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CBI नहीं करेगी संजीव जीवा हत्याकांड की जांच, हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की

लखनऊ की अदालत में हुई कुख्यात संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या की जांच सीबीआई से कराने के लिए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक जनहित याचिका डाली गई थी. मंगलवार को सुनवाई के बाद लखनऊ बेंच ने याचिका खारिज कर दी. देखें, जज ने क्या कहा...

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Published : Jun 13, 2023, 2:52 PM IST

Updated : Jun 13, 2023, 9:47 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा हत्याकांड मामले में सीबीआई अथवा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से जांच की मांग को अस्वीकार कर दिया है. साथ ही इस मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी को पारदर्शी व त्वरित जांच के भी आदेश दिए हैं. हालांकि न्यायालय ने यह भी कहा है कि याची को यदि आगे भी लगता है कि एसआईटी सही जांच नहीं कर रही है तब वह नई याचिका दाखिल करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन अभी इस मामले में हस्तक्षेप करना जल्दबाजी होगी.


यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की अवकाश कालीन पीठ ने स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव की ओर से दाखिल जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए पारित किया. याचिका में घटना की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन कर अथवा सीबीआई से कराने की मांग की गई थी. याचिका का राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने विरोध किया. उनके द्वारा दलील दी गई कि घटना को सरकार भी गम्भीरता से ले रही है. इसी वजह से घटना के दिन ही एसआईटी का गठन कर दिया गया. जिसमें एडीजीपी मोहित अग्रवाल, जेसीपी लखनऊ नीलाब्जा चौधरी और आईजी अयोध्या रेंज प्रवीण कुमार शामिल हैं.

इस पर न्यायालय ने याची से पूछा कि जब घटना के दिन ही एसआईटी का गठन हो गया तो उसकी क्या शिकायत शेष है. हालांकि सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि मृतक पुलिस अभिरक्षा में था, कोई कितना भी बड़ा गैंगस्टर क्यों न हो पुलिस अभिरक्षा में उसकी हत्या को औचित्यपूर्ण नहीं ठहराया जा सकता. इस दौरान न्यायालय ने बार एसोसिएशंस को भी जिम्मेदारी का एहसास कराया. न्यायालय ने याची से पूछा कि मामले में एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है. यदि विवेचना में कोई कमी बरती जा रही हो तो वह बताए. हालांकि इसका संतोषजनक जवाब न मिलने पर न्यायालय ने कहा कि याचिका बहुत जल्दी दाखिल कर दी गई है जबकि एसआईटी का गठन हुए भी अभी महज 6-7 दिन ही हुए हैं.

बता दें, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की अदालत में बीते बुधवार को कुख्यात संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराने के लिए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक जनहित याचिका लगाई गई थी. जिस पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने याचिका खारिज कर दी. जनहित याचिका में मांग की गई थी कि सात जून को जिला कोर्ट परिसर में हुए, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा हत्याकांड की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच समिति का गठित करके की जाए या फिर सीबीआई से कराई जाए.

ये भी पढ़ेंः मां ने गुस्से में नौ साल की बेटी का गला चाकू से रेता, दूसरी शादी करके मायके में रह रही थी महिला

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा हत्याकांड मामले में सीबीआई अथवा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से जांच की मांग को अस्वीकार कर दिया है. साथ ही इस मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी को पारदर्शी व त्वरित जांच के भी आदेश दिए हैं. हालांकि न्यायालय ने यह भी कहा है कि याची को यदि आगे भी लगता है कि एसआईटी सही जांच नहीं कर रही है तब वह नई याचिका दाखिल करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन अभी इस मामले में हस्तक्षेप करना जल्दबाजी होगी.


यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की अवकाश कालीन पीठ ने स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव की ओर से दाखिल जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए पारित किया. याचिका में घटना की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन कर अथवा सीबीआई से कराने की मांग की गई थी. याचिका का राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने विरोध किया. उनके द्वारा दलील दी गई कि घटना को सरकार भी गम्भीरता से ले रही है. इसी वजह से घटना के दिन ही एसआईटी का गठन कर दिया गया. जिसमें एडीजीपी मोहित अग्रवाल, जेसीपी लखनऊ नीलाब्जा चौधरी और आईजी अयोध्या रेंज प्रवीण कुमार शामिल हैं.

इस पर न्यायालय ने याची से पूछा कि जब घटना के दिन ही एसआईटी का गठन हो गया तो उसकी क्या शिकायत शेष है. हालांकि सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि मृतक पुलिस अभिरक्षा में था, कोई कितना भी बड़ा गैंगस्टर क्यों न हो पुलिस अभिरक्षा में उसकी हत्या को औचित्यपूर्ण नहीं ठहराया जा सकता. इस दौरान न्यायालय ने बार एसोसिएशंस को भी जिम्मेदारी का एहसास कराया. न्यायालय ने याची से पूछा कि मामले में एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है. यदि विवेचना में कोई कमी बरती जा रही हो तो वह बताए. हालांकि इसका संतोषजनक जवाब न मिलने पर न्यायालय ने कहा कि याचिका बहुत जल्दी दाखिल कर दी गई है जबकि एसआईटी का गठन हुए भी अभी महज 6-7 दिन ही हुए हैं.

बता दें, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की अदालत में बीते बुधवार को कुख्यात संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराने के लिए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक जनहित याचिका लगाई गई थी. जिस पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने याचिका खारिज कर दी. जनहित याचिका में मांग की गई थी कि सात जून को जिला कोर्ट परिसर में हुए, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा हत्याकांड की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच समिति का गठित करके की जाए या फिर सीबीआई से कराई जाए.

ये भी पढ़ेंः मां ने गुस्से में नौ साल की बेटी का गला चाकू से रेता, दूसरी शादी करके मायके में रह रही थी महिला

Last Updated : Jun 13, 2023, 9:47 PM IST
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