नई दिल्ली : सरकार ने आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) में शामिल ज्यादातर दवाओं के अधिकतम मूल्य की सीमा तय कर दी है जिसके चलते अप्रैल से 651 दवाओं के दाम औसतन 6.73 प्रतिशत घट गए हैं. राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने सोमवार को यह जानकारी दी. एनपीपीए ने ट्वीट कर कहा कि सरकार एनएलईएम में सूचीबद्ध कुल 870 दवाओं में से अबतक 651 के अधिकतम मूल्य को तय कर पाई है.
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This means that the increase in the prices of essential medicines due to WPI from April 1, 2023, will be offset by the average reduction in the valid ceiling prices of 651 essential medicines. Overall, this news is important for Indian readers as it affects the prices of…
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— ANI (@ANI) April 3, 2023
इस पृष्ठभूमि में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार के इस कदम से उपभोक्ताओं को सालाना 3,500 करोड़ रुपये की बचत हो सकेगी. दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कुछ आवश्यक दवाओं की कीमतों में कथित वृद्धि को लेकर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि उन्होंने (मोदी) लोगों की जेब काटने की सुपारी ली है.
खड़गे के दावों के जवाब में मांडविया ने लगातार कई ट्वीट किए जिनमें कहा कि 870 आवश्यक दवाओं में से 651 के अधिकतम मूल्य सरकार अधिसूचित कर चुकी है जिससे एनएलईएम के तहत सूचीबद्ध दवाओं के दाम नीचे आ गए हैं. उन्होंने खड़गे के ट्विटर हैंडल को टैग करके लिखा कि दवाओं के अधिकतम मूल्य को मंजूरी देने से दाम औसतन 16.62 प्रतिशत घट गए, इसके परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं को सालाना 3,500 करोड़ रुपये की अनुमानित बचत होगी.
कांग्रेस अध्यक्ष ने ऐसे वक्त हमला बोला जब मीडिया में ऐसी खबरें आयी हैं कि एक अप्रैल से 384 आवश्यक दवाओं और 1,000 से अधिक फॉर्मूलेशन के दाम में 11 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है. मांडविया ने कहा कि दवा कंपनियां हर साल थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आधार पर दवाओं की कीमतों में परिवर्तन करती हैं. इस तरह एक अप्रैल, 2023 से कंपनियां अधिकतम मूल्य के 12.12 प्रतिशत तक दाम बढ़ा सकती है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने एनएलईएम में सितंबर, 2022 में संशोधन किया था और अब इसके दायरे में कुल 870 दवाएं आती हैं.
एनपीपीए का कहना है कि 651 आवश्यक दवाओं का अधिकतम मूल्य तय करने से इनकी औसतम कीमत 16.62 प्रतिशत कम हो चुकी है. उसने बयान में कहा, 'इसके चलते, जिन 651 दवाओं के दाम 12.12 प्रतिशत बढ़ने वाले थे, उनमें एक अप्रैल से 6.73 प्रतिशत की कमी हुई है.' उन्होंने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आधार पर दवाओं के दामों में 12.12 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद उपभोक्ताओं को कीमतों में कमी का लाभ मिलेगा. एनपीपीए ने 25 मार्च को कहा था कि 2022 के लिए डब्ल्यूपीआई में वार्षिक बदलाव 12.12 प्रतिशत है.
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(भाषा)