कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा हावड़ा, मुर्शिदाबाद और अन्य जगहों पर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों पर एक रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया. जिसमें निलंबित भाजपा नेता नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद के बारे में टिप्पणियों के बाद हिंसा और विरोध प्रदर्शन के संबंध में थे. जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने पुरी सुनवाई की फिर अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया. याचिका में हिंसा और केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा कराए जाने की मांग की है. बता दें कि एनआईए आतंकवाद से संबंधित केस की जांच करती है.
इससे पहले महाधिवक्ता एसएन मुखर्जी ने सरकार की रिपोर्ट सौंपी और मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की पीठ को राज्य द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि घटनाओं में सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है और सरकार ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए त्वरित कार्रवाई की है. हावड़ा जिले में जून 9 से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए और उस दिन NH6 को दस घंटे से अधिक समय तक बंद रखा गया.
हिंसक विरोध को देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रदर्शनकारियों से आम लोगों को असुविधा न करने का आग्रह किया. हालांकि, विरोध प्रदर्शन शनिवार तक जारी रहा और हावड़ा का पंचला वह क्षेत्र था जहां सबसे अधिक हिंसा देखी गई. कई अन्य जगहों पर भी ऐसी ही घटनाएं देखने को मिलीं. कोर्ट को बताया गया कि सरकार, अदालत के पूर्व के निर्देशों के अनुसार, हिंसा के अपराधियों की पहचान करने के लिए वीडियो फुटेज की निरीक्षण कर रही है. बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बंगाल सरकार को शांति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था और कहा था कि यदि कोई अप्रिय घटना होती है, तो राज्य को केंद्रीय बलों से मदद लेनी चाहिए.
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