भागलपुर: राजधानी पटना के बाद भागलपुर का नाम समय-समय पर चर्चाओं में रहता है. चाहे वह राजनीतिक गतिविधि हो या अन्य किसी उपलब्धि की बात हो. इसी बीच भागलपुर शहर से एक चौंका देने वाला आंकड़ा सामने आया है. 9 महीने के अंदर करीब दो दर्जन से अधिक मरीज सामने आए हैं जो कैंसर से पीड़ित हैं.
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बिहार में कैंसर के बढ़ रहे मामले: भागलपुर के अलावा और भी कई जिले हैं जहां कैंसर डरावनी रफ्तार से बढ़ रही है. इनमें मुजफ्फरपुर का नाम भी शामिल है. भागलपुर की बात करें तो जिले की चार जगह सबौर, पीरपैंती, जगदीशपुर और नवगछिया में कैंसर के मरीजों की संख्या ज्यादा पाई गई है. इसको लेकर समय-समय पर जांच टीम गठित की जाती है. भागलपुर समेत पूरे राज्य में कैंसर मरीज की स्क्रीनिंग भी की जाती है.
भागलपुर में भी स्थिति चिंताजनक: मायागंज अस्पताल में भाभा कैंसर अस्पताल व रिसर्च सेंटर मुजफ्फरपुर से संबंधित कंप्रिहेंसिव कैंसर केयर क्लीनिक में प्रतिदिन लगभग 3000 कैंसर की स्क्रीनिंग चल रही है. इसमें कैंसर केयर क्लीनिक से मिल रहे जानकारी के अनुसार पिछले 9 महीने में लगभग 20746 लोगों की जांच करवायी गयी. इनमें से 6344 पुरुष और 14402 महिलाएं हैं.अगस्त 2023 तक 28 मरीजों में कैंसर की बीमारी कंफर्म हो चुकी है. इसमें मुंह के कैंसर के मरीजों की संख्या ज्यादा है. वहीं महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, और गर्भाशय के मुख या सर्वाइकल कैंसर से चार मरीज मिले हैं.
"कैंसर के मामले पहले भी काफी मिलते थे लेकिन जानकारी नहीं मिल पाती थी. अब टेक्नोलॉजी के एडवांसमेंट के साथ-साथ लोगों में कैंसर को लेकर अवेयरनेस भी बढ़ा है. सरकार की ओर से स्क्रीनिंग प्रोग्राम भी चल रहे हैं जिसका परिणाम है कि कैंसर के मामले बढ़े हैं. प्रदेश में लगभग 7000 कैंसर के नए मामले प्रत्येक वर्ष मिल रहे हैं. बीते 4 वर्षों में लगभग 8% प्रदेश में कैंसर के मामले में इजाफा हुआ है. इसमें 20% से अधिक ओरल कैंसर के मामले होते हैं जिसका प्रमुख कारण तंबाकू उत्पादों का सेवन है."- डॉक्टर राजेश कुमार, स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट के प्रमुख,आईजीआईएमएस
काफी लेट डिटेक्ट होने के कारण इलाज संभव नहीं: वहीं डॉ राजेश कुमार ने बताया कि प्रत्येक जिले में हेल्थ फैसिलिटी में जो एमएस और एमडी हैं, वह कैंसर के स्क्रीनिंग के लिए सक्षम है. सरकार की ओर से भी अलग-अलग माह में अलग-अलग प्रकार के कैंसर को लेकर के स्क्रीनिंग अभियान चलाए जाते हैं. इसके कारण कैंसर के मामले अधिक मिल रहे हैं लेकिन अभी भी दुर्भाग्य है कि जो मामले सामने आ रहे हैं वह काफी लेट डिटेक्ट हो रहे हैं. अधिकांश मामलों में मरीज को बचा पाना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने बताया कि उत्तर बिहार के इलाके में खासकर कैंसर के अधिक मामले देखने को मिल रहे हैं. पुरुषों में जहां माउथ/ओरल कैंसर प्रमुख हैं. वहीं महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर अधिक देखने को मिल रहा है.
कैंसर के कारण: डॉ राजेश कुमार ने बताया कि महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की प्रमुख वजह न्यूट्रीशन युक्त भोजन की कमी है. ग्रामीण क्षेत्रों में खासकर महिलाएं पोषण युक्त भोजन पर ध्यान नहीं देती. इसके अलावा अन हाइजीन भी ब्रेस्ट कैंसर का प्रमुख वजह है. उन्होंने बताया कि कोई भी गांठ अथवा मुंह के अंदर छाला 2 हफ्ते से अधिक परेशान कर रहा है तो इसका स्क्रीनिंग करना जरूरी है. आईजीआईएमएस में स्क्रीनिंग की पूरी सुविधा उपलब्ध है, इसके अलावा हर जिले में स्क्रीनिंग की सुविधा उपलब्ध है. शरीर में कैंसर का पता जितनी जल्दी चलेगा, उतना ही मरीज के आयु बढ़ने के चांसेस बढ़ जाते हैं.
माउथ कैंसर के मामलों अधिक: बता दें कि भागलपुर जिले में तंबाकू खाने का भी अधिक प्रचलन है. इसी कारण से इन स्थानों पर मुंह के कैंसर अधिक पाए जाते हैं. भागलपुर के मायागंज अस्पताल में कैंसर रोगियों की इलाज के लिए डे केयर सेंटर बनाया गया है, जहां पर कैंसर रोगियों का इलाज किया जाता है. जिनमें की बायोप्सी व कीमोथेरेपी की भी व्यवस्था है.
इन अस्पतालों में मरीज किए जाते हैं रेफर: इसके अलावा कैंसर फेफड़े एवं अन्य तरह की कैंसर के लक्षण मिलते ही मरीजों को बिहार के तीन अन्य अस्पतालों में रेफर भी किया जाता है. इनमें से रीजनल कैंसर सेंटर आईजीआईएमएस पटना ,महावीर कैंसर संस्थान पटना व होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर में रेफर किया जाता है.
सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल बनकर तैयार: आपको बता दें कि भागलपुर में सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल बनकर तैयार है. जल्द ही इसे हैंडओवर देने की बात चल रही है. इसको लेकर जिले के गैर संचारी रोग पदाधिकारी भागलपुर डॉक्टर पंकज मानस्वी ने कहा कि जिले में जल्द ही सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल हैंडओवर लगभग हो जाएगा. उसके बाद कैंसर के मरीजों को यहां राहत मिलेगी. बेहतरीन सुविधाओं से लैस इस अस्पताल से भागलपुर वासियों को बेहतर सुविधा मिलेगी.
शिविर से जागरूकता लाने की कोशिश: सबौर के भिट्टी में कुछ महीनों पहले शिविर लगाया गया था. इस शिविर के अंतिम रिपोर्ट में बताया गया कि सबसे अधिक रोगी मुंह के कैंसर के हैं और 18 लोगों का मुंह का स्वरूप बिगड़ रहा है जिसमें उन्होंने बताया था कि वे लोग गुटखा तंबाकू समेत अन्य नशा का सेवन भी करते हैं.
"बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर भागलपुर के मायागंज अस्पताल में तीन तरह के कैंसर की जांच हो रही है. इसमें लोक सर्वाइकल व ब्रेस्ट कैंसर की जांच की जाती है."- डॉ पंकज मानस्वी,गैर संचारी रोग पदाधिकारी
सहरसा के इस गांव में हर घर में कैंसर मरीज: सहरसा के सत्तरकटैया प्रखंड में भी कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं. लगभग हर घर में एक कैंसर का मरीज है. इतना ही नहीं हर दूसरके या पांचवे दिन कैंसर से एक न एक मौत होती है. जिले के सत्तरकटैया प्रखंड अंतर्गत सत्तर, सहरवा, खदीपुर, खोनहा, मेनहा और सिहौल में हर दिन कैंसर के नए मामले सामने आते हैं.
वहीं समाजसेवी पूर्व जीप सदस्य प्रवीण आनंद ने बताया यहां हर पांच व्यक्ति में से एक को कैंसर जैसी बीमारी है. यहां जब स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जांच किया तो सत्तर में 35 मरीजों के बीच कैंसर के प्राथमिक लक्षण पाए गए हैं. हमलोग मजबूर हैं कोई विकल्प नहीं है. समाजसेवी एवं जनप्रतिधि होने के नाते पीड़ित परिवारों को सिर्फ सांत्वना देकर चले जाते हैं.
"सहरसा में एम्स जैसी संस्थान होने से लोगों में आस एवं उम्मीद थी, लेकिन वह भी अब राजनीति की उपेक्षा का शिकार होकर दरभंगा चला गया. इस गांव में ऐसे हालत हैं जिसकी कल्पना करना मुश्किल है."- प्रवीण आनंद,समाजसेवी पूर्व जीप सदस्य