकिन राज्य सरकार को प्रसिद्ध शिक्षाविदों के पैनल की सिफारिशों का इंतजार है.

मंत्री बसु ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के हालिया आरोपों का जवाब दे रहे थे जिसमें प्रधान ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस सरकार बच्चों के भविष्य से संबंधित बुनियादी शिक्षा के मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है. प्रधान ने खेद जताया था कि ममता बनर्जी सरकार ने अंतरिक्ष वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन जैसे व्यक्तित्व के लिए कोई सम्मान नहीं है. जिन्होंने एनईपी 2020 का मसौदा तैयार करने के लिए केंद्र द्वारा गठित समिति का नेतृत्व भी किया था. बसु ने कहा का केंद्रीय पैनल के सभी लोगों के प्रति हमारे मन में बहुत ही सम्मान और श्रद्धा है. लेकिन धर्मेंद्र प्रधान हमें यह भी बताएं कि क्या राज्य द्वारा गठित समिति के मानद सदस्यों का अपमान किया जा सकता है. पैनल के सदस्य बंगाल के रहने वाले दुनिया के सबसे अच्छे दिमाग वाले माने जाते हैं. यदि केंद्र को पैनल में कोई गलती मिलती है तो सभी को उनकी सिफारिशों का इंतजार करना चाहिए.

कोलंबिया विश्वविद्यालय के गायत्री चक्रवर्ती स्पिवक, जादवपुर विश्वविद्यालय के सुरंजन दास, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के सुगाता बोस और एनआईटी दुर्गापुर के अनुपम बसु आठ अप्रैल को राज्य सरकार द्वारा गठित समिति के सदस्यों में शामिल किए गए हैं. प्रधान ने सोमवार को एनईपी के लिए राज्य के विरोध की आलोचना की थी. कहा था कि क्या यह उन धाराओं के खिलाफ है जो छात्रों की रोजगार क्षमता को बढ़ाते हैं या आपत्तियां राजनीति से प्रेरित है. एनईपी-2020 ने शिक्षा पर राष्ट्रीय नीति 1986 को बदल दिया है. जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने के लिए स्कूलों और उच्च शिक्षा प्रणाली में परिवर्तनकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त करना है.

एसएससी उम्मीदवारों की भर्ती में देरी और उनके विरोध पर बसु ने कहा कि मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है. कोर्ट का फैसला आने के बाद हम (सरकार) सभी योग्य एसएससी उम्मीदवारों की पारदर्शी और निष्पक्ष भर्ती सुनिश्चित करेंगे. मंत्री यहां साइंस सिटी सभागार में एक प्रेस वार्ता से इतर मीडियाकर्मियों से बातचीत की थी जिसमें उन्होंने दावा किया कि राज्य में स्कूलों की संख्या 2020-21 में 63,794 हो गई है जो 2010-11 में 60,837 थी. सभी सरकारी प्री-प्राइमरी स्कूल प्राथमिक स्कूलों से जुड़े हुए हैं. मूलभूत शिक्षा पर विशेष पहल कई वर्षों से निरंतर जारी है.

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पीटीआई

Last Updated : Apr 21, 2022, 8:02 AM IST
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