पटनाः बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) दिल्ली की गद्दी पर बैठने की तैयारी में है. जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में इसको लेकर एजेंडा भी सेट हो गया है. 2022 का अंत और नए साल 2023 की शुरूआत में ही जेडीयू ने कैलेंडर जारी कर अपनी सियासी मंशा को जता दिया है. रविवार को पटना में जदयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक 'देश मांगे नीतीश' की चर्चा जोरों पर रही. दरअसल झारखंड से पहुंचे नेताओं ने एक कैलेंडर जारी किया है, जिसमें देश मांगे नीतीश (Desh Mange Nitish) लिखा हुआ है. इसके बाद विपक्ष में खलबली मच गई है.
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पोस्टर चर्चा का विषय: जारी कैलेंडर में नीतीश कुमार की तस्वीर लगी है. जिसमें वे पगड़ी पहने हुए हैं. वहीं मोटे मोटे अक्षर में लिखा है देश मांगे नीतीश. इस पोस्टर के जारी होने के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या नीतीश कुमार की नजर केंद्र पर है. पोस्टर में नीतीश कुमार का बखान भी किया गया. इसके बाद यह पोस्टर चर्चा का विषय बन गया है.
जेडीयू राष्ट्रीय परिषद की बैठक: दरअसल, रविवार को पटना में राष्ट्रीय परिषद की बैठक आयोजित हुई है. जिसमें नीतीश कुमार सहित कई बड़े नेता पहुंचे हैं. इसी बैठक में झारखंड से पहुंचे एक नेता ने यह पोस्टर जारी किया है. जिसके बाद यह साफ हो गया कि नीतीश कुमार अब बिहार की गद्दी छोड़ दिल्ली की बागडोर संभालने की तैयारी करने जा रहे हैं. कैलेंडेर के जरिए कार्यकर्ताओं को यही संदेश जेडीयू की ओर से दिया गया है.
कैलेंडर में सीएम का बखानः जारी कैलेंडर में नीतीश के किए गए कामों के बारे में लिखा गया है. 'स्वच्छ प्रतिभा, सुशासन और संयमी नेतृत्व. नीतीश कुमार की यही पहचान है. उन्होंने बिहार का कायापलट किया. महिलाओं को सुरक्षित किया. युवाओं को भरोसा दिया. अब देश को नीतीश कुमार का इंतजार है.' जब इतनी बातें लिखी हों तो विपक्ष में खलबली मचना तो लाजमी है.
2024 की तैयारीः जिस तरह से जारी कैलेंडर में इस तरह की बात लिखी है, इससे साफ हो गया है कि नीतीश कुमार अब 2024 में दिल्ली की गद्दी पर बैठेंगे. कैलेंडर का यही सार है कि नीतीश कुमार पीएम कैंडिडेट (Nitish Kumar Will PM Candidate) बनाये जाएं. वहीं जदयू भी इसी मुहीम आगे बढ़ाने में जुटी है. कैलेंडर में यह संदेश दिया गया है कि 2024 में BJP को हराना है.
विपक्ष को एकजुट होने की जरूरतः कुढ़नी उपचुनाव के नतीजों ने जेडीयू को सोचने पर मजबूर कर दिया. अगर जेडीयू के नेता वीआईपी को साधने में सफल रहती तो चुनाव परिणाम कुछ और होता. लेकिन मुकेश सहनी की पार्टी के उम्मीदवार को मैदान में उतरने से न रोक सके. ऐसे में वीआईपी के कोर वोटर्स का वोट जेडीयू के पाले में आना चाहिए था वो शिफ्ट होकर मुकेश सहनी के पास चला गया. जिसका खामियाजा जेडीयू को हार के रूप में भुगतना पड़ा. इस हार से राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में जेडीयू को सीख मिली और विपक्ष को एकजुट करने में लगे हुए हैं.