कुपवाड़ा : जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम समझौता, सैनिकों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है, जिसमें सैनिकों की हताहतों की संख्या कम होती नजर आ रही है. उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में ब्रिगेडियर तापस कुमार मिश्र ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान केरन सेक्टर में लाइन ऑफ कंट्रोल पर हुई एक साक्षात्कार में ये बातें कहीं. तापस कुमार कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में 268 इन्फैंट्री ब्रिगेड का नेतृत्व कर रहे हैं, जहां उनके सैनिक नियंत्रण रेखा की रखवाली करते हैं. यह ब्रिगेड केरन सेक्टर में 55 किमी लंबी एलओसी पर तैनात हैं और निगरानी कर रहा है.
फाकरियन पास में अपने मुख्यालय में एक विशेष साक्षात्कार में ब्रिगेडियर कुमार ने कहा कि चूंकि भारत और पाकिस्तान की सहमति से युद्धविराम है. इस वजह से उनके क्षेत्र में घुसपैठ शून्य है. इन महीनों में पाकिस्तान से नियंत्रण रेखा को पार करने की घुसपैठियों की प्रयास तो किए, जिन्हें रोका गया और पूरी तरह से उनके साजिशों को नाकाम कर दिया गया.
भारत और पाकिस्तान ने फरवरी 2021 में 2003 के संघर्ष विराम समझौते का सम्मान करने पर सहमति व्यक्त की थी.
उन्होंने कहा कि इन 15 महीनों में, दोनों ओर से किसी प्रकार की हिंसा नहीं हुई है. संघर्ष विराम ने एलओसी पर तैनात हमारी सेना की सुरक्षा को सुनिश्चित किया है. दो दशक पहले एलओसी पर बाड़ लगा दी गई थी और तब से निगरानी बढ़ाने के लिए आधुनिक निगरानी उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि तकनीक ने बेहतर निगरानी सुनिश्चित की, लेकिन इसके बावजूद हम सतर्क रहे और जवान तैनात हैं, क्योंकि दुश्मन हमेशा अपनी नापाक हरकतों से देश की शांति को भंग करने की कोशिश में है.
एलओसी के साथ मार्ग हो, जिसके बारे में उसे पता नहीं है, जहां हथियार लाए गए होंगे लेकिन उसके क्षेत्र में कोई भी नहीं गया है और ऐसे तरीके हैं जिनके माध्यम से ये हथियार आ सकते हैं यह पूछे जाने पर कि क्या एफएटीएफ द्वारा पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाए जाने के बाद एलओसी पर स्थिति बढ़ सकती है या घुसपैठ बढ़ सकती है, ब्रिगेडियर ने कहा कि भारत को इंतजार करना होगा और देखना होगा।