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केंद्र ने कर्नाटक उच्च न्यायालय से कहा, ट्विटर ने देश के कानूनों का उल्लंघन किया - twitter social media platform

एमईआईटीवाई ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी आपत्तियों के संबंध में दायर बयान में ट्विटर को देश के कानूनों का उल्लंघन करने वाला सोशल मीडिया मंच बताया है.

Center told Karnataka High Court, Twitter violated the laws of the countryEtv Bharat
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Published : Sep 2, 2022, 12:54 PM IST

बेंगलुरु: केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी आपत्तियों के संबंध में दायर 101 पन्नों के बयान में ट्विटर को देश के कानूनों का उल्लंघन करने वाला सोशल मीडिया मंच बताया है. मामले पर आठ सितंबर को सुनवाई की जाएगी. एमईआईटीवाई ने बृहस्पतिवार को अदालत के समक्ष अपना बयान दाखिल किया.

मंत्रालय ने कहा, 'याचिकाकर्ता ने जानबूझकर कानूनों का अनुपालन नहीं किया और उनकी अवज्ञा की. प्रतिवादी नंबर-2 के जवाब और 27 जून 2022 को कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद ही याचिकाकर्ता ने अचानक उन दिशा-निर्देशों पर अमल किया, जिनका पालन वह पहले नहीं कर रहा था.' केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा रोक के संबंध में जारी किए गए 10 अलग-अलग आदेशों के खिलाफ ट्विटर इंक ने उच्च न्यायालय का रुख किया है.

ये आदेश दो फरवरी 2021 से 28 फरवरी 2022 के बीच के हैं. इनमें अकाउंट, ट्वीट, यूआरएल और हैशटैग को ब्लॉक करने से जुड़े आदेश शामिल हैं. केंद्र ने कहा कि ट्विटर की देश की सुरक्षा में कोई भूमिका नहीं है और सुरक्षा से जुड़े सभी फैसले सरकार ही कर सकती है. सरकार ने कहा, 'जब सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़ा कोई मुद्दा उठता है तो सरकार कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार होती है, न कि कोई मंच.

ये भी पढ़ें- कर्नाटक पुलिस ने प्रसिद्ध मठ के महंत शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू को किया गिरफ्तार

इसलिए, कौन-सी सामग्री राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े मुद्दों के लिए सही है या नहीं, इसे तय करने की अनुमति मंच को नहीं दी जा सकती. सरकार ने कहा कि इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले 84 करोड़ से अधिक भारतीयों को भारत विरोधी प्रचार, फर्जी खबरों और नफरत भरे भाषणों से बचाना उसकी जिम्मेदारी है.

बेंगलुरु: केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी आपत्तियों के संबंध में दायर 101 पन्नों के बयान में ट्विटर को देश के कानूनों का उल्लंघन करने वाला सोशल मीडिया मंच बताया है. मामले पर आठ सितंबर को सुनवाई की जाएगी. एमईआईटीवाई ने बृहस्पतिवार को अदालत के समक्ष अपना बयान दाखिल किया.

मंत्रालय ने कहा, 'याचिकाकर्ता ने जानबूझकर कानूनों का अनुपालन नहीं किया और उनकी अवज्ञा की. प्रतिवादी नंबर-2 के जवाब और 27 जून 2022 को कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद ही याचिकाकर्ता ने अचानक उन दिशा-निर्देशों पर अमल किया, जिनका पालन वह पहले नहीं कर रहा था.' केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा रोक के संबंध में जारी किए गए 10 अलग-अलग आदेशों के खिलाफ ट्विटर इंक ने उच्च न्यायालय का रुख किया है.

ये आदेश दो फरवरी 2021 से 28 फरवरी 2022 के बीच के हैं. इनमें अकाउंट, ट्वीट, यूआरएल और हैशटैग को ब्लॉक करने से जुड़े आदेश शामिल हैं. केंद्र ने कहा कि ट्विटर की देश की सुरक्षा में कोई भूमिका नहीं है और सुरक्षा से जुड़े सभी फैसले सरकार ही कर सकती है. सरकार ने कहा, 'जब सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़ा कोई मुद्दा उठता है तो सरकार कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार होती है, न कि कोई मंच.

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इसलिए, कौन-सी सामग्री राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े मुद्दों के लिए सही है या नहीं, इसे तय करने की अनुमति मंच को नहीं दी जा सकती. सरकार ने कहा कि इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले 84 करोड़ से अधिक भारतीयों को भारत विरोधी प्रचार, फर्जी खबरों और नफरत भरे भाषणों से बचाना उसकी जिम्मेदारी है.

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