वाराणसीः विश्व के प्राचीनतम शहर काशी के अस्सी क्षेत्र के रहने वाले स्वामी कृष्णकांत द्विवेदी कनाडा के लक्ष्मी नारायण मंदिर में अपनी सेवाए दे रहे हैं. पिछले 14 वर्षों से विश्व शांति के दूत की तरह भारत का संदेश विश्व में फैलने वाले काशी के इस विद्वान को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सम्मान पत्र भेजकर आभार जताया है. पत्र मिलने के बाद स्वामी कृष्णकांत द्विवेदी ने इसे काशी की माटी की महत्ता का परिणाम बताया. कहा कि जिस माटी ने बुद्ध को भगवान बुद्ध बनाया, तुलसी को संत शिरोमणि बनाया हम भी उसी माटी के महिमा पात्र है.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पत्र में लिखा है कि कृष्णकांत द्विवेदी जी को नमस्कार और लक्ष्मी नारायण मंदिर कनाडा में उनका पुनः स्वागत है. मैं अपनी हार्दिक शुभकामनाएं भेज रहा हूं, कृष्णकांत जी अपने उपदेश और भाषणों के माध्यम से वेदांत के प्रति पूरी दुनिया में अपना संदेश भेज रहे हैं. उनकी लिखने और उपदेश देने की प्रणाली बेजोड़ है जो दर्शकों और श्रोताओं को वेदांत के प्रति शिक्षित और प्रेरित करती है.
उनकी प्रतिबद्धता वेदांत को संरक्षित करना और भविष्य में उसे शिक्षाओं में हस्तांतरित करना है. पिछले आठ वर्षों से लक्ष्मी नारायण मंदिर को उनकी मेजबानी का सौभाग्य प्राप्त होता रहा है. उनके आगमन से कनाडा के लोगों को आत्म साक्षात्कार और आध्यात्मिकता के प्रति गहरा ज्ञान मिलता है.
काशी के कृष्णकांत द्विवेदी पंडित परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. काशी से चलकर कनाडा में अब लोगों को वेदांत की शिक्षा और उपदेश दे रहे हैं. इस वजह से कनाडा की ओर से पंडित द्विवेदी और उनके परिवार को शुभकामना दे रहे हैं.