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केंद्र ने चेन्नई मरीना बीच पर करुणानिधि के पेन स्मारक को बनाने की दी मंजूरी - मरीना बीच पर करुणानिधि के पेन स्मारक को दी मंजूरी

केंद्र ने तमिलनाडु सरकार को चेन्नई के मरीना बीच पर डीएमके के अध्यक्ष और पूर्व सीएम एम करुणानिधि (late DMK president and Former TN cm M Karunanidhi) के सम्मान में पेन स्मारक को बनाने की मंजूरी प्रदान कर दी है. पढ़िए पूरी खबर...

Karunanidhi pen memorial approved
करुणानिधि के पेन स्मारक को बनाने की मंजूरी
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Published : Apr 29, 2023, 6:49 PM IST

चेन्नई: केंद्र सरकार ने चेन्नई के मरीना बीच पर करुणानिधि के पेन स्मारक बनाने को मंजूरी दे दी है. बता दें कि तमिलनाडु सरकार ने दिवंगत द्रमुक अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि (late DMK president and Former TN cm M Karunanidhi) के सम्मान में समुद्र तट से करीब 360 मीटर की दूरी पर एक पेन स्मारक बनाने और स्मारक से जोड़ने के लिए एक फुटब्रिज बनाने का प्रस्ताव दिया था. वहीं इस महीने के शुरू में राज्य लोक निर्माण विभाग (PWD) ने केंद्र सरकार की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) को पर्यावरण प्रभाव आकलन की रिपोर्ट (EIA) सौंप दी थी. इसी रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने स्मारक बनाने की अनुमति मांगी थी.

केंद्र सरकार की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष दीपक अरुण आप्टे की अध्यक्षता वाले 12 सदस्यीय ईएसी ने 15 शर्तों के साथ मंजूरी की सिफारिश की है, इसमें 0.8 किलोमीटर दूर आईएनएस अडनार से अनापत्ति का प्रमाण पत्र शामिल है. साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि कोई भी मलब या निर्माण सामग्री जलस्रोत में नहीं डाली जानी चाहिए, इसके अलावा पहुंच नियंत्रित रास्तों में आगंतुकों के प्रबंधन पर कड़ी निगरानी रखी जानी चाहिए. वहीं कछुओं के बसने वाले क्षेत्र में कोई निर्माण कार्य नहीं होगा तथा समुद्र क्षेत्र से कोई भूजल नहीं निकाला जाना चाहिए, जबकि परियोजना को लागू करते समय एक विशेषज्ञ निगरानी समिति का गठन किया जाना चाहिए.

बता दें कि 81 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित पेन स्मारक की ऊंचाई 30 मीटर है जो 8,551 वर्ग मीटर में फैला हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पुल की लंबाई जमीन पर 290 मीटर और समुद्र पर 360 मीटर होने के साथ ही यह 7 मीटर चौड़ा होगा. विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने यह भी कहा है कि नेशनल सेंटर फॉर कोस्टल रिसर्च को निर्माण के दौरान कटाव और रेत के जमाव की निगरानी करनी चाहिए, जबकि लोक निर्माण विभाग को अदालती नियमों का पालन करना होगा. साथ ही परियोजना को हाई कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यनल के आदेशों का भी पालन करना चाहिए. वहीं

पूवुलागिन नानबर्गल एनजीओ ने ट्वीट करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने अभूतपूर्व गति से समुद्र में पेन स्मारक स्थापित करने के लिए पर्याप्त अध्ययन और डेटा के बिना तैयार पर्यावरण प्रभाव आकलन की रिपोर्ट को मंजूरी दी है, यह एक बहुत ही गलत प्रतिमान है.

ये भी पढ़ें - Mamata Talks To Stalin : राज्यपाल की भूमिका को लेकर ममता बनर्जी ने रणनीति बनाने के लिए स्टालिन से की बात

चेन्नई: केंद्र सरकार ने चेन्नई के मरीना बीच पर करुणानिधि के पेन स्मारक बनाने को मंजूरी दे दी है. बता दें कि तमिलनाडु सरकार ने दिवंगत द्रमुक अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि (late DMK president and Former TN cm M Karunanidhi) के सम्मान में समुद्र तट से करीब 360 मीटर की दूरी पर एक पेन स्मारक बनाने और स्मारक से जोड़ने के लिए एक फुटब्रिज बनाने का प्रस्ताव दिया था. वहीं इस महीने के शुरू में राज्य लोक निर्माण विभाग (PWD) ने केंद्र सरकार की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) को पर्यावरण प्रभाव आकलन की रिपोर्ट (EIA) सौंप दी थी. इसी रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने स्मारक बनाने की अनुमति मांगी थी.

केंद्र सरकार की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष दीपक अरुण आप्टे की अध्यक्षता वाले 12 सदस्यीय ईएसी ने 15 शर्तों के साथ मंजूरी की सिफारिश की है, इसमें 0.8 किलोमीटर दूर आईएनएस अडनार से अनापत्ति का प्रमाण पत्र शामिल है. साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि कोई भी मलब या निर्माण सामग्री जलस्रोत में नहीं डाली जानी चाहिए, इसके अलावा पहुंच नियंत्रित रास्तों में आगंतुकों के प्रबंधन पर कड़ी निगरानी रखी जानी चाहिए. वहीं कछुओं के बसने वाले क्षेत्र में कोई निर्माण कार्य नहीं होगा तथा समुद्र क्षेत्र से कोई भूजल नहीं निकाला जाना चाहिए, जबकि परियोजना को लागू करते समय एक विशेषज्ञ निगरानी समिति का गठन किया जाना चाहिए.

बता दें कि 81 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित पेन स्मारक की ऊंचाई 30 मीटर है जो 8,551 वर्ग मीटर में फैला हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पुल की लंबाई जमीन पर 290 मीटर और समुद्र पर 360 मीटर होने के साथ ही यह 7 मीटर चौड़ा होगा. विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने यह भी कहा है कि नेशनल सेंटर फॉर कोस्टल रिसर्च को निर्माण के दौरान कटाव और रेत के जमाव की निगरानी करनी चाहिए, जबकि लोक निर्माण विभाग को अदालती नियमों का पालन करना होगा. साथ ही परियोजना को हाई कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यनल के आदेशों का भी पालन करना चाहिए. वहीं

पूवुलागिन नानबर्गल एनजीओ ने ट्वीट करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने अभूतपूर्व गति से समुद्र में पेन स्मारक स्थापित करने के लिए पर्याप्त अध्ययन और डेटा के बिना तैयार पर्यावरण प्रभाव आकलन की रिपोर्ट को मंजूरी दी है, यह एक बहुत ही गलत प्रतिमान है.

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