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केंद्र ने समीक्षा बैठक में शामिल न होने पर अलपन बनर्जी को कारण बताओ नोटिस भेजा

पश्चिम बंगाल (West Bengal) के अलपन बनर्जी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा यास आपदा की समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक में उपस्थित नहीं होने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

अलपन बनर्जी
अलपन बनर्जी
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Published : Jun 1, 2021, 3:45 PM IST

Updated : Jun 1, 2021, 7:24 PM IST

कोलकाता : पूर्व मुख्य सचिव अलपन बनर्जी (Alapan Banerjee) के संन्यास के बाद भी केंद्र और राज्यों के बीच तनातनी में कमी के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं. इसी क्रम में मोदी सरकार ने अलपन को कारण बताओ नोटिस भेजा है.

पश्चिम बंगाल (West Bengal) के अलपन बनर्जी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा यास आपदा की समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक में उपस्थित नहीं होने के कारण यह नोटिस जारी किया गया है.केंद्र सरकार ने उन्हें आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों (Disaster Management Act) के तहत नोटिस भेजा है.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि बंदोपाध्याय को सेवानिवृत्ति से कुछ घंटे पहले, सोमवार को केंद्र सरकार के आदेश का पालन करने से इंकार करने की वजह से नोटिस जारी किया गया.

अधिकारी के अनुसार, केंद्र सरकार के आदेश का पालन से इंकार करना आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51-बी का उल्लंघन होता है.

मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि बंदोपाध्याय से तीन दिन के अंदर नोटिस का जवाब देने को कहा गया है.

पश्चिम बंगाल कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी बंदोपाध्याय 60 वर्ष के होने पर सोमवार को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन केंद्र ने कोविड-19 महामारी के प्रबंधन में उनके काम को देखते हुए उन्हें पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के रूप में तीन महीने का कार्य विस्तार दिया था.

इसके बाद, केंद्र ने एक आकस्मिक फैसले में 28 मई को बंदोपाध्याय की सेवाएं मांगी थीं और राज्य सरकार को प्रदेश के शीर्ष नौकरशाह को तत्काल कार्यमुक्त करने को कहा था.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मामले पर सोमवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और बंदोपाध्याय को सेवानिवृत्त होने की अनुमति देने के बाद उन्हें तीन साल के लिए अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त कर दिया.

धारा 51 (बी) के अनुसार, जो कोई भी इस अधिनियम के तहत केंद्र सरकार या राज्य सरकार या राष्ट्रीय कार्यकारी समिति या राज्य कार्यकारी समिति या जिला प्राधिकरण द्वारा या उसकी ओर से दिए गए किसी भी निर्देश का पालन करने से इनकार करता है तो उस पर दोष सिद्ध होने पर जुर्माना लगाया या सकता है या एक साल के कारावास अथवा दोनों सजाएं दी जा सकती हैं.

पढ़ें - ले. ज. प्रदीप चंद्रन नायर बने असम राइफल्स के नए महानिदेशक

सेवानिवृत अधिकारी बंदोपाध्याय को तीन दिन में गृह मंत्रालय को लिखित में यह बताने के लिये कहा गया है कि उनके खिलाफ अधिनियम के इन प्रावधानों के तहत कार्रवाई क्यों न की जाए.

इससे पहले कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने बंदोपाध्याय को सोमवार तक दिल्ली पहुंचने का निर्देश दिया था.

केन्द्र ने बंदोपाध्याय को दिल्ली बुलाने का आदेश चक्रवाती तूफान 'यास' पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक में नहीं रुकने के लिये दिया था.

हालांकि वह दिल्ली नहीं आए. राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा तीन महीने का सेवा विस्तार स्वीकार करने के बजाय उन्होंने सेवानिवृत्त होने का फैसला लिया.

कोलकाता : पूर्व मुख्य सचिव अलपन बनर्जी (Alapan Banerjee) के संन्यास के बाद भी केंद्र और राज्यों के बीच तनातनी में कमी के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं. इसी क्रम में मोदी सरकार ने अलपन को कारण बताओ नोटिस भेजा है.

पश्चिम बंगाल (West Bengal) के अलपन बनर्जी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा यास आपदा की समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक में उपस्थित नहीं होने के कारण यह नोटिस जारी किया गया है.केंद्र सरकार ने उन्हें आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों (Disaster Management Act) के तहत नोटिस भेजा है.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि बंदोपाध्याय को सेवानिवृत्ति से कुछ घंटे पहले, सोमवार को केंद्र सरकार के आदेश का पालन करने से इंकार करने की वजह से नोटिस जारी किया गया.

अधिकारी के अनुसार, केंद्र सरकार के आदेश का पालन से इंकार करना आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51-बी का उल्लंघन होता है.

मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि बंदोपाध्याय से तीन दिन के अंदर नोटिस का जवाब देने को कहा गया है.

पश्चिम बंगाल कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी बंदोपाध्याय 60 वर्ष के होने पर सोमवार को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन केंद्र ने कोविड-19 महामारी के प्रबंधन में उनके काम को देखते हुए उन्हें पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के रूप में तीन महीने का कार्य विस्तार दिया था.

इसके बाद, केंद्र ने एक आकस्मिक फैसले में 28 मई को बंदोपाध्याय की सेवाएं मांगी थीं और राज्य सरकार को प्रदेश के शीर्ष नौकरशाह को तत्काल कार्यमुक्त करने को कहा था.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मामले पर सोमवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और बंदोपाध्याय को सेवानिवृत्त होने की अनुमति देने के बाद उन्हें तीन साल के लिए अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त कर दिया.

धारा 51 (बी) के अनुसार, जो कोई भी इस अधिनियम के तहत केंद्र सरकार या राज्य सरकार या राष्ट्रीय कार्यकारी समिति या राज्य कार्यकारी समिति या जिला प्राधिकरण द्वारा या उसकी ओर से दिए गए किसी भी निर्देश का पालन करने से इनकार करता है तो उस पर दोष सिद्ध होने पर जुर्माना लगाया या सकता है या एक साल के कारावास अथवा दोनों सजाएं दी जा सकती हैं.

पढ़ें - ले. ज. प्रदीप चंद्रन नायर बने असम राइफल्स के नए महानिदेशक

सेवानिवृत अधिकारी बंदोपाध्याय को तीन दिन में गृह मंत्रालय को लिखित में यह बताने के लिये कहा गया है कि उनके खिलाफ अधिनियम के इन प्रावधानों के तहत कार्रवाई क्यों न की जाए.

इससे पहले कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने बंदोपाध्याय को सोमवार तक दिल्ली पहुंचने का निर्देश दिया था.

केन्द्र ने बंदोपाध्याय को दिल्ली बुलाने का आदेश चक्रवाती तूफान 'यास' पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक में नहीं रुकने के लिये दिया था.

हालांकि वह दिल्ली नहीं आए. राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा तीन महीने का सेवा विस्तार स्वीकार करने के बजाय उन्होंने सेवानिवृत्त होने का फैसला लिया.

Last Updated : Jun 1, 2021, 7:24 PM IST
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