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CAG की रिपोर्ट में दावा, रिसर्च छोड़ बिल्डिंग बनवाने में जुटे रहे DRDO के 38 साइंटिस्ट

कैग ने संसद में डीआरडीओ से जुड़ी एक रिपोर्ट संसद में पेश की थी. इस ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, नियमों को दरकिनार कर संगठन के 38 वैज्ञानिकों की ड्यूटी सिविल वर्क्स ऑफिसर्स कैडर (CWOC) में लगाई गई. जबकि CWOC में पहले से ही स्वीकृत पदों के हिसाब से अफसर तैनात थे. इस कारण 38 वैज्ञानिक लैब में काम करने बजाय इमारत बनवाने और उसकी देखरेख करने में व्यस्त रहे. पढ़ें संजीब बरुआ की रिपोर्ट.

DRDO cag audit report
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Published : Dec 30, 2021, 1:17 PM IST

नई दिल्ली : कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (CAG) ने खुलासा किया है कि नियुक्ति में गड़बड़ी के कारण डीआरडीओ (DRDO) के 38 साइंटिस्ट 2020 और पिछले वर्षों में इमारतों और घरों के निर्माण गतिविधियों में लगे रहे. कैग ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया है कि जिन वैज्ञानिकों से भारत की सेना के लिए बंदूकें, मिसाइल, युद्धपोत, विमान और अन्य उपकरण बनाने की उम्मीद करते हैं, वे निर्माण गतिविधियों की निगरानी के लिए लगे हुए थे. कैग ने इस गतिविधि को निर्धारित नियमों का उल्लंघन करार दिया है.

कैग ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में बताया है कि वैज्ञानिकों की तैनाती सीडब्ल्यूओसी में तब की गई, जब डीआरडीओ 180 साइंटिस्टों की कमी का सामना कर रहा था. रक्षा अनुसंधान और विकास सेवाओं (DRDS) में 7,255 वैज्ञानिकों के स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 7,075 पद भरे गए थे. डीआरडीएस (DRDS) का काम सैन्य और रक्षा उत्पादों का निर्माण है.

अगस्त 2001 में रक्षा मंत्रालय ने सिविल वर्क्स ऑफिसर्स कैडर (CWOC) गठन किया था. इसके लिए 53 पद स्वीकृत किए गए थे. इनका उपयोग DRDO की निर्माण गतिविधियों में किया जाना था. मगर सिविल वर्क्स ऑफिसर्स कैडर (CWOC) ने स्वीकृत पदों से ज्यादा 76 अफसरों को नियुक्त कर लिया. इन अफसरों में से 38 डीआरडीएस कैडर से थे.

कैग ने संसद के शीतकालीन सत्र में अपनी रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें बताया गया कि भर्ती के नियम केंद्र सरकार की ऑर्गनाइज्ड इंजीनियरिंग सर्विस से अधिकारियों से प्रतिनियुक्ति पर जाने की अनुमति देते हैं, मगर डीआरडीएस कैडर के वैज्ञानिकों को प्रतिनियुक्ति पर नहीं भेजा जा सकता है. जब कैग ने इस बारे में डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट से पूछताछ की तो जून 2020 में बताया गया कि वर्कलोड बढ़ने के कारण वैज्ञानिकों को कारण सीडब्ल्यूओसी में तैनात किया गया था. डीआरडीओ ने वैज्ञानिकों को समयबद्ध तरीके से संबंधित लैब और प्रतिष्ठानों में वापस लाने का आश्वासन भी दिया.

डीआरडीओ की गठन 1948 में रक्षा विज्ञान संगठन (डीएसओ) के निर्माण के साथ हुआ था. अब इस प्रतिष्ठित संस्थान में 48 लैबोरेट्री हैं. इनमें तीन सर्टिफिकेशन एजेंसी, तीन ह्यूमन रिसोर्स इंस्टिट्यूशन, जॉइंट वेंचर्स और युवा वैज्ञानिकों की 5 लैब शामिल हैं.

डीआरडीओ रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का प्रतिनिधित्व करता है. DRDO एयरोनॉटिक्स, आयुध, लड़ाकू वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना इंजीनियरिंग प्रणाली, मिसाइल, सामग्री, नौसेना प्रणाली, उन्नत कंप्यूटिंग, सिमुलेशन और जीवन विज्ञान से संबंधित प्रोजेक्ट पर काम करता है.

पढ़ें : DRDO ने पांच भारतीय फर्म को ECWCS की तकनीक प्रदान की

नई दिल्ली : कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (CAG) ने खुलासा किया है कि नियुक्ति में गड़बड़ी के कारण डीआरडीओ (DRDO) के 38 साइंटिस्ट 2020 और पिछले वर्षों में इमारतों और घरों के निर्माण गतिविधियों में लगे रहे. कैग ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया है कि जिन वैज्ञानिकों से भारत की सेना के लिए बंदूकें, मिसाइल, युद्धपोत, विमान और अन्य उपकरण बनाने की उम्मीद करते हैं, वे निर्माण गतिविधियों की निगरानी के लिए लगे हुए थे. कैग ने इस गतिविधि को निर्धारित नियमों का उल्लंघन करार दिया है.

कैग ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में बताया है कि वैज्ञानिकों की तैनाती सीडब्ल्यूओसी में तब की गई, जब डीआरडीओ 180 साइंटिस्टों की कमी का सामना कर रहा था. रक्षा अनुसंधान और विकास सेवाओं (DRDS) में 7,255 वैज्ञानिकों के स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 7,075 पद भरे गए थे. डीआरडीएस (DRDS) का काम सैन्य और रक्षा उत्पादों का निर्माण है.

अगस्त 2001 में रक्षा मंत्रालय ने सिविल वर्क्स ऑफिसर्स कैडर (CWOC) गठन किया था. इसके लिए 53 पद स्वीकृत किए गए थे. इनका उपयोग DRDO की निर्माण गतिविधियों में किया जाना था. मगर सिविल वर्क्स ऑफिसर्स कैडर (CWOC) ने स्वीकृत पदों से ज्यादा 76 अफसरों को नियुक्त कर लिया. इन अफसरों में से 38 डीआरडीएस कैडर से थे.

कैग ने संसद के शीतकालीन सत्र में अपनी रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें बताया गया कि भर्ती के नियम केंद्र सरकार की ऑर्गनाइज्ड इंजीनियरिंग सर्विस से अधिकारियों से प्रतिनियुक्ति पर जाने की अनुमति देते हैं, मगर डीआरडीएस कैडर के वैज्ञानिकों को प्रतिनियुक्ति पर नहीं भेजा जा सकता है. जब कैग ने इस बारे में डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट से पूछताछ की तो जून 2020 में बताया गया कि वर्कलोड बढ़ने के कारण वैज्ञानिकों को कारण सीडब्ल्यूओसी में तैनात किया गया था. डीआरडीओ ने वैज्ञानिकों को समयबद्ध तरीके से संबंधित लैब और प्रतिष्ठानों में वापस लाने का आश्वासन भी दिया.

डीआरडीओ की गठन 1948 में रक्षा विज्ञान संगठन (डीएसओ) के निर्माण के साथ हुआ था. अब इस प्रतिष्ठित संस्थान में 48 लैबोरेट्री हैं. इनमें तीन सर्टिफिकेशन एजेंसी, तीन ह्यूमन रिसोर्स इंस्टिट्यूशन, जॉइंट वेंचर्स और युवा वैज्ञानिकों की 5 लैब शामिल हैं.

डीआरडीओ रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का प्रतिनिधित्व करता है. DRDO एयरोनॉटिक्स, आयुध, लड़ाकू वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना इंजीनियरिंग प्रणाली, मिसाइल, सामग्री, नौसेना प्रणाली, उन्नत कंप्यूटिंग, सिमुलेशन और जीवन विज्ञान से संबंधित प्रोजेक्ट पर काम करता है.

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