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सीबीआई 2020 के अंत तक 683 मामलों की जांच कर रही थी, 30 मामले पांच साल से लंबित : सीवीसी

सीवीसी की रिपोर्ट में देरी के कारणों में 'कोविड-19 महामारी', 'कार्य के बोझ' 'पर्याप्त कार्यबल की कमी', अनुरोध पत्र (एलआर) के जवाब प्राप्त करने में देरी' और 'दस्तावेजों का सत्यापन' जैसे कारणों का उल्लेख किया है.

सीवीसी ने रिपोर्ट जारी की
सीवीसी ने रिपोर्ट जारी की
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Published : Sep 1, 2021, 5:30 AM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सीबीआई 31 दिसंबर 2020 तक भ्रष्टाचार के कुल 683 मामलों की जांच कर रही थी और इनमें से 30 मामलों में पांच साल से अधिक समय से जांच जारी थी. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को आम तौर पर एक साल के भीतर एक पंजीकृत मामले की जांच पूरी करने की आवश्यकता होती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच पूरी होने का मतलब सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी मिलने के बाद, जहां कहीं जरूरी हो, अदालतों में आरोप पत्र दाखिल करना होगा. आयोग ने पाया है कि कुछ मामलों में जांच पूरी करने में कुछ देरी हुई है.

सीवीसी की रिपोर्ट में देरी के कारणों में 'कोविड-19 महामारी', 'कार्य के बोझ' 'पर्याप्त कार्यबल की कमी', अनुरोध पत्र (एलआर) के जवाब प्राप्त करने में देरी' और 'दस्तावेजों का सत्यापन' जैसे कारणों का उल्लेख किया है. सीवीसी की वार्षिक रिपोर्ट 2020 को हाल में समाप्त हुए मॉनसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया गया और मंगलवार को इसकी वेबसाइट पर अपलोड किया गया.

इसमें कहा गया है कि जांच के तहत भ्रष्टाचार के कुल 683 मामलों में से 30 मामले पांच साल से अधिक समय से, 92 मामले तीन साल से अधिक लेकिन पांच साल से कम, 76 मामले दो साल से अधिक लेकिन तीन साल से कम, 155 मामले एक साल से अधिक समय से लंबित थे. वहीं 330 मामले एक वर्ष से कम समय से लंबित थे.

पीटीआई-भाषा

नई दिल्ली: केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सीबीआई 31 दिसंबर 2020 तक भ्रष्टाचार के कुल 683 मामलों की जांच कर रही थी और इनमें से 30 मामलों में पांच साल से अधिक समय से जांच जारी थी. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को आम तौर पर एक साल के भीतर एक पंजीकृत मामले की जांच पूरी करने की आवश्यकता होती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच पूरी होने का मतलब सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी मिलने के बाद, जहां कहीं जरूरी हो, अदालतों में आरोप पत्र दाखिल करना होगा. आयोग ने पाया है कि कुछ मामलों में जांच पूरी करने में कुछ देरी हुई है.

सीवीसी की रिपोर्ट में देरी के कारणों में 'कोविड-19 महामारी', 'कार्य के बोझ' 'पर्याप्त कार्यबल की कमी', अनुरोध पत्र (एलआर) के जवाब प्राप्त करने में देरी' और 'दस्तावेजों का सत्यापन' जैसे कारणों का उल्लेख किया है. सीवीसी की वार्षिक रिपोर्ट 2020 को हाल में समाप्त हुए मॉनसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया गया और मंगलवार को इसकी वेबसाइट पर अपलोड किया गया.

इसमें कहा गया है कि जांच के तहत भ्रष्टाचार के कुल 683 मामलों में से 30 मामले पांच साल से अधिक समय से, 92 मामले तीन साल से अधिक लेकिन पांच साल से कम, 76 मामले दो साल से अधिक लेकिन तीन साल से कम, 155 मामले एक साल से अधिक समय से लंबित थे. वहीं 330 मामले एक वर्ष से कम समय से लंबित थे.

पीटीआई-भाषा

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