श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने कहा कि केंद्र सरकार को कश्मीर मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के लोगों के साथ बातचीत करनी चाहिए ताकि 'रक्तपात' यहीं खत्म हो. एक संवाददाता सम्मेलन में महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उनकी पार्टी की 'राजनीतिक मामलों की समिति' ने आज एक महत्वपूर्ण बैठक की जिसमें कश्मीर मुद्दे पर केंद्र सरकार और पाकिस्तान के बीच बातचीत सहित प्रस्ताव पारित किए गए.
पार्टी के प्रस्ताव में कहा गया है, 'जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद के प्रसार को भाजपा सरकार द्वारा सबसे संवेदनशील क्षेत्र के कुप्रबंधन के बारे में देश के लिए एक चेतावनी के तौर पर देखा जाना चाहिए.' पार्टी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के साथ नियंत्रण रेखा के जरिये व्यापार फिर से शुरू करने की अपनी मांग भी दोहरायी. उन्होंने कहा कि 4 अगस्त 2019 की स्थिति बहाल होनी चाहिए और जम्मू-कश्मीर के अन्य राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर उनका समर्थन करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास में विफल रही है और उनकी टारगेट किलिंग को रोकने में भी विफल रही है. पीडीपी अध्यक्ष ने वादा किया है कि कश्मीरी पंडितों को फिर से बसाया जाएगा और सम्मानजनक तरीके से वापस किया जाएगा और 52 लाख मतदाताओं को मतदाता सूची में शामिल करके, भाजपा जम्मू-कश्मीर के जनसंख्या अनुपात को बदलने की कोशिश कर रही है जिसके बुरे परिणाम होंगे. उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहां इजरायल की तरह कश्मीर में जनसंख्या अनुपात को बदलने की कोशिशों को विफल कर दिया जाएगा क्योंकि न तो भारत इजरायल है और न ही कश्मीर फिलिस्तीन है. भाजपा सरकार में सबसे अधिक भ्रष्टाचार सब-इंस्पेक्टर, वित्तीय लेखा सहायक और कनिष्ठ अभियंता के पदों को रद्द करने से होता है. महबूबा ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी दल के शीर्ष नेता इन धांधली में शामिल हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि जेलों में बंद कश्मीरी युवाओं को रिहा किया जाए.
साथ ही कहा गया कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) उन राजनीतिक संगठनों को बिना शर्त समर्थन देने का वादा किया जो जम्मू-कश्मीर के लोगों के 'अधिकारों और सम्मान की बहाली' के लिए संघर्ष में शामिल होने के वास्ते तैयार हैं. पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (PAC) की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया. इसमें पीडीपी ने भारत के संविधान में निहित राज्य की गरिमा और संवैधानिक अधिकारों को बहाल करने के लिए एकजुट संघर्ष पर जोर दिया.
यह बयान इस संकेत के बीच आया है कि केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव अगले साल की शुरुआत में हो सकते हैं. नेशनल कांफ्रेंस में एक वर्ग ने हाल ही में आरोप लगाया था कि पार्टी के साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है और उसे सभी सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी करनी चाहिए. नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी के साथ गुपकर गठबंधन के महत्वपूर्ण घटकों में शामिल है. प्रस्ताव में कहा गया है, '(PDP) पार्टी भारत के संविधान में निहित राज्य की गरिमा और संवैधानिक अधिकारों को बहाल करने के लिए एकजुट संघर्ष का आह्वान करती है. पार्टी इस संयुक्त लड़ाई में अन्य राजनीतिक दलों को बिना शर्त समर्थन देगी और दूसरों के समर्थन का स्वागत करेगी.'
गुपकार घोषणापत्र गठबंधन (PAGD) ने दिसंबर 2020 के जिला विकास परिषद के चुनावों में हिस्सा लिया था. पीएसी की बैठक में वर्तमान राजनीतिक हालात और जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के उपायों पर चर्चा हुई. पीडीपी के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह निर्णय लिया गया कि पीडीपी निर्वाचन क्षेत्र के स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के लिए एक जनसंपर्क कार्यक्रम शुरू करेगी. पीडीपी ने क्षेत्र में रक्तपात समाप्त करने के लिए जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ ही साथ ही पाकिस्तान के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए केंद्र से आह्वान करने के अपने रुख को दोहराया. पीडीपी ने इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्र के लिए स्थायी शांति और समृद्धि का मार्ग 'जम्मू कश्मीर से होकर गुजरता है.'
प्रस्ताव में कहा गया है, 'हम जम्मू-कश्मीर मुद्दे के बाहरी और आंतरिक आयामों के समाधान को लेकर संघर्ष के वास्ते पीडीपी के मूल चार्टर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं. हम भारत सरकार से यहां रक्तपात समाप्त करने के लिए जम्मू-कश्मीर के लोगों और पाकिस्तान, दोनों के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का अनुरोध करते हैं.' प्रस्ताव में कहा गया है, 'इसके लिए पार्टी महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में सभी संवैधानिक, लोकतांत्रिक और अहिंसक तरीकों से प्रयास करेगी.' इसने कहा कि पीडीपी जम्मू-कश्मीर राज्य के लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली का स्पष्ट रूप से आह्वान करती है. उसने कहा, 'राज्य का दर्जा और संविधान को असंवैधानिक तरीके से रद्द करने को पलटने की जरूरत है. पांच अगस्त, 2019 के सभी असंवैधानिक कदम और तब से, राज्य के लोगों के अधिकारों को छीनने, उन्हें शक्तिहीन करने और अपमानित करने के लिए उठाये गए कदम पार्टी को अस्वीकार्य हैं.'
पार्टी ने 'निहत्थे नागरिकों, विशेष रूप से हमारे पंडित समुदाय पर लक्षित हमलों के बारे में गहरी चिंता और पीड़ा व्यक्त की,' और इसे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में सरकार की विफलता रेखांकित की. इस प्रस्ताव में कहा गया है, 'यह देखना पीड़ादायक है कि कई दशकों के दौरान सभी हितधारकों के प्रयास, विशेष रूप से 2002 के बाद पंडित समुदाय का सम्मान के साथ पुनर्वास करने प्रयासों को गंभीर झटका लगा है. पीडीपी विस्थापित परिवारों को सम्मान और आर्थिक सशक्तिकरण के साथ वापस लाने की प्राथमिकता के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराती है.' पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर राज्य में जनसांख्यिकीय परिवर्तन का भी आरोप लगाया. पीडीपी के प्रस्ताव में कहा गया, 'यह कुटिल योजना एक धर्मनिरपेक्ष, समावेशी भारत के साथ आने के हमारे पूर्वजों के सपनों और निर्णय के आधार पर प्रहार करती है. यह विडंबना है कि दक्षिण एशिया का एकमात्र राज्य जिसने विभाजन के सांप्रदायिक तर्क को खारिज कर दिया, अब संख्या के आक्रमण का सामना कर रहा है.'
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