हैदराबाद : कोविड संकट के समय में विपक्षी पार्टियों ने जवाबदेही के साथ अपनी भूमिका निभाई है. करीब 10 दिन पहले इन पार्टियों ने सरकार से ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने और पूरी आबादी के लिए मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाने की अपील की थी. लेकिन सरकार ने उनकी इस अपील का कोई जवाब नहीं दिया. इसके बाद 12 विपक्षी पार्टियों और चार मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री को फिर से चिट्ठी लिखी. इन्होंने मुफ्त टीकाकरण के साथ-साथ कोविड पर नियंत्रण लगाने के लिए सरकार से पर्याप्त कदम उठाने की गुजारिश की. कोविड संकट की निराशाजनक परिस्थिति की वजह से विपक्षी पार्टियों ने सरकार से ऐसी अपील की.
वैक्सीन के मामले में दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक होने के बावजूद भारत आज टीका संकट से जूझ रहा है. यह दर्शाता है कि हमारी योजना कितनी कमजोर थी. सालों से भारत सार्वभौम मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाता रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने भी एक मामले की सुनवाई के दौरान पूछा था कि सरकार ने कोविड पर लगाम लगाने के लिए मुफ्त टीकाकरण अभियान पर विचार क्यों नहीं किया. कोर्ट ने सवाल किया कि महामारी और लॉकडाउन की वजह के समाज के गरीब तबकों की गिरती आमदनी का भी आपने ध्यान नहीं रखा, आखिर ये लोग खर्च का वहन कैसे करेंगे. इस पृष्ठभूमि में देखें तो विपक्ष का सवाल पूरी तरह से सही मालूम पड़ता है.
अनुमान लगाए जा रहे हैं कि जुलाई तक वैक्सीन की दिक्कत जारी रहेगी. ऑक्सीजन और अन्य जीवन रक्षक दवाओं का भी संकट है. ऐसे में राज्यों के सहयोग से केंद्र को स्थिति सुधारने के लिए अविलंब कदम उठाए की जरूरत है.
करीब 14 महीनों के बाद इंगलैंड कोविड से होने वाली मौत पर पूरी तरह से रोक लगाने से सफल हो गया. नए मामले भी बहुत कम संख्या में आ रहे हैं. लेकिन भारत में अभी भी तीन लाख से अधिक मरीजों की संख्या की रिपोर्टिंग की जा रही है. 13 राज्य बुरी तरह से प्रभावित हैं. कुल मिलाकर अब तक 2.37 करोड़ कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं. 2.6 लाख की मौत हो चुकी है. हालांकि, हर दिन होने वाली मौत की संख्या अब चार हजार के नीचे पहुंच गई है. इस भयावह स्थिति में भारतीय मेडिकल अनुसंधान परिषद ने 530 जिलों में आठ सप्ताह के लॉकडाउन की अनुशंसा की है. ये वैसे जिले हैं, जहां 10 फीसदी से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं.
अगर दो महीने से अधिक के लिए लॉकडाउन लगा दिया जाता है, तो मजदूरों और श्रमिकों की क्या स्थिति होगी, यह किसी से छिपी नहीं है. लॉकडाउन की वजह से सबसे अधिक तकलीफ और समस्या इसी वर्ग को झेलनी पड़ी. मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने चेतावनी दी है कि भारत आजीविका के एक बड़े संकट के मुहाने पर खड़ा है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन और कोरोना की वजह से उनकी बचत खत्म हो चुकी है. ऐसे में उन्हें मदद की जरूरत है. उन्होंने कहा कि गरीबों को तत्काल नकदी से मदद की जाए, तभी उन्हें राहत मिल सकेगी.
यहां यह बतलाना उचित होगा कि अमेरिका में बाइडेन सरकार ने बेरोजगारी भत्ता और छोटे व्यवसायियों की मदद के लिए 138 लाख करोड़ के वित्तीय पैकेज की घोषणा की है.
भारत में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के साथ-साथ दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों को प्रवासी मजदूरों को राशन देने का निर्देश दिया है. ऐसी पहल तो सरकार को खुद करनी चाहिए थी. सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति भूखा न मरे. भारत में अनाज के भंडार का उचित उपयोग कैसे किया जा सकता है, सरकार को इसकी योजना बनानी चाहिए ताकि करोड़ों लोगों को मदद मिल सके.