नई दिल्ली : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त संजय पांडे द्वारा स्थापित कंपनी के खिलाफ एक मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी, उनकी कंपनी के खिलाफ कथित रूप से एनएसई के दो शेयर दलालों के ऑडिट में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के मानदंडों का उल्लंघन करने का आरोप है. कंपनी को-लोकेशन सुविधा का इस्तेमाल कर रही थी.
यहां सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष दाखिल की गई अपनी क्लोजर रिपोर्ट में एजेंसी ने बताया कि उसे आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले है. अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 14 सितंबर तय की है. अधिकारियों ने बताया कि विशेष अदालत क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर भी सकती है, नहीं भी कर सकती है, मामले में आगे की जांच के लिए कह सकती है या फिर एजेंसी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर मुकदमा चलाने का आदेश भी दे सकती है.
प्रवर्तन निदेशालय के निर्देश पर सीबीआई ने 19 मई को कंपनी आईसेक सर्विसेज के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. एफआईआर में को-लोकेशन की सुविधा का उपयोग करके एल्गोरिथम ट्रेडिंग में शामिल स्टॉक ब्रोकरों के सिस्टम ऑडिट करने में कंपनी द्वारा सेबी सर्कुलर के कई नियमों के उल्लंघन का आरोप है, जो अब सीबीआई जांच के दायरे में है. सीबीआई ने आरोप लगाया है कि जब को लोकेशन 'घोटाला' चल रहा था, तब सेवाओं ने दो उच्च जोखिम वाले शेयरों - एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज लिमिटेड और शास्त्र सिक्योरिटीज ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड - का फर्जी तरीके से ऑडिट किया था.
उन्होंने बताया कि इससे पहले सीबीआई ने को-लोकेशन घोटाला मामले में एनएसई की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण को गिरफ्तार किया था. 2001 में कंपनी की स्थापना करने वाले पांडे ने मई 2006 में इसके निदेशक का पद छोड़ दिया था. उनके बेटे और मां ने बाद में कंपनी की कमान संभाली. पुलिस अधिकारी ने आईआईटी-कानपुर और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई की थी और माना जाता है कि उन्होंने सेवा से इस्तीफा देने के बाद कंपनी की स्थापना की थी. उनका इस्तीफा राज्य सरकार ने स्वीकार नहीं किया और वह फिर से शामिल हो गए लेकिन उन्हें तुरंत पोस्टिंग नहीं दी गई. उन्हें उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार के दौरान मुंबई पुलिस का आयुक्त बनाया गया और बाद में सेवानिवृत्त कर दिया गया.
( पीटीआई भाषा )