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केंद्र ने त्वरित सुनवायी अदालतों का संचालन शुरू करने पर दिया जोर

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Published : Oct 24, 2021, 5:02 PM IST

केंद्र ने यौन अपराधों के मामलों में पीड़ितों को जल्द न्याय दिलाने के लिए दो साल पहले गांधी जयंती पर शुरू की गई त्वरित सुनवायी अदालतों को संचालित करने को लेकर कुछ राज्यों पर नये सिरे से जोर दिया है.

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नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने 2018 में आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम के पारित होने के बाद, 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1,023 त्वरित सुनवायी विशेष अदालतें (एफटीएससी) गठित करने का निर्णय लिया था. इनमें से 389 अदालतें विशेष रूप से यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित मामलों से निपटारे के लिए थीं.

कुल इच्छित एफटीएससी के मुकाबले, 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 367 पोक्सो अदालतों सहित 674 ने काम करना शुरू कर दिया. वहीं इस साल अगस्त तक इन अदालतों ने कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन के बावजूद 56,267 मामलों का निपटारा किया है.

सरकारी सूत्रों के अनुसार 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने एफटीएससी योजना के लिए अपनी सहमति दे दी है. पश्चिम बंगाल जिसके लिए 123 ऐसी अदालतें निर्धारित की गई थीं, अंडमान और निकोबार जिसे एक एफटीएससी प्राप्त होनी थी और अरुणाचल प्रदेश, जिसे तीन एफटीएससी निर्धारित की गई थी ने अभी तक अपनी सहमति नहीं दी है.

अरुणाचल प्रदेश ने कानून मंत्रालय में न्याय विभाग को बताया है कि फिलहाल मामलों की संख्या कम होने के कारण राज्य में ऐसी अदालतों की आवश्यकता नहीं है. सूत्रों ने बताया कि गोवा को दो एफटीएससी निर्धारित की गई थीं. सूत्रों ने कहा कि गोवा ने एक एफटीएससी के लिए सहमति दी है लेकिन इसे अभी तक चालू नहीं किया गया है.

राज्यों की सहमति जरूरी है क्योंकि एफटीएससी केंद्र प्रायोजित योजना का हिस्सा है, जिसके लिए राशि में केंद्र और राज्य दोनों का योगदान होता है. न्याय विभाग उन राज्यों से संचार कर रहा है जिन्होंने उनके लिए निर्धारित सभी या कुछ एफटीएससी को अभी तक शुरू नहीं किया है. सूत्रों ने कहा कि हाल ही में इन राज्यों को नए पत्र भेजे गए हैं.

ऐसे 10 राज्य हैं जिनके द्वारा उन्हें निर्धारित सभी एफटीएससी का संचालन करना बाकी है. उदाहरण के लिए, आंध्र प्रदेश ने ऐसी 18 में से नौ अदालतों का संचालन शुरू किया है. बिहार को 54 एफटीएससी निर्धारित की गई थी लेकिन अब तक 45 अदालतें शुरू की गई हैं.

इसी तरह, 138 के कोटे के साथ महाराष्ट्र ने अब तक 33 ऐसी अदालतों का संचालन किया है. उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, तमिलनाडु और नागालैंड सहित 17 राज्य ऐसे हैं जिन्होंने उनके लिए निर्धारित सभी एफटीएससी का कामकाज शुरू कर दिया है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने 2018 में आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम के पारित होने के बाद, 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1,023 त्वरित सुनवायी विशेष अदालतें (एफटीएससी) गठित करने का निर्णय लिया था. इनमें से 389 अदालतें विशेष रूप से यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित मामलों से निपटारे के लिए थीं.

कुल इच्छित एफटीएससी के मुकाबले, 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 367 पोक्सो अदालतों सहित 674 ने काम करना शुरू कर दिया. वहीं इस साल अगस्त तक इन अदालतों ने कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन के बावजूद 56,267 मामलों का निपटारा किया है.

सरकारी सूत्रों के अनुसार 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने एफटीएससी योजना के लिए अपनी सहमति दे दी है. पश्चिम बंगाल जिसके लिए 123 ऐसी अदालतें निर्धारित की गई थीं, अंडमान और निकोबार जिसे एक एफटीएससी प्राप्त होनी थी और अरुणाचल प्रदेश, जिसे तीन एफटीएससी निर्धारित की गई थी ने अभी तक अपनी सहमति नहीं दी है.

अरुणाचल प्रदेश ने कानून मंत्रालय में न्याय विभाग को बताया है कि फिलहाल मामलों की संख्या कम होने के कारण राज्य में ऐसी अदालतों की आवश्यकता नहीं है. सूत्रों ने बताया कि गोवा को दो एफटीएससी निर्धारित की गई थीं. सूत्रों ने कहा कि गोवा ने एक एफटीएससी के लिए सहमति दी है लेकिन इसे अभी तक चालू नहीं किया गया है.

राज्यों की सहमति जरूरी है क्योंकि एफटीएससी केंद्र प्रायोजित योजना का हिस्सा है, जिसके लिए राशि में केंद्र और राज्य दोनों का योगदान होता है. न्याय विभाग उन राज्यों से संचार कर रहा है जिन्होंने उनके लिए निर्धारित सभी या कुछ एफटीएससी को अभी तक शुरू नहीं किया है. सूत्रों ने कहा कि हाल ही में इन राज्यों को नए पत्र भेजे गए हैं.

ऐसे 10 राज्य हैं जिनके द्वारा उन्हें निर्धारित सभी एफटीएससी का संचालन करना बाकी है. उदाहरण के लिए, आंध्र प्रदेश ने ऐसी 18 में से नौ अदालतों का संचालन शुरू किया है. बिहार को 54 एफटीएससी निर्धारित की गई थी लेकिन अब तक 45 अदालतें शुरू की गई हैं.

इसी तरह, 138 के कोटे के साथ महाराष्ट्र ने अब तक 33 ऐसी अदालतों का संचालन किया है. उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, तमिलनाडु और नागालैंड सहित 17 राज्य ऐसे हैं जिन्होंने उनके लिए निर्धारित सभी एफटीएससी का कामकाज शुरू कर दिया है.

(पीटीआई-भाषा)

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