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भ्रष्टाचार के आरोप में CBI ने पावरग्रिड के कार्यकारी निदेशक समेत निजी कंपनी के पांच अधिकारियों को किया गिरफ्तार

सीबीआई ने पावरग्रिड के कार्यकारी निदेशक बीएस झा को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया. उन पर एक निजी कंपनी के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगा है. सीबीआई ने छापेमारी के बाद उनकी गिरफ्तारी की है.

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Published : Jul 7, 2022, 8:23 PM IST

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पावर ग्रिड

नई दिल्ली : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने टाटा प्रोजेक्ट्स से जुड़े रिश्वत मामले में 'पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया' के कार्यकारी निदेशक बी.एस. झा सहित निजी कंपनी (टाटा प्रोजेक्ट्स) के पांच अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किये गये निजी कंपनी के अधिकारियों में उसके कार्यकारी उपाध्यक्ष देशराज पाठक और सहायक उपाध्यक्ष आर.एन. सिंह शामिल हैं.

यह मामला निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने के एवज में कथित रिश्वत लेने से संबद्ध है. सीबीआई ने एक दिन पहले बुधवार को 11 स्थानों पर चलाए गए तलाशी अभियान के बाद आरोपियों को गिरफ्तार किया. यह अभियान बृहस्पतिवार को भी जारी रहा और इस दौरान झा के गुरुग्राम परिसर से 93 लाख रुपये नकद बरामद किये गए. अधिकारियों ने बताया कि झा वर्तमान में ईटानगर में पदस्थ हैं.

उन्होंने बताया कि विद्युत परियोजनाओं में कथित तौर पर रिश्वत के लेन-देन की गुप्त सूचना मिलने के बाद से सीबीआई झा पर नजर रख रही थी और इसी दौरान सूचना मिली कि झा विभिन्न कार्यों के लिए टाटा प्रोजेक्ट्स और अन्य कंपनियों के अधिकारियों से रिश्वत ले रहे हैं.

अधिकारियों ने बताया कि जांच एजेंसी के अधिकारियों ने अवैध रकम के लेन-देन वाले स्थान पर छापेमारी कर बुधवार को आरोपियों को गिरफ्तार किया. सीबीआई ने झा, पाठक और सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. प्राथमिकी में कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स और इसके तीन अधिकारियों - नफीज हुसैन खान, रणधीर कुमार सिंह और संदीप कुमार दूबे - के भी नाम शामिल हैं.

सीबीआई ने एक बयान में कहा, 'आरोप है कि सरकारी कर्मचारी (झा) ने अन्य के साथ मिलकर उक्त कंपनी (टाटा प्रोजेक्ट्स) को पावरग्रिड से जुड़े अनुबंधों में लाभ पहुंचाने के लिए साजिश रची, जिसमें बिल को बढ़ाकर बनाना, बिल का शीघ्र भुगतान और कीमतों में उतार-चढ़ाव संबंधी प्रावधान में बदलाव जैसे कार्यों के ऐवज में रिश्वत ली गई.' अधिकारियों ने बताया कि टाटा प्रोजेक्ट्स को विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित पूर्वोत्तर क्षेत्र विद्युत प्रणाली सुधार परियोजना के तहत अनुबंध दिया गया था. यह पूर्वोत्तर क्षेत्र के बिजली बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए एक व्यापक योजना है.

सीबीआई ने बाद में अपने बयान में कहा कि कंपनी ने एक व्यापक योजना के तहत सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र में अनुबंध प्राप्त किए थे. वहीं, पावरग्रिड कॉरपोरेशन के अधिकारियों ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश पूर्वोत्तर क्षेत्र विद्युत प्रणाली सुधार परियोजना के तहत नहीं आता है. अधिकारियों ने दावा किया कि झा अरुणाचल प्रदेश की 'टी एंड डी' योजना में कार्यकारी निदेशक पद पर तैनात रहे.

टाटा प्रोजेक्ट्स के एक प्रवक्ता ने कहा, 'हम अपने सभी व्यापारिक लेनदेन में सख्त मानदंडों का पालन करते हैं और इससे किसी भी तरह का समझौता नहीं करते. हम संबंधित जांच अधिकारियों को अपना पूरा समर्थन देंगे.' अधिकारियों ने बताया कि सभी छह आरोपियों को बृहस्पतिवार को पंचकूला (हरियाणा) की एक अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 15 जुलाई तक सीबीआई हिरासत में भेजा गया.

(पीटीआई)

नई दिल्ली : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने टाटा प्रोजेक्ट्स से जुड़े रिश्वत मामले में 'पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया' के कार्यकारी निदेशक बी.एस. झा सहित निजी कंपनी (टाटा प्रोजेक्ट्स) के पांच अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किये गये निजी कंपनी के अधिकारियों में उसके कार्यकारी उपाध्यक्ष देशराज पाठक और सहायक उपाध्यक्ष आर.एन. सिंह शामिल हैं.

यह मामला निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने के एवज में कथित रिश्वत लेने से संबद्ध है. सीबीआई ने एक दिन पहले बुधवार को 11 स्थानों पर चलाए गए तलाशी अभियान के बाद आरोपियों को गिरफ्तार किया. यह अभियान बृहस्पतिवार को भी जारी रहा और इस दौरान झा के गुरुग्राम परिसर से 93 लाख रुपये नकद बरामद किये गए. अधिकारियों ने बताया कि झा वर्तमान में ईटानगर में पदस्थ हैं.

उन्होंने बताया कि विद्युत परियोजनाओं में कथित तौर पर रिश्वत के लेन-देन की गुप्त सूचना मिलने के बाद से सीबीआई झा पर नजर रख रही थी और इसी दौरान सूचना मिली कि झा विभिन्न कार्यों के लिए टाटा प्रोजेक्ट्स और अन्य कंपनियों के अधिकारियों से रिश्वत ले रहे हैं.

अधिकारियों ने बताया कि जांच एजेंसी के अधिकारियों ने अवैध रकम के लेन-देन वाले स्थान पर छापेमारी कर बुधवार को आरोपियों को गिरफ्तार किया. सीबीआई ने झा, पाठक और सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. प्राथमिकी में कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स और इसके तीन अधिकारियों - नफीज हुसैन खान, रणधीर कुमार सिंह और संदीप कुमार दूबे - के भी नाम शामिल हैं.

सीबीआई ने एक बयान में कहा, 'आरोप है कि सरकारी कर्मचारी (झा) ने अन्य के साथ मिलकर उक्त कंपनी (टाटा प्रोजेक्ट्स) को पावरग्रिड से जुड़े अनुबंधों में लाभ पहुंचाने के लिए साजिश रची, जिसमें बिल को बढ़ाकर बनाना, बिल का शीघ्र भुगतान और कीमतों में उतार-चढ़ाव संबंधी प्रावधान में बदलाव जैसे कार्यों के ऐवज में रिश्वत ली गई.' अधिकारियों ने बताया कि टाटा प्रोजेक्ट्स को विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित पूर्वोत्तर क्षेत्र विद्युत प्रणाली सुधार परियोजना के तहत अनुबंध दिया गया था. यह पूर्वोत्तर क्षेत्र के बिजली बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए एक व्यापक योजना है.

सीबीआई ने बाद में अपने बयान में कहा कि कंपनी ने एक व्यापक योजना के तहत सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र में अनुबंध प्राप्त किए थे. वहीं, पावरग्रिड कॉरपोरेशन के अधिकारियों ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश पूर्वोत्तर क्षेत्र विद्युत प्रणाली सुधार परियोजना के तहत नहीं आता है. अधिकारियों ने दावा किया कि झा अरुणाचल प्रदेश की 'टी एंड डी' योजना में कार्यकारी निदेशक पद पर तैनात रहे.

टाटा प्रोजेक्ट्स के एक प्रवक्ता ने कहा, 'हम अपने सभी व्यापारिक लेनदेन में सख्त मानदंडों का पालन करते हैं और इससे किसी भी तरह का समझौता नहीं करते. हम संबंधित जांच अधिकारियों को अपना पूरा समर्थन देंगे.' अधिकारियों ने बताया कि सभी छह आरोपियों को बृहस्पतिवार को पंचकूला (हरियाणा) की एक अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 15 जुलाई तक सीबीआई हिरासत में भेजा गया.

(पीटीआई)

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