नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कोविड- 19 के इलाज और उसके बेहतर प्रबंधन के लिए विदेशों से मिलने वाली सहायता को विदेशी चंदा (नियमन) कानून 2010 (एफसीआरए) के दायरे से बाहर रखने के बारे में आठ सप्ताह में निर्णय लेने को कहा है.
न्यायालय ने इस संबंध में दायर की गई एक जनहित याचिका (पीआईएल) को ही एफसीआरए से छूट दिये जाने के बारे में मांग पत्र मान लेने को कहा है. इसमें कहा गया है कि गैर- सरकारी संगठनों (एनजीओ) को विदेशों से आक्सीजन कंसन्ट्रेटर, दवायें और दूसरी प्रकार की सामग्री के तौर पर मिलने वाली सहायता को विदेशी चंदा नियमन कानून 2010 से छूट दी जानी चाहिए. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्याति सिंह की पीठ ने केन्द्र सरकार से कहा है कि वह इस संबंध में मामले के तथ्यों को देखते हुये व्याप्त नियमों, विनियमनों और सरकारी नीति के मुताबिक जल्द से जल्द फैसला ले और संभव हो तो आदेश मिलने के आठ सप्ताह के भीतर निर्णय ले ले.
इस आदेश के साथ ही न्यायालय ने एक धर्मार्थ संगठन श्री सांई कृपा सोसायटी की याचिका का निपटान कर दिया. यह संगठन ग्रेटर नोएडा में सांई अक्षरधाम में एक चिकित्सा केन्द्र का प्रबंधन करने का दावा करता है. केन्द्र को सर गंगा राम अस्पताल और राष्ट्रीय ह्रदय संस्थान की मदद से चलाया जाता है.
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शुल्क मुक्त आयात करने की अनुमति
संगठन ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकार ने लोगों को व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिये आक्सीजन कंसन्ट्रेटर आदि कुछ सामानों का शुल्क मुक्त आयात करने की अनुमति दी है. इस तरह की सुविधा याचिकाकर्ता जैसे एनजीओ को भी मिलनी चाहिये ताकि वह उन लोगों की मदद कर सकें जो सीधे इस तरह के सामान को विदेश से नहीं मंगा सकते हैं.