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नारद मामले में बंगाल के दो मंत्रियों, टीएमसी विधायक और पूर्व महापौर को अंतरिम जमानत

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Published : May 28, 2021, 12:53 PM IST

Updated : May 28, 2021, 2:35 PM IST

12:52 May 28

नारदा केस :

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने नारद स्टिंग टेप मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए पश्चिम बंगाल के दो मंत्रियों - सुब्रत मुखर्जी और फरहाद हाकिम, टीएमसी विधायक मदन मित्रा और शहर के पूर्व महापौर सोवन चटर्जी को शुक्रवार को अंतरिम जमानत दे दी.

उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने इन सभी को अंतरिम जमानत देते हुये कई शर्तें लगायीं हैं. पीठ ने चारों आरोपी नेताओं को दो-दो लाख रुपये का निजी मुचलका जमा कराने का निर्देश दिया है।. ये सभी नजरबंद हैं.

पीठ ने उनसे मामले के संबंध में मीडिया में या सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी न करने का निर्देश दिया है.

अदालत ने आरोपियों को निर्देश दिया है कि जांच अधिकारियों द्वारा बुलाये जाने पर वे डिजिटल माध्यम से उनसे मुलाकात करें.

बता दें कि, कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह नारद स्टिंग मामले में गिरफ्तार पश्चिम बंगाल के दो मंत्रियों सहित कुल चार नेताओं की जमानत पर अदालत के पुराने स्थगनादेश को वापस लेने संबंधी अर्जी पर शुक्रवार को पहले सुनवाई करेगा. इसके बाद अदालत नेताओं को जमानत देने वाली निचली अदालत पर भीड़ का दबाव होने का आरोप लगाते हुए मुकदमे को स्थानांतरित करने संबंधी सीबीआई की अर्जी पर सुनवाई होगी.

सीबीआई ने उच्च न्यायालय के 21 मई के आदेश को लेकर मंगलवार को विशेष अनुमति याचिका दायर करके आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने के स्थान पर नजरबंद करने का अनुरोध किया था, लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया था.

कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर 2017 के नारद स्टिंग मामले की जांच कर रही सीबीआई ने 17 मई की सुबह चारों नेताओं को गिरफ्तार किया था.

सीबीआई की विशेष अदालत ने चारों को 17 मई को ही अंतरिम जमानत दे दी थी, लेकिन उच्च न्यायालय की खंड पीठ ने उसी दिन फैसले पर स्थागनादेश जारी किया था, जिसके बाद आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. खंड पीठ में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी शामिल थे.

नारद न्यूज के संपादक मैथ्यू सैमुअल द्वारा यह स्टिंग ऑपरेशन किया गया था, जो इसके लिए एक व्यापारी के रूप में सामने आए थे। इस स्टिंग में आईपीएस अधिकारी के साथ ही तृणमूल कांग्रेस के कई शीर्ष नेताओं को कथित तौर पर फायदा पहुंचाने के बदले में नकद रुपये लेते हुए देखा गया था.

कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस स्टिंग फुटेज मामले में प्रारंभिक जांच करने के आदेश दिए थे। इसके एक महीने बाद 17 अप्रैल 2017 को सीबीआई ने मिर्जा और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कई राज्य मंत्रियों व सांसदों सहित 13 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

पढ़ें : प्रधानमंत्री पहुंचे भुवनेश्वर, चक्रवात 'यास' से हुए नुकसान का जायजा लिया

25 अप्रैल और 27 अप्रैल 2014 को बनाई गई नारदा वीडियो फुटेज का जिक्र करते हुए सीबीआई प्राथमिकी में मिर्जा के बारे में कहा गया, "उन्हें स्टिंग ऑपरेटर से लगभग पांच लाख रुपये की राशि लेते हुए देखा गया है.

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नारदा केस :

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने नारद स्टिंग टेप मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए पश्चिम बंगाल के दो मंत्रियों - सुब्रत मुखर्जी और फरहाद हाकिम, टीएमसी विधायक मदन मित्रा और शहर के पूर्व महापौर सोवन चटर्जी को शुक्रवार को अंतरिम जमानत दे दी.

उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने इन सभी को अंतरिम जमानत देते हुये कई शर्तें लगायीं हैं. पीठ ने चारों आरोपी नेताओं को दो-दो लाख रुपये का निजी मुचलका जमा कराने का निर्देश दिया है।. ये सभी नजरबंद हैं.

पीठ ने उनसे मामले के संबंध में मीडिया में या सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी न करने का निर्देश दिया है.

अदालत ने आरोपियों को निर्देश दिया है कि जांच अधिकारियों द्वारा बुलाये जाने पर वे डिजिटल माध्यम से उनसे मुलाकात करें.

बता दें कि, कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह नारद स्टिंग मामले में गिरफ्तार पश्चिम बंगाल के दो मंत्रियों सहित कुल चार नेताओं की जमानत पर अदालत के पुराने स्थगनादेश को वापस लेने संबंधी अर्जी पर शुक्रवार को पहले सुनवाई करेगा. इसके बाद अदालत नेताओं को जमानत देने वाली निचली अदालत पर भीड़ का दबाव होने का आरोप लगाते हुए मुकदमे को स्थानांतरित करने संबंधी सीबीआई की अर्जी पर सुनवाई होगी.

सीबीआई ने उच्च न्यायालय के 21 मई के आदेश को लेकर मंगलवार को विशेष अनुमति याचिका दायर करके आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने के स्थान पर नजरबंद करने का अनुरोध किया था, लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया था.

कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर 2017 के नारद स्टिंग मामले की जांच कर रही सीबीआई ने 17 मई की सुबह चारों नेताओं को गिरफ्तार किया था.

सीबीआई की विशेष अदालत ने चारों को 17 मई को ही अंतरिम जमानत दे दी थी, लेकिन उच्च न्यायालय की खंड पीठ ने उसी दिन फैसले पर स्थागनादेश जारी किया था, जिसके बाद आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. खंड पीठ में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी शामिल थे.

नारद न्यूज के संपादक मैथ्यू सैमुअल द्वारा यह स्टिंग ऑपरेशन किया गया था, जो इसके लिए एक व्यापारी के रूप में सामने आए थे। इस स्टिंग में आईपीएस अधिकारी के साथ ही तृणमूल कांग्रेस के कई शीर्ष नेताओं को कथित तौर पर फायदा पहुंचाने के बदले में नकद रुपये लेते हुए देखा गया था.

कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस स्टिंग फुटेज मामले में प्रारंभिक जांच करने के आदेश दिए थे। इसके एक महीने बाद 17 अप्रैल 2017 को सीबीआई ने मिर्जा और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कई राज्य मंत्रियों व सांसदों सहित 13 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

पढ़ें : प्रधानमंत्री पहुंचे भुवनेश्वर, चक्रवात 'यास' से हुए नुकसान का जायजा लिया

25 अप्रैल और 27 अप्रैल 2014 को बनाई गई नारदा वीडियो फुटेज का जिक्र करते हुए सीबीआई प्राथमिकी में मिर्जा के बारे में कहा गया, "उन्हें स्टिंग ऑपरेटर से लगभग पांच लाख रुपये की राशि लेते हुए देखा गया है.

Last Updated : May 28, 2021, 2:35 PM IST
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