नई दिल्ली। जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में शनिवार को कहा गया कि बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए नियम बनाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है. सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन के लिए कोई उचित कदम नहीं उठाए हैं.
- बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी. उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय के एक हलफनामे के खिलाफ अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह किसी को परिवार नियोजन के लिए बाध्य नहीं कर सकता है. उन्होंने तर्क दिया कि जनसंख्या का बढ़ना कई समस्याओं का मूल कारण है. आबादी बढ़ने से लोगों को रोटी, कपड़ा, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, जंगल, जमीन, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित होना पड़ सकता है. एक सर्वे का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 80 प्रतिशत अपराधी और दोषी ऐसे हैं जिनके माता-पिता ने 'हम दो हमारे दो' नीति की पालन नहीं किया है.
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- सब्सिडी लेने वाले लोग नहीं करते पॉलिसी का पालन
वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर याचिका में कहा कि टैक्स अदा करने वाले करदाता इन पॉलिसी का पालन करते हैं, लेकिन रोटी, कपड़ा, मकान की सब्सिडी लेने वाले लोग इसका पालन नहीं करते हैं. भगवान राम ने भी हजारों वर्ष पहले हम दो हमारे दो पॉलिसी का पालन किया था. उन्होंने कहा कि प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण उपायों को लागू किए बिना, स्वस्थ भारत, साक्षर भारत, समृद्ध भारत , साधन संपन्न भारत, सशक्त भारत, सुरक्षित भारत, संवेदनशील भारत, स्वच्छ भारत, भ्रष्टाचार और अपराध मुक्त भारत के लिए तलाए जा रहे अभियान सफल नहीं होंगे.
अश्विनी उपाध्याय ने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं को ज्यादा बच्चों को जन्म देने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इससे उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है और कई बार उन्हें गंभीर जोखिमों को सामना करना पड़ता है.अब इस याचिका पर कोर्ट में 5 जुलाई को अगली सुनवाई होगी.