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हाई कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा- नए आईटी नियम के तहत ट्रेसेबिलिटी का प्रावधान वैधानिक है

केंद्र सरकार ने वाट्सएप और फेसबुक की याचिका पर शुक्रवार को अपना जवाब दाखिल किया है. केंद्र सरकार ने कहा कि वो चाहती है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स यूजर की प्राइवेसी और एंक्रिप्शन की सुरक्षा करे.

हाई कोर्ट
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Published : Oct 22, 2021, 10:58 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने वाट्सएप और फेसबुक की याचिका पर शुक्रवार को अपना जवाब दाखिल किया है. अपने हलफनामे में केंद्र ने नई आईटी रूल्स का समर्थन करते हुए कहा कि आईटी रूल्स के रूल 4(2) के तहत ट्रेसेबिलिटी का प्रावधान वैधानिक है. केंद्र सरकार ने कहा कि वो चाहती है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स यूजर की प्राइवेसी और एंक्रिप्शन की सुरक्षा करे.

केंद्र सरकार ने कहा है कि रूल 4(2) यूजर की प्राईवेसी को प्रभावित नहीं करता है. लोगों की निजता की सुरक्षा के लिए सामूहिक सुरक्षा की जरूरत है. केंद्र सरकार ने सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए इन आईटी रूल्स को लागू किया है. केंद्र सरकार ने कहा है कि आईटी रूल्स को चुनौती देने वाले वाट्सएप और फेसबुक की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. केंद्र ने कहा है कि वाट्सएप और फेसबुक दोनों विदेशी कंपनियां हैं और इसलिए उन्हें संविधान की धारा 32 और 226 का लाभ नहीं दिया जा सकता है.

27 अगस्त को हाईकोर्ट ने वाली वाट्सएप और फेसबुक की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. फेसबुक की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने आईटी रूल्स में ट्रेसेबिलिटी के प्रावधान का विरोध करते हुए कहा था कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है.

नौ जुलाई को वाट्सएप ने कोर्ट को बताया था कि वो अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी को फिलहाल स्थगित रखेगा. वाट्सएप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया था कि जब तक डाटा प्रोटेक्शन बिल नहीं आ जाता तब तक उसकी नई प्राइवेसी पॉलिसी लागू नहीं की जाएगी. साल्वे ने कहा था कि वाट्सएप ने इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के नोटिस का जवाब दे दिया है. उन्होंने कहा था कि प्राइवेसी पॉलिसी को चुनौती देना और प्रतिस्पर्द्धा आयोग की जांच को चुनौती देना दोनों अलग-अलग बातें हैं.

ये भी पढ़ें -यूपीएससी में सफल हो जाने पर पसंदीदा कैडर पाना अधिकार नहीं : सुप्रीम कोर्ट

पिछले 22 अप्रैल को जस्टिस नवीन चावला की सिंगल बेंच ने वाट्सएप और फेसबुक की याचिका खारिज कर दी थी. इस आदेश को दोनों कंपनियों ने डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी. सिंगल बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान वाट्सएप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि वाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी पर प्रतिस्पर्द्धा आयोग को आदेश देने का क्षेत्राधिकार नहीं है.

इस मामले पर सरकार को फैसला लेना है. उन्होंने कहा था कि वाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी यूजर्स को ज्यादा पारदर्शिता उपलब्ध कराना है. इस पॉलिसी से व्यावसायिक सेवाओं का बेहतर उपयोग करने की सुविधा है. वाट्सएप की व्यावसायिक सेवा अलग है जो फेसबुक से लिंक की गई है. उन्होंने कहा था कि वाट्सएप किसी यूजर की निजी बातचीत को नहीं देखता है. नई प्राइवेसी पॉलिसी का इससे कोई लेना-देना नहीं है.

प्रतिस्पर्द्धा आयोग की ओर से एएसजी अमन लेखी ने कहा था कि ये मामला केवल प्राईवेसी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये डाटा तक पहुंच का है. उन्होंने कहा था कि प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार के तहत आदेश दिया है. उन्होंने कहा था कि भले ही वाट्सएप की इस नीति को प्राईवेसी पॉलिसी कहा गया है लेकिन इसे मार्केट में अपनी उपस्थिति का बेजा फायदा उठाने के लिए किया जा सकता है.

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने वाट्सएप और फेसबुक की याचिका पर शुक्रवार को अपना जवाब दाखिल किया है. अपने हलफनामे में केंद्र ने नई आईटी रूल्स का समर्थन करते हुए कहा कि आईटी रूल्स के रूल 4(2) के तहत ट्रेसेबिलिटी का प्रावधान वैधानिक है. केंद्र सरकार ने कहा कि वो चाहती है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स यूजर की प्राइवेसी और एंक्रिप्शन की सुरक्षा करे.

केंद्र सरकार ने कहा है कि रूल 4(2) यूजर की प्राईवेसी को प्रभावित नहीं करता है. लोगों की निजता की सुरक्षा के लिए सामूहिक सुरक्षा की जरूरत है. केंद्र सरकार ने सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए इन आईटी रूल्स को लागू किया है. केंद्र सरकार ने कहा है कि आईटी रूल्स को चुनौती देने वाले वाट्सएप और फेसबुक की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. केंद्र ने कहा है कि वाट्सएप और फेसबुक दोनों विदेशी कंपनियां हैं और इसलिए उन्हें संविधान की धारा 32 और 226 का लाभ नहीं दिया जा सकता है.

27 अगस्त को हाईकोर्ट ने वाली वाट्सएप और फेसबुक की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. फेसबुक की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने आईटी रूल्स में ट्रेसेबिलिटी के प्रावधान का विरोध करते हुए कहा था कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है.

नौ जुलाई को वाट्सएप ने कोर्ट को बताया था कि वो अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी को फिलहाल स्थगित रखेगा. वाट्सएप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया था कि जब तक डाटा प्रोटेक्शन बिल नहीं आ जाता तब तक उसकी नई प्राइवेसी पॉलिसी लागू नहीं की जाएगी. साल्वे ने कहा था कि वाट्सएप ने इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के नोटिस का जवाब दे दिया है. उन्होंने कहा था कि प्राइवेसी पॉलिसी को चुनौती देना और प्रतिस्पर्द्धा आयोग की जांच को चुनौती देना दोनों अलग-अलग बातें हैं.

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पिछले 22 अप्रैल को जस्टिस नवीन चावला की सिंगल बेंच ने वाट्सएप और फेसबुक की याचिका खारिज कर दी थी. इस आदेश को दोनों कंपनियों ने डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी. सिंगल बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान वाट्सएप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि वाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी पर प्रतिस्पर्द्धा आयोग को आदेश देने का क्षेत्राधिकार नहीं है.

इस मामले पर सरकार को फैसला लेना है. उन्होंने कहा था कि वाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी यूजर्स को ज्यादा पारदर्शिता उपलब्ध कराना है. इस पॉलिसी से व्यावसायिक सेवाओं का बेहतर उपयोग करने की सुविधा है. वाट्सएप की व्यावसायिक सेवा अलग है जो फेसबुक से लिंक की गई है. उन्होंने कहा था कि वाट्सएप किसी यूजर की निजी बातचीत को नहीं देखता है. नई प्राइवेसी पॉलिसी का इससे कोई लेना-देना नहीं है.

प्रतिस्पर्द्धा आयोग की ओर से एएसजी अमन लेखी ने कहा था कि ये मामला केवल प्राईवेसी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये डाटा तक पहुंच का है. उन्होंने कहा था कि प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार के तहत आदेश दिया है. उन्होंने कहा था कि भले ही वाट्सएप की इस नीति को प्राईवेसी पॉलिसी कहा गया है लेकिन इसे मार्केट में अपनी उपस्थिति का बेजा फायदा उठाने के लिए किया जा सकता है.

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