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AJL प्लॉट आवंटन मामले में पूर्व सीएम हुड्डा को झटका, अगली सुनवाई 7 मई को - हुड्डा को CBI कोर्ट ने दिया बड़ा झटका

एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बड़ा झटका लगा है. पंचकूला में स्थित विशेष सीबीआई कोर्ट ने मामले में आरोपियों पर धारा 120बी (साजिश रचना), 420 भारतीय दंड संहिता (धोखाधड़ी), 13 (2), 13 (1) डी (भ्रष्टाचार अधिनियम) के तहत आरोप तय किए हैं. मामले पर अगली सुनवाई सात मई को होगी.

AJL प्लॉट आवंटन मामला
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Published : Apr 16, 2021, 3:16 PM IST

Updated : Apr 16, 2021, 4:16 PM IST

पंचकूला : एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत में आज सुनवाई हुई. सुनवाई में आरोपी व पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और एजेएल कंपनी के लोग सीबीआई कोर्ट में पेश हुए. बता दें कि मामले में एक आरोपी मोती लाल वोहरा की मौत हो चुकी है.

पढ़ें- कांग्रेस के पास भविष्य है बशर्ते ....

शुक्रवार को हुई सुनवाई में सीबीआई कोर्ट ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा व एजेएल पर आरोप तय कर दिए हैं यानी (चार्जेस फ्रेम) कर दिए है. कोर्ट ने मामले में आरोपियों पर धारा 120बी (साजिश रचना), 420 भारतीय दंड संहिता (धोखाधड़ी), 13 (2), 13 1 (डी) (भ्रष्टाचार अधिनियम) के तहत आरोप तय किए हैं. वहीं अब इस मामले की अगली सुनवाई सात मई 2021 को होगी और सात मई को मामले में गवाही शुरू होगी, जिसके लिए कोर्ट ने गवाहों को समन भेजे हैं.

बता दें कि, गुरुवार को सीबीआई कोर्ट में हुई सुनवाई में आरोपियों पर चार्ज लगाए जाने को लेकर बहस पूरी हो गई थी और आज यानी शुक्रवार को आरोपियों पर आरोप तय होने थे, जो कि अब हो गए है. देखना होगा की अगली सुनवाई में गवाहों के बयान दर्ज होते हैं या नहीं.

पढ़ें- काेरोना से लड़ने की केंद्र की रणनीति पर बरसे राहुल

क्या है एजेएल प्लॉट आवंटन मामला ?

1982 में पंचकूला सेक्टर-6 में प्लॉट नंबर सी-17 तब के सीएम चौधरी भजनलाल ने एजेएल को अलॉट कराया था. कंपनी को इस पर छह महीने में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई. अक्टूबर 1992 को हुड्डा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया. 18 अगस्त 1995 को फ्रेश अलॉटमेंट के लिए आवेदन मांगे गए. इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई.

अगस्त 2005 को हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एजेएल को 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन किए, इसके साथ ही कंपनी को छह महीने में निर्माण शुरू करके एक साल में काम पूरा करने को भी कहा गया. हुड्डा पर आरोप है कि उनकी सरकार के दौरान नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड (एजेएल) को नियमों के विपरीत भूखंड आवंटित किया. इससे सरकार को 67.65 लाख रुपये का नुकसान हुआ.

पढ़ें: आईएनएक्स मीडिया केस: पी चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में पेश

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया. मुख्यमंत्री हुड्डा तब इस विभाग के अध्यक्ष थे और यह गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है. केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत में दिसंबर 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा, एजेएल के तत्कालीन चेयरमैन कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एजेएल के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी. एजेएल पर कांग्रेस के नेताओं का कथित तौर पर नियंत्रण है, जिसमें नेहरु-गांधी परिवार भी शामिल है.

पंचकूला : एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत में आज सुनवाई हुई. सुनवाई में आरोपी व पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और एजेएल कंपनी के लोग सीबीआई कोर्ट में पेश हुए. बता दें कि मामले में एक आरोपी मोती लाल वोहरा की मौत हो चुकी है.

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शुक्रवार को हुई सुनवाई में सीबीआई कोर्ट ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा व एजेएल पर आरोप तय कर दिए हैं यानी (चार्जेस फ्रेम) कर दिए है. कोर्ट ने मामले में आरोपियों पर धारा 120बी (साजिश रचना), 420 भारतीय दंड संहिता (धोखाधड़ी), 13 (2), 13 1 (डी) (भ्रष्टाचार अधिनियम) के तहत आरोप तय किए हैं. वहीं अब इस मामले की अगली सुनवाई सात मई 2021 को होगी और सात मई को मामले में गवाही शुरू होगी, जिसके लिए कोर्ट ने गवाहों को समन भेजे हैं.

बता दें कि, गुरुवार को सीबीआई कोर्ट में हुई सुनवाई में आरोपियों पर चार्ज लगाए जाने को लेकर बहस पूरी हो गई थी और आज यानी शुक्रवार को आरोपियों पर आरोप तय होने थे, जो कि अब हो गए है. देखना होगा की अगली सुनवाई में गवाहों के बयान दर्ज होते हैं या नहीं.

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क्या है एजेएल प्लॉट आवंटन मामला ?

1982 में पंचकूला सेक्टर-6 में प्लॉट नंबर सी-17 तब के सीएम चौधरी भजनलाल ने एजेएल को अलॉट कराया था. कंपनी को इस पर छह महीने में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई. अक्टूबर 1992 को हुड्डा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया. 18 अगस्त 1995 को फ्रेश अलॉटमेंट के लिए आवेदन मांगे गए. इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई.

अगस्त 2005 को हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एजेएल को 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन किए, इसके साथ ही कंपनी को छह महीने में निर्माण शुरू करके एक साल में काम पूरा करने को भी कहा गया. हुड्डा पर आरोप है कि उनकी सरकार के दौरान नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड (एजेएल) को नियमों के विपरीत भूखंड आवंटित किया. इससे सरकार को 67.65 लाख रुपये का नुकसान हुआ.

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हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया. मुख्यमंत्री हुड्डा तब इस विभाग के अध्यक्ष थे और यह गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है. केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत में दिसंबर 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा, एजेएल के तत्कालीन चेयरमैन कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एजेएल के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी. एजेएल पर कांग्रेस के नेताओं का कथित तौर पर नियंत्रण है, जिसमें नेहरु-गांधी परिवार भी शामिल है.

Last Updated : Apr 16, 2021, 4:16 PM IST
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