नई दिल्ली : बिजली की बढ़ती मांग और कुछ इलाकों में कमी से चिंतित केंद्र ने पावर जेनेरेशन कंपनियों से उर्जा उत्पादन को बढ़ाने का निर्देश दिया है. उर्जा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि बिजली मंत्रालय ने उत्पादन कंपनियों को कहा है कि अपने प्लांटों में पावर जेनेरेशन को अधिकतम करें. साथ ही मंत्रालय ने चिंता व्यक्त की कि घरेलू कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के प्रयासों के बावजूद, आवश्यकता और आपूर्ति के बीच अभी भी अंतर है, जिसके कारण उत्पादन स्टेशनों पर कोयले का स्टॉक चिंताजनक दर से कम हो रहा है.
डिमांड और सप्लाई में अंतर के मद्देनजर मंत्रालय ने पाया कि आयातित कोयले का 10 प्रतिशत तक सम्मिश्रण (ब्लेंडिंग) निर्धारित के अनुसार नहीं हो रहा है. कोयले के आरक्षित स्टॉक में गिरावट जारी है, बिजली मंत्रालय ने 18 मई को सभी उत्पादन कंपनियों को निर्देश जारी किया था कि यदि सम्मिश्रण के लिए कोयले के आयात का आदेश 31 मई तक नहीं दिया जाता है, और आयातित कोयला 15 जून तक बिजली संयंत्रों में आना शुरू नहीं होता है, तो डिफॉल्टरों को ब्लेंडिंग के लिए 15 प्रतिशत की सीमा तक कोयले का आयात अक्टूबर तक करना होगा.
वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर मंत्रालय ने कहा कि इन संयंत्रों के लिए बिलिंग और भुगतान की व्यवस्था बिजली खरीद समझौते के अनुसार होगी. तथापि, पर्याप्त नकदी प्रवाह के साथ कोयला आयात करने वाली उत्पादक कंपनियों को सक्षम बनाने के लिए उनके द्वारा साप्ताहिक आधार पर अनंतिम बिलिंग की जाएगी. इसके अलावा, खरीददारों द्वारा अनंतिम बिल का कम से कम 15 प्रतिशत भुगतान बिल प्राप्त होने की तारीख से एक सप्ताह के भीतर किया जाएगा.
यह अनंतिम बिलिंग और भुगतान अंतिम बिलिंग के दौरान समाधान और पीपीए के अनुसार मासिक आधार पर भुगतान के अधीन होगा. साप्ताहिक अस्थाई बिल का 15 प्रतिशत भुगतान नहीं होने की स्थिति में उत्पादन कंपनी 15 प्रतिशत बिजली पावर एक्सचेंज में बेचने के लिए स्वतंत्र होगी. उत्पादन कंपनियां आयातित कोयले के साथ सम्मिश्रण सुनिश्चित करेंगी और मौजूदा मानदंडों और समय-समय पर मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार कोयले का स्टॉक बनाए रखेंगी. निर्देश 31 मार्च, 2023 तक ऐसे घरेलू कोयला आधारित बिजली संयंत्रों द्वारा सम्मिश्रण के लिए आयातित कोयले के लिए है.
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