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स्कूल फीस के लिए छात्रों की पदोन्नति न रोकें : हाई कोर्ट

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने माता-पिता के आरोप का संज्ञान लेते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल के कोई भी स्कूल किसी भी छात्र को फीस के लिए पदोन्नति से इनकार नहीं करेगा. साथ ही अभिभावकों को निर्देश दिया है कि अदालत द्वारा नियुक्त संयुक्त विशेष अधिकारी द्वारा तय किए शुल्क की अदायगी अगले दो सप्ताह में स्कूलों को करें ताकि स्कूलों के पास भी धन की कमी न हो.

कलकत्ता उच्च न्यायालय
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Published : Apr 20, 2022, 7:43 AM IST

Updated : Apr 20, 2022, 8:00 AM IST

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पेरेंटस के आरोप, जिसमें कहा कि कुछ स्कूल कोर्ट के पहले के अंतरिम आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं, पर संज्ञान लेते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल के कोई भी स्कूल किसी भी छात्र को फीस के लिए पदोन्नति देने से इनकार नहीं करेगा. अगले सत्र के लिए छात्र का रिपोर्ट कार्ड तुरंत जारी करें. साथ ही फीस विवाद के लिए कोर्ट द्वारा नियुक्त संयुक्त विशेष अधिकारी को 6 जून तक इस मामले में रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने का भी निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल के 145 स्कूलों में से कोई भी कोविड महामारी के दौरान फीस को लेकर दाखिल जनहित याचिका में शामिल नहीं है

उच्च न्यायालय ने अपने पहले के आदेश को भी दोहराया कि सभी छात्रों को नए सत्रों में उच्च कक्षा में शामिल होने की इजाजत दें और उन्हें सामान्य शैक्षिक सुविधाएं भी प्रदान करें. जीडी बिड़ला सेंटर फॉर एजुकेशन के एक नोटिस, जिसमें कहा गया कि "स्कूल फिर से शुरू होगा", पर अदालत ने कहा कि स्कूल को यह नोटिस नहीं जारी करनी चाहिए थी. क्योंकि स्कूल ने छात्रों, जिन्होंने सभी बकाया राशि का भुगतान किया है, के लिए सोमवार यानी 11 अप्रैल को नोटिस जारी किया है. न्यायमूर्ति आईपी मुखर्जी और मौसमी भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि इस अधिसूचना (नोटिस) का मतलब साफ है कि जिन छात्रों ने स्कूल का बकाया पे नहीं किया है उन्हें अनुमति नहीं दी जाएगी. जीडी बिड़ला सेंटर फॉर एजुकेशन को तुरंत नोटिस वापस लेने और छात्रों को सामान्य पाठ्यक्रम में कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति देने का निर्देश देते हुए, पीठ ने कहा कि अन्य सभी स्कूल भी इस आदेश का पालन करेंगे.

हालांकि स्कूल के वकील ने कहा कि कोर्ट के अंतरिम आदेशों का आश्रय लेते हुए, कुछ अभिभावक फीस के रूप में मामूली राशि जमा कर रहे थे, जो पिछले शैक्षणिक सत्र में किए गए भुगतान की तुलना में बहुत ही कम है साथ ही स्कूल पर दवाब डाल रहे हैं कि उनके बच्चों को अगली कक्षा में जाने की अनुमति दी जाए. परंतु अदालत ने पेरेंट एसोसिएशन के आरोपों का संज्ञान लिया है जिसमें कहा गया है कि कई छात्रों को अगली कक्षाओं में प्रमोशन से रोक दिया गया है क्योंकि उन्होंने फीस नहीं जमा किया गया है. कोर्ट ने पहले निर्देश दिया था कि स्कूलों को धन की कोई कमी न हो, इसके लिए कोर्ट ने संयुक्त विशेष अधिकारी नियुक्त किया था. कोर्ट द्वारा नियुक्त संयुक्त विशेष अधिकारी शुल्क विवाद को सुनेंगे और मामले में निर्णय लेंगे.

पीठ ने कहा कि प्रत्येक अभिभावक/छात्र संयुक्त विशेष अधिकारियों द्वारा तय शुल्क का भुगतान दो सप्ताह के भीतर स्कूलों/शिक्षण संस्थानों को करें. पीठ ने निर्देश दिया कि इस तरह के विवाद को तुरंत स्कूल अधिकारियों या अभिभावकों द्वारा निपटान किया जाए. साथ ही हाई कोर्ट ने संयुक्त विशेष अधिकारियों को 6 जून तक इस मामले पर उसके समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है. इस आदेश के अनुसार उचित कार्यान्वयन साथ साथ यह भी सुनिश्चित करें कि किसी भी तरह से शांति या कानून-व्यवस्था भंग न हो. स्कूल परिसर में संयुक्त विशेष अधिकारी ऐसी किसी भी स्थिति में स्थानीय पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी से संपर्क करेंगे. बता दें कि कोविड के मामलों में कमी आने के बाद इस साल मार्च में राज्य के सभी स्कूलों में ऑफलाइन शिक्षा शुरू हो गई थी.

यह भी पढ़ें-निजी स्कूल कम से कम 20 प्रतिशत फीस कम करें : कलकत्ता हाई कोर्ट

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पेरेंटस के आरोप, जिसमें कहा कि कुछ स्कूल कोर्ट के पहले के अंतरिम आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं, पर संज्ञान लेते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल के कोई भी स्कूल किसी भी छात्र को फीस के लिए पदोन्नति देने से इनकार नहीं करेगा. अगले सत्र के लिए छात्र का रिपोर्ट कार्ड तुरंत जारी करें. साथ ही फीस विवाद के लिए कोर्ट द्वारा नियुक्त संयुक्त विशेष अधिकारी को 6 जून तक इस मामले में रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने का भी निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल के 145 स्कूलों में से कोई भी कोविड महामारी के दौरान फीस को लेकर दाखिल जनहित याचिका में शामिल नहीं है

उच्च न्यायालय ने अपने पहले के आदेश को भी दोहराया कि सभी छात्रों को नए सत्रों में उच्च कक्षा में शामिल होने की इजाजत दें और उन्हें सामान्य शैक्षिक सुविधाएं भी प्रदान करें. जीडी बिड़ला सेंटर फॉर एजुकेशन के एक नोटिस, जिसमें कहा गया कि "स्कूल फिर से शुरू होगा", पर अदालत ने कहा कि स्कूल को यह नोटिस नहीं जारी करनी चाहिए थी. क्योंकि स्कूल ने छात्रों, जिन्होंने सभी बकाया राशि का भुगतान किया है, के लिए सोमवार यानी 11 अप्रैल को नोटिस जारी किया है. न्यायमूर्ति आईपी मुखर्जी और मौसमी भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि इस अधिसूचना (नोटिस) का मतलब साफ है कि जिन छात्रों ने स्कूल का बकाया पे नहीं किया है उन्हें अनुमति नहीं दी जाएगी. जीडी बिड़ला सेंटर फॉर एजुकेशन को तुरंत नोटिस वापस लेने और छात्रों को सामान्य पाठ्यक्रम में कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति देने का निर्देश देते हुए, पीठ ने कहा कि अन्य सभी स्कूल भी इस आदेश का पालन करेंगे.

हालांकि स्कूल के वकील ने कहा कि कोर्ट के अंतरिम आदेशों का आश्रय लेते हुए, कुछ अभिभावक फीस के रूप में मामूली राशि जमा कर रहे थे, जो पिछले शैक्षणिक सत्र में किए गए भुगतान की तुलना में बहुत ही कम है साथ ही स्कूल पर दवाब डाल रहे हैं कि उनके बच्चों को अगली कक्षा में जाने की अनुमति दी जाए. परंतु अदालत ने पेरेंट एसोसिएशन के आरोपों का संज्ञान लिया है जिसमें कहा गया है कि कई छात्रों को अगली कक्षाओं में प्रमोशन से रोक दिया गया है क्योंकि उन्होंने फीस नहीं जमा किया गया है. कोर्ट ने पहले निर्देश दिया था कि स्कूलों को धन की कोई कमी न हो, इसके लिए कोर्ट ने संयुक्त विशेष अधिकारी नियुक्त किया था. कोर्ट द्वारा नियुक्त संयुक्त विशेष अधिकारी शुल्क विवाद को सुनेंगे और मामले में निर्णय लेंगे.

पीठ ने कहा कि प्रत्येक अभिभावक/छात्र संयुक्त विशेष अधिकारियों द्वारा तय शुल्क का भुगतान दो सप्ताह के भीतर स्कूलों/शिक्षण संस्थानों को करें. पीठ ने निर्देश दिया कि इस तरह के विवाद को तुरंत स्कूल अधिकारियों या अभिभावकों द्वारा निपटान किया जाए. साथ ही हाई कोर्ट ने संयुक्त विशेष अधिकारियों को 6 जून तक इस मामले पर उसके समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है. इस आदेश के अनुसार उचित कार्यान्वयन साथ साथ यह भी सुनिश्चित करें कि किसी भी तरह से शांति या कानून-व्यवस्था भंग न हो. स्कूल परिसर में संयुक्त विशेष अधिकारी ऐसी किसी भी स्थिति में स्थानीय पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी से संपर्क करेंगे. बता दें कि कोविड के मामलों में कमी आने के बाद इस साल मार्च में राज्य के सभी स्कूलों में ऑफलाइन शिक्षा शुरू हो गई थी.

यह भी पढ़ें-निजी स्कूल कम से कम 20 प्रतिशत फीस कम करें : कलकत्ता हाई कोर्ट

Last Updated : Apr 20, 2022, 8:00 AM IST

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