नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दबाव वाले दूरसंचार क्षेत्र को समायोजित सकल राजस्व (AGR) का बकाया चुकाने से राहत देने के केंद्र के 15 सितंबर, 2021 के फैसले को रद्द करने की अपील करने वाली एक जनहित याचिका खारिज कर दी है. न्यायालय ने कहा कि ये सभी नीतिगत मामले हैं और इसपर विशेषज्ञों की राय के आधार पर निर्णय लेना चाहिए है. समायोजित सकल राजस्व से संबंधित बकाया के 93,520 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए जूझ रही दूरसंचार कंपनियों को राहत देते हुए शीर्ष अदालत ने एक सितंबर, 2020 को उन्हें बकाया राशि चुकाने के लिए 10 साल का वक्त दिया था.
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि इसमें शक नहीं कि शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में दूरसंचार क्षेत्र के संबंध में कुछ निश्चित निर्देश दिए हैं, जो डेटा की खपत में भारी बढ़ोतरी, घर से काम करने, ब्रॉडबैंड और दूरसंचार संपर्क के संबंध में हैं. पीठ ने कहा कि ये सभी नीतिगत मामले हैं, जिन पर विशेषज्ञों की राय और उभरती परिस्थितियों के आधार पर, तथा भारत के लोगों के हित में निर्णय लेने चाहिए.
पीठ ने कहा कि हमें नहीं लगता कि कैबिनेट के ऐसे फैसलों में किसी अदालत द्वारा हल्के ढंग से हस्तक्षेप किया जा सकता है. क्योंकि कोर्ट के ध्यान में कोई विवरण या सामग्री नहीं लाई गई है. शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि इस स्तर पर कोई भी हस्तक्षेप न केवल नीति के कार्यान्वयन में अनिश्चितता पैदा करेगा, बल्कि नीति को भी खतरे में डाल देगा. कोर्ट ने इससे पहले 1 सितंबर 2020 को एजीआर की वसूल पर कुछ आदेश पारित किए थे.
शीर्ष अदालत ने कहा कि कोरोना महामारी के बीच लोग एक-दूसरे के संपर्क में रहने के लिए दूरसंचार क्षेत्र पर बहुत अधिक निर्भर थे क्योंकि मार्च, 2020 में देश में और उसके बाद कोविड-19 महामारी के कारण लगातार कुछ समय के लिए कई स्थानों पर लॉकडाउन घोषित किया गया था.
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