नई दिल्ली: सरकार ने उन तमाम मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है जिसमें देशभर में कोरोना से हुई मौत के आंकड़ें को कम करने की बात कही गई है. सरकार ने कहा है कि रिपोर्ट में मौत के सभी आंकड़ों को कोविड से जोड़ा गया है जो पूरी तरह से तथ्यहीन और भ्रांतिपूर्ण हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में मजबूत मृत्यु पंजीकरण प्रणाली है, जिसमें मौतों के आंकड़ों का गायब होने या कम होने की संभावना नहीं है.
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भ्रामक और तथ्यों से परे हैं आंकड़े
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आरोप लगाया गया है कि महामारी के दौरान भारत में मरने वालों की संख्या लाखों में हो सकती है, आधिकारिक COVID-19 की मौत को काफी कम बताया गया है.
इन रिपोर्ट्स में, हाल के कुछ अध्ययनों के निष्कर्षों का हवाला देते हुए, अमेरिका और यूरोपीय देशों की आयु-विशिष्ट संक्रमण मृत्यु दर (age specific infection fatality rates) का उपयोग भारत में सीरो-पॉज़िटिविटी के आधार पर अधिक मौतों की गणना के लिए किया गया है. सभी तथ्यों और कारकों को दरकिनार करके मौत के आंकड़ों तक इस धारणा से पहुंचा गया है कि किसी भी संक्रमित व्यक्ति के मरने की संभावना पूरे देश में समान है.
"इसके अलावा, रिपोर्ट मानती है कि सभी अतिरिक्त मौत COVID-19 से हुई हैं, जो तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और पूरी तरह से गलत हैं. अत्यधिक मृत्यु दर एक शब्द है जिसका उपयोग सभी कारणों से मृत्यु दर का वर्णन करने के लिए किया जाता है. ऐसे में ये आंकड़े भ्रामक हैं."
भारत के पास कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की रणनीति है, संक्रमित या उसके संपर्क में आए लोगों के परीक्षण किए जाते हैं. संक्रमित मामले वो माने जाते हैं जो आरटीपीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाते हैं. इसके अलावा, देश में 2,700 से अधिक परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं. टेस्टिंग की इतनी बड़ी उपलब्धता और जागरुकता से लोगों को लक्षण के बाद इलाज मिलता है.
देश में मजबूत मृत्यु पंजीकरण प्रणाली
भारत में मजबूत और क़ानून-आधारित मृत्यु पंजीकरण प्रणाली को देखते हुए, मौत के आंकड़ों में चूक की संभावना नहीं है. देश में मृत्यु दर की बात करें तो 31 दिसंबर 2020 को 1.45 प्रतिशत थी और अप्रैल-मई 2021 में दूसरी लहर में अप्रत्याशित उछाल के बाद भी, मृत्यु दर आज 1.34 प्रतिशत है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के मुताबिक देश में दैनिक नए मामलों और मौतों की रिपोर्टिंग एक तय नियम से होती है. जहां जिले राज्य सरकारों और केंद्रीय मंत्रालय को निरंतर आधार पर मामलों और मौतों की संख्या की रिपोर्ट करते हैं.
मई 2020 की शुरुआत में, रिपोर्ट की जा रही मौतों की संख्या में असंगति या भ्रम से बचने के लिए, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने सभी मौतों की सही रिकॉर्डिंग के लिए 'भारत में COVID-19 से संबंधित मौतों की उचित रिकॉर्डिंग के लिए मार्गदर्शन' जारी किया. जो कि WHO द्वारा तय नियमों के बाद सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा अपनाया गया.
राज्यों से मिले आंकड़े प्रकाशित किए जाते हैं
राज्यसभा में अपने बयान में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने COVID-19 मौतों को छिपाने के आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि केंद्र सरकार केवल राज्य सरकारों द्वारा भेजे गए आंकड़ों को संकलित और प्रकाशित करती है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय बार-बार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा-निर्देशों के अनुसार मौतों की रिकॉर्डिंग के लिए सलाह देता रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी नियमित रूप से जिलेवार मामलों और मौतों की दैनिक आधार पर निगरानी के लिए एक मजबूत रिपोर्टिंग तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया है. राज्यों को सलाह दी गई है कि वे अपने अस्पतालों में पूरी तरह से ऑडिट करें और किसी भी ऐसे मामले या मौतों की रिपोर्ट करें जो जिले और तारीख-वार विवरण के साथ छूट सकते हैं.
(PTI)