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20 रुपए ज्यादा वसूलने पर रेलवे से 21 साल लड़ी कानूनी लड़ाई, मिली जीत...जानिए अब कितनी रकम मिलेगी?

यूपी के मथुरा के एक शख्स ने 20 रुपए ज्यादा वसूलने से नाराज होकर रेलवे के खिलाफ 21 साल तक उपभोक्ता फोरम में केस लड़ा. लंबे संघर्ष के बाद उन्हें सोमवार को आखिर जीत मिल ही गई. चलिए जानते हैं पूरे मामले के बारे में.

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एडवोकेट तुंगनाथ चतुर्वेदी
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Published : Aug 8, 2022, 5:51 PM IST

मथुराः जिले के एक अधिवक्ता ने 20 रुपए ज्यादा वसूलने पर रेलवे के खिलाफ 21 साल तक उपभोक्ता फोरम में केस लड़ा. आखिर उनका संघर्ष रंग लाया. फोरम की ओर से रेलवे को 20 रुपए पर 12% की प्रतिवर्ष ब्याज की दर से अधिवक्ता को धनराशि लौटाने का आदेश दिया गया है.

मथुरा के गली पीरपंच निवासी एडवोकेट तुंगनाथ चतुर्वेदी के मुताबिक 25 दिसंबर 1999 को मुरादाबाद जाने के लिए उन्होंने मथुरा के छावनी स्टेशन से 35-35 रुपए के दो टिकट लिए थे लेकिन टिकट विंडो पर बैठे लिपिक द्वारा उनसे 70 के स्थान पर 90 रुपये ले लिए गए . एडवोकेट तुंगनाथ चतुर्वेदी ने जब 20 रुपये वापस मांगे तो उन्हें लौटाए नहीं गए. इस अवैध वसूली से आहत होकर उन्होंने उपभोक्ता फोरम की शरण ली. इस केस में जनरल भारत संघ द्वारा जनरल मैनेजर नॉर्थ ईस्ट गोरखपुर एवं मथुरा छावनी स्टेशन के विंडो क्लर्क को पार्टी बनाया गया था.

एडवोकेट तुंगनाथ चतुर्वेदी.

21 साल तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद एडवोकेट तुंगनाथ चतुर्वेदी के पक्ष में उपभोक्ता फोरम ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया. फोरम की ओर से रेलवे को 20 रुपए पर प्रतिवर्ष 12% ब्याज के साथ ही मानसिक,आर्थिक, एवं वाद व्यय के 15 हज़ार रुपये जुर्माने का रूप में अदा करने का निर्देश दिए गए हैं. अगर रेलवे की ओर से एक माह के भीतर भुगतान नहीं किया गया तो 30 दिन बाद 20 रुपये पर 15% प्रतिवर्ष ब्याज से रकम देनी होगी.

अधिवक्ता तुंगनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि 1999 में मुरादाबाद रेलवे स्टेशन में मुझसे टिकट के लिए 70 रुपए की जगह 90 रुपए वसूले गए थे. इसकी रसीद काटी गई थी. मैंने रेलवे वालों से कहा था मेरे 70 रुपए बनते हैं आपने मुझसे 90 रुपए ले लिए हैं, आप 90 रुपए न लें बाकी 20 रुपए लौटा दें लेकिन रेलवे वालों ने ऐसा नहीं किया. इसी से आहत होकर उपभोक्ता फोरम की शरण ली. आखिर 21 साल की लड़ाई के बाद जीत मिल ही गई.

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मथुराः जिले के एक अधिवक्ता ने 20 रुपए ज्यादा वसूलने पर रेलवे के खिलाफ 21 साल तक उपभोक्ता फोरम में केस लड़ा. आखिर उनका संघर्ष रंग लाया. फोरम की ओर से रेलवे को 20 रुपए पर 12% की प्रतिवर्ष ब्याज की दर से अधिवक्ता को धनराशि लौटाने का आदेश दिया गया है.

मथुरा के गली पीरपंच निवासी एडवोकेट तुंगनाथ चतुर्वेदी के मुताबिक 25 दिसंबर 1999 को मुरादाबाद जाने के लिए उन्होंने मथुरा के छावनी स्टेशन से 35-35 रुपए के दो टिकट लिए थे लेकिन टिकट विंडो पर बैठे लिपिक द्वारा उनसे 70 के स्थान पर 90 रुपये ले लिए गए . एडवोकेट तुंगनाथ चतुर्वेदी ने जब 20 रुपये वापस मांगे तो उन्हें लौटाए नहीं गए. इस अवैध वसूली से आहत होकर उन्होंने उपभोक्ता फोरम की शरण ली. इस केस में जनरल भारत संघ द्वारा जनरल मैनेजर नॉर्थ ईस्ट गोरखपुर एवं मथुरा छावनी स्टेशन के विंडो क्लर्क को पार्टी बनाया गया था.

एडवोकेट तुंगनाथ चतुर्वेदी.

21 साल तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद एडवोकेट तुंगनाथ चतुर्वेदी के पक्ष में उपभोक्ता फोरम ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया. फोरम की ओर से रेलवे को 20 रुपए पर प्रतिवर्ष 12% ब्याज के साथ ही मानसिक,आर्थिक, एवं वाद व्यय के 15 हज़ार रुपये जुर्माने का रूप में अदा करने का निर्देश दिए गए हैं. अगर रेलवे की ओर से एक माह के भीतर भुगतान नहीं किया गया तो 30 दिन बाद 20 रुपये पर 15% प्रतिवर्ष ब्याज से रकम देनी होगी.

अधिवक्ता तुंगनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि 1999 में मुरादाबाद रेलवे स्टेशन में मुझसे टिकट के लिए 70 रुपए की जगह 90 रुपए वसूले गए थे. इसकी रसीद काटी गई थी. मैंने रेलवे वालों से कहा था मेरे 70 रुपए बनते हैं आपने मुझसे 90 रुपए ले लिए हैं, आप 90 रुपए न लें बाकी 20 रुपए लौटा दें लेकिन रेलवे वालों ने ऐसा नहीं किया. इसी से आहत होकर उपभोक्ता फोरम की शरण ली. आखिर 21 साल की लड़ाई के बाद जीत मिल ही गई.

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