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जाति और धर्म को आतंकवाद से नहीं जोड़ा जाना चाहिए: इंद्रेश कुमार

RSS के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने दावा किया कि कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की पूर्ववर्ती सरकार ने उन्हें कथित भगवा आतंकवाद के मामलों में फंसाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन वह असफल रही.

Caste and religion should not be linked to terror says Indresh Kumar
जाति और धर्म को आतंकवाद से नहीं जोड़ा जाना चाहिए इंद्रेश कुमार
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Published : Dec 12, 2021, 6:36 AM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने दावा किया कि कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की पूर्ववर्ती सरकार ने उन्हें कथित भगवा आतंकवाद के मामलों में फंसाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन वह असफल रही. आरएसएस से जुडे़ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, विश्वग्राम और ‘वैश्विक आतंकवाद बनाम मानवता, शांति और संभावनाओं’ पर विचार-विमर्श से संबंधित राष्ट्रीय सुरक्षा जागरूकता मंच द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन(International Conference ) को संबोधित करते हुए कुमार ने यह बात कही.

दिनभर चले सम्मेलन के समापन पर एक प्रस्ताव पारित कर मांग की गई कि सरकार आतंकवाद से जाति या धर्म को जोड़ने पर रोक लगाए और इसे कानून के तहत एक दंडात्मक अपराध घोषित करे. कुमार ने प्रस्ताव पारित करते समय कहा, 'जाति और धर्म को आतंकवाद से नहीं जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि ऐसा होने पर इसका इस्तेमाल उन लोगों द्वारा किया जाता है जो आतंकवाद का प्रसार करते हैं. इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और कानून के तहत दंडात्मक अपराध बनाना चाहिए. जाति और धर्म के नाम पर किसी के भी उत्पीड़न को रोका जाना चाहिए, निंदा की जानी चाहिए और कानून के तहत दंडित किया जाना चाहिए.'

उन्होंने राजनीतिक दलों से अपील की कि वे वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठें और 'इस अपराध को ना कहें.' कुमार ने दावा किया, 'भारत सरकार (पूर्ववर्ती संप्रग सरकार) ने मेरे खिलाफ 'भगवा' आतंकवाद मामले के लिए 300 से 400 करोड़ रुपये खर्च किए. यहां तक कि पूरी सरकारी मशीनरी लगाने के बावजूद वे मेरा नाम आरोपियों में नहीं ला सके. उसके बाद बेचारी सरकार (वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में) सत्ता से बाहर हो गई.'

उन्होंने कहा, 'मेरा नाम न तो गवाहों की सूची में था और न ही आरोपियों की सूची में. लेकिन पूरी दुनिया को बताया गया कि इंद्रेश जी लिप्त हैं और उनके खिलाफ मामला है. मैंने ऐसे बड़े झूठ देखे हैं.' कुमार ने कहा कि अगर एक-दूसरे के धर्म का सम्मान किया जाए तो कोई जिहाद, भीड़ हत्या (लिंचिंग) या सांप्रदायिक दंगे नहीं होंगे. अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र से मांग की गई कि वैश्विक स्तर पर दूसरे धर्मों की आलोचना को अपराध बनाया जाए.

ये भी पढ़ें- मुस्लिमों के लिए राजनीतिक धर्मनिरपेक्षता का क्या फायदा : ओवैसी

कुमार ने धर्मों के वर्गीकरण पर आपत्ति जताई और इसे 'दयनीय स्थिति' बताया. भारत में धर्म का वर्गीकरण अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक में किया जाता है. सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने उन कदमों को गिनाया जो नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ उठाए हैं. उन्होंने कहा कि गत सात साल में स्थिति बदली है.

उन्होंने कहा, 'देखिए वर्ष 2014 से क्या बदलाव आया है. पहले, हम दिल्ली, असम, जयपुर और पुणे में आतंकवादी घटनाओं और बम धमाकों की श्रृंखला देखते थे. गत सात साल में आप पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों और कश्मीर को छोड़कर ऐसी खबरें नहीं सुनते.' जावडे़कर ने कहा, 'माओवादी हिंसा में भी कमी आई है.'

यह सम्मेलन ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से आयोजित किया गया जिसमें केंद्रीय मंत्री वीके सिंह और केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी हिस्सा लिया. कई विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रोफेसर, पूर्व राजनयिक और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस सम्मेलन में शामिल हुए.

(पीटीआई-भाषा )

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने दावा किया कि कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की पूर्ववर्ती सरकार ने उन्हें कथित भगवा आतंकवाद के मामलों में फंसाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन वह असफल रही. आरएसएस से जुडे़ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, विश्वग्राम और ‘वैश्विक आतंकवाद बनाम मानवता, शांति और संभावनाओं’ पर विचार-विमर्श से संबंधित राष्ट्रीय सुरक्षा जागरूकता मंच द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन(International Conference ) को संबोधित करते हुए कुमार ने यह बात कही.

दिनभर चले सम्मेलन के समापन पर एक प्रस्ताव पारित कर मांग की गई कि सरकार आतंकवाद से जाति या धर्म को जोड़ने पर रोक लगाए और इसे कानून के तहत एक दंडात्मक अपराध घोषित करे. कुमार ने प्रस्ताव पारित करते समय कहा, 'जाति और धर्म को आतंकवाद से नहीं जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि ऐसा होने पर इसका इस्तेमाल उन लोगों द्वारा किया जाता है जो आतंकवाद का प्रसार करते हैं. इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और कानून के तहत दंडात्मक अपराध बनाना चाहिए. जाति और धर्म के नाम पर किसी के भी उत्पीड़न को रोका जाना चाहिए, निंदा की जानी चाहिए और कानून के तहत दंडित किया जाना चाहिए.'

उन्होंने राजनीतिक दलों से अपील की कि वे वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठें और 'इस अपराध को ना कहें.' कुमार ने दावा किया, 'भारत सरकार (पूर्ववर्ती संप्रग सरकार) ने मेरे खिलाफ 'भगवा' आतंकवाद मामले के लिए 300 से 400 करोड़ रुपये खर्च किए. यहां तक कि पूरी सरकारी मशीनरी लगाने के बावजूद वे मेरा नाम आरोपियों में नहीं ला सके. उसके बाद बेचारी सरकार (वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में) सत्ता से बाहर हो गई.'

उन्होंने कहा, 'मेरा नाम न तो गवाहों की सूची में था और न ही आरोपियों की सूची में. लेकिन पूरी दुनिया को बताया गया कि इंद्रेश जी लिप्त हैं और उनके खिलाफ मामला है. मैंने ऐसे बड़े झूठ देखे हैं.' कुमार ने कहा कि अगर एक-दूसरे के धर्म का सम्मान किया जाए तो कोई जिहाद, भीड़ हत्या (लिंचिंग) या सांप्रदायिक दंगे नहीं होंगे. अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र से मांग की गई कि वैश्विक स्तर पर दूसरे धर्मों की आलोचना को अपराध बनाया जाए.

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कुमार ने धर्मों के वर्गीकरण पर आपत्ति जताई और इसे 'दयनीय स्थिति' बताया. भारत में धर्म का वर्गीकरण अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक में किया जाता है. सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने उन कदमों को गिनाया जो नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ उठाए हैं. उन्होंने कहा कि गत सात साल में स्थिति बदली है.

उन्होंने कहा, 'देखिए वर्ष 2014 से क्या बदलाव आया है. पहले, हम दिल्ली, असम, जयपुर और पुणे में आतंकवादी घटनाओं और बम धमाकों की श्रृंखला देखते थे. गत सात साल में आप पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों और कश्मीर को छोड़कर ऐसी खबरें नहीं सुनते.' जावडे़कर ने कहा, 'माओवादी हिंसा में भी कमी आई है.'

यह सम्मेलन ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से आयोजित किया गया जिसमें केंद्रीय मंत्री वीके सिंह और केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी हिस्सा लिया. कई विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रोफेसर, पूर्व राजनयिक और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस सम्मेलन में शामिल हुए.

(पीटीआई-भाषा )

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