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माफिया अतीक अहमद से दोस्ती निभाने वाले CBI अफसर की केंद्रीय गृह मंत्रालय से शिकायत - बसपा विधायक राजू पाल

यूपी अभियोजन विभाग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग से सीबीआई के डीएसपी अमित कुमार की शिकायत की है. ये आरोप लगाए.

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Published : May 8, 2023, 6:20 PM IST

लखनऊ: उमेश पाल अपहरण कांड में माफिया अतीक अहमद से दोस्ती निभाने वाले सीबीआई डीएसपी पर जल्द ही कार्रवाई हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक, यूपी अभियोजन विभाग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग से सीबीआई के डीएसपी अमित कुमार की शिकायत की है. डीएसपी अमित कुमार पर आरोप है कि उन्होंने कोर्ट में उमेश पाल को राजू पाल हत्याकांड का गवाह न होना और उनके अपहरण में अतीक का हाथ न होना बताया था.

यूपी सरकार के अभियोजन विभाग द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजे गए शिकायती पत्र में लिखा गया है कि, सीबीआई के डिप्टी एसपी अमित कुमार एक लोक सेवक हैं, उनके द्वारा मुलजिम की तरफ से बचाव साक्षी के रूप में कानून के खिलाफ काम करते हुए पीड़ित के सबूत को नुकसान पहुंचाने और केस को प्रभावित करने के मकसद से गलत भावना के साथ काम किया गया है.

यह पूरी तरह कानून के खिलाफ और गलत है, जो बेहद गंभीर मामला है और संज्ञान लेने लायक है. ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है ताकि भविष्य में सीबीआई के इस आरोपी अफसर की ऐसी भूमिकाओं पर अंकुश लगाया जा सके. अभियोजन विभाग ने शिकायत करते हुए लिखा है कि अमित कुमार पर कार्रवाई इसलिए भी जरूरी है जिससे लोकसेवकों द्वारा भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न की जा सके.

कोर्ट में अतीक के पक्ष में गवाही देने पहुंचे थे सीबीआई अफसर : वर्ष 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की प्रयागराज में ही हत्या हो गई थी. हत्या का आरोप अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ पर लगा था. इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश हुए और डीएसपी अमित कुमार इस केस के जांच अधिकारी बनाए गए. वर्ष 2007 में उमेश पाल का अपहरण हो गया और इसका भी आरोप अतीक पर लगा था.

इस दौरान अमित कुमार उमेश पाल अपहरण केस में कोर्ट में अतीक के पक्ष में गवाही देने पहुंच गए और उन्होंने गवाही देते हुए कहा कि उमेश पाल का अपहरण ही नहीं हुआ. अमित कुमार ने अपने बयान से यह साबित करने का प्रयास किया था कि, राजू पाल हत्याकांड में उमेश पाल गवाह ही नहीं हैं तो फिर उनका अपहरण क्यों कराया जाएगा. उन्होंने कोर्ट में बयान दिया था कि उमेश पाल के अपहरण का कोई सबूत नहीं है और दूसरे गवाहों का भी अपहरण नहीं हुआ.

कोर्ट ने उठाए थे सवाल: 28 जून 2019 को सीबीआई ने राजू पाल हत्याकांड की जांच पूरी करके कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था. आरोप पत्र में जांच अधिकारी डिप्टी एसपी अमित कुमार ने उमेश पाल को बसपा विधायक की हत्या के मामले में गवाह ही नहीं माना था. उमेश पाल अपहरण केस का फैसला सुनाने वाले स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट के जज ने भी सीबीआई के डिप्टी एसपी अमित कुमार की भूमिका पर सवाल उठाए थे.

जज ने अपने फैसले में साफ तौर पर कहा था कि राजू पाल हत्याकांड में वादिनी पूजा पाल के साथ उमेश पाल बयान दर्ज कराने के लिए खुद सीबीआई के दफ्तर पहुंचे थे तो उन्हें गवाह क्यों नहीं बनाया गया? अगर वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे तो भी उनका बयान रिकार्ड कर उसे केस डायरी का हिस्सा बनाया जाना चाहिए था.

ये भी पढ़ेंः अतीक के बेटे अली अहमद के समर्थन में किया ट्वीट, लिखा- अभी नस्ल खत्म नहीं हुई

लखनऊ: उमेश पाल अपहरण कांड में माफिया अतीक अहमद से दोस्ती निभाने वाले सीबीआई डीएसपी पर जल्द ही कार्रवाई हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक, यूपी अभियोजन विभाग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग से सीबीआई के डीएसपी अमित कुमार की शिकायत की है. डीएसपी अमित कुमार पर आरोप है कि उन्होंने कोर्ट में उमेश पाल को राजू पाल हत्याकांड का गवाह न होना और उनके अपहरण में अतीक का हाथ न होना बताया था.

यूपी सरकार के अभियोजन विभाग द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजे गए शिकायती पत्र में लिखा गया है कि, सीबीआई के डिप्टी एसपी अमित कुमार एक लोक सेवक हैं, उनके द्वारा मुलजिम की तरफ से बचाव साक्षी के रूप में कानून के खिलाफ काम करते हुए पीड़ित के सबूत को नुकसान पहुंचाने और केस को प्रभावित करने के मकसद से गलत भावना के साथ काम किया गया है.

यह पूरी तरह कानून के खिलाफ और गलत है, जो बेहद गंभीर मामला है और संज्ञान लेने लायक है. ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है ताकि भविष्य में सीबीआई के इस आरोपी अफसर की ऐसी भूमिकाओं पर अंकुश लगाया जा सके. अभियोजन विभाग ने शिकायत करते हुए लिखा है कि अमित कुमार पर कार्रवाई इसलिए भी जरूरी है जिससे लोकसेवकों द्वारा भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न की जा सके.

कोर्ट में अतीक के पक्ष में गवाही देने पहुंचे थे सीबीआई अफसर : वर्ष 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की प्रयागराज में ही हत्या हो गई थी. हत्या का आरोप अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ पर लगा था. इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश हुए और डीएसपी अमित कुमार इस केस के जांच अधिकारी बनाए गए. वर्ष 2007 में उमेश पाल का अपहरण हो गया और इसका भी आरोप अतीक पर लगा था.

इस दौरान अमित कुमार उमेश पाल अपहरण केस में कोर्ट में अतीक के पक्ष में गवाही देने पहुंच गए और उन्होंने गवाही देते हुए कहा कि उमेश पाल का अपहरण ही नहीं हुआ. अमित कुमार ने अपने बयान से यह साबित करने का प्रयास किया था कि, राजू पाल हत्याकांड में उमेश पाल गवाह ही नहीं हैं तो फिर उनका अपहरण क्यों कराया जाएगा. उन्होंने कोर्ट में बयान दिया था कि उमेश पाल के अपहरण का कोई सबूत नहीं है और दूसरे गवाहों का भी अपहरण नहीं हुआ.

कोर्ट ने उठाए थे सवाल: 28 जून 2019 को सीबीआई ने राजू पाल हत्याकांड की जांच पूरी करके कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था. आरोप पत्र में जांच अधिकारी डिप्टी एसपी अमित कुमार ने उमेश पाल को बसपा विधायक की हत्या के मामले में गवाह ही नहीं माना था. उमेश पाल अपहरण केस का फैसला सुनाने वाले स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट के जज ने भी सीबीआई के डिप्टी एसपी अमित कुमार की भूमिका पर सवाल उठाए थे.

जज ने अपने फैसले में साफ तौर पर कहा था कि राजू पाल हत्याकांड में वादिनी पूजा पाल के साथ उमेश पाल बयान दर्ज कराने के लिए खुद सीबीआई के दफ्तर पहुंचे थे तो उन्हें गवाह क्यों नहीं बनाया गया? अगर वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे तो भी उनका बयान रिकार्ड कर उसे केस डायरी का हिस्सा बनाया जाना चाहिए था.

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