शिमला: फार्मा इंडस्ट्री में चीन की दादागीरी अब खत्म होगी. हिमाचल प्रदेश को केंद्र से मंजूर हुए बल्क ड्रग पार्क से ये संभव होगा. ये पार्क हिमाचल के ऊना जिले में स्थापित होगा. पीएम मोदी 13 अक्टूबर को हिमाचल दौरे के दौरान इसकी आधारशिला रखेंगे. इस पार्क के जरिए एशिया के फार्मा हब बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (हिमाचल) को भी सहारा मिलेगा. बल्क ड्रग पार्क और बीबीएन मिलकर फार्मा सेक्टर में चीन के दबदबे को खत्म करेंगे. (Bulk Drug Park in una Himachal Pradesh)
1923 करोड़ की आएगी लागत- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 21 मार्च, 2020 को बल्क ड्रग पार्क योजना को मंजूरी दी थी. ऊना में बल्क ड्रग पार्क परियोजना की कुल अनुमानित लागत 1923 करोड़ रुपये है, जिसमें भारत सरकार की अनुदान राशि 1118 करोड़ रुपये है और शेष 804.54 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार द्वारा वहन की जाएगी. 1923 करोड़ की इस डीपीआर को तीन अक्टूबर, 2022 को भारत सरकार के फार्मास्यूटिकल मंत्रालय को भेजा गया था. शनिवार को फार्मास्यूटिकल सेक्रेटरी भारत सरकार एस अपर्णा की अध्यक्षता में हुई स्कीम स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में समीक्षा के बाद डीपीआर को मंजूरी दे दी गई. इसके अलावा इस योजना के पहले चरण में 300 करोड़ का बजट भी केंद्र की तरफ से जारी किया गया है.
50,000 लोगों को रोजगार और निवेश बढ़ेगा- इस परियोजना के लिए हिमाचल के ऊना जिले की हरोली तहसील में 1402.44 एकड़ भूमि का चयन किया गया है. 1923 करोड़ की इस परियोजना में से 1000 करोड़ रुपये सामान्य बुनियादी सुविधाओं को विकसित करने पर खर्च किया जाएगा. बल्क ड्रग पार्क से हिमाचल में युवाओं को रोजगार मिलने के साथ-साथ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा. इस परियोजना से 20 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और इससे भी अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा. कुल मिलाकर इस योजना से 50 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने का अनुमान है. इसके अलावा 50 हजार करोड़ का निवेश भी अपेक्षित है.
15 दिन में मिली डीपीआर को स्वीकृति- भारत सरकार के फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने 30 अगस्त, 2022 को हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में बल्क ड्रग पार्क स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की थी. उद्योग विभाग के प्रधान सचिव और उद्योग विभाग के निदेशक को योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार 90 दिनों के भीतर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर भारत सरकार के फार्मास्यूटिकल्स विभाग (bulk drug park in una himachal pradesh) को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन इस बहुउद्देशीय और महत्वाकांक्षी योजना को पूर्ण करने के लिए उद्योग विभाग ने 15 दिनों से कम रिकॉर्ड समय में डीपीआर तैयार कर ली थी. अब इस योजना के पहले चरण के लिए 300 करोड़ का बजट जारी किया गया है.
बल्क ड्रग पार्क क्या है- बल्क ड्रग को API यानी active pharmaceutical ingredient कहा जाता है. जो किसी भी दवा का मुख्य तत्व है. API दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाले दो कंपोनेट में से एक है, इसे किसी दवा के लिए कच्चा माल कहा जा सकता है. ऐसे में बल्क ड्रग पार्क एक ऐसा स्थान होगा जहां दवा तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले अलग-अलग तत्वों का निर्माण होगा. इन तत्वों को एक्टिव फॉर्मास्युटिकल्स इनग्रीडिएंट्स (एपीआई) कहते हैं.
बल्क ड्रग पार्क बनाने से क्या होगा- इस (bulk drug parks in india) योजना के तहत एक ही स्थान पर बेसिक इफ्रास्ट्रक्चर यानी सामान्य बुनियदी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी. जिससे देश में थोक दवा निर्माण के लिए एक मजबूत सिस्टम तैयार होगा, जिससे दवा की लागत में कमी आएगी. क्योंकि देश में बल्क ड्रग पार्क होने से बल्क ड्रग यानी कच्चे माल के आयात पर निर्भरता रकम होगी और देश में ही दवा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा भारत दुनिया के दवा बाजार में पैर पसारेगा जिससे भारत ड्रग उत्पादन का सिरमौर बनने की ओर एक कदम बढ़ाएगा.
क्यों जरूरत पड़ी- दरअसल भारत दुनिया के सबसे (Advantages of Bulk Drug Pharma Park) बड़े फार्मास्युटिकल उद्योगों में से एक है. इस मामले में भारत तीसरे स्थान पर है हालांकि इस क्षेत्र में दबदबा चीन का रहा है. लेकिन कोरोना काल में लॉकडाउन के बाद चीन की फैक्ट्रियां बंद पड़ गई और जब कोविड महामारी दुनियाभर में फैली तो दुनियाभर में सप्लाई चेन प्रभावित हो गई. भारत और चीन के बीच विवाद ने इसे और भी बुरी तरह प्रभावित किया. जिसके कारण दवा निर्माताओं को आयात में लगातार दिक्कतों का सामना करना पड़ा. जिसके बाद भारत सरकार ने बल्क ड्रग पार्क बनाने का फैसला किया. हिमाचल प्रदेश के अलावा गुजरात और आंध्र प्रदेश में भी बल्क ड्रग पार्क बनाने का ऐलान किया गया है.
हिमाचल को क्यों चुना गया- दरअसल भारत सबसे बड़े थोक दवाओं के उत्पादकों में से एक है लेकिन दवाओं को बनाने के लिए बल्क ड्रग अन्य देशों से भी आयात किया जाता है. हिमाचल में पहले से ही एशिया का सबसे बड़ा फार्मा मैन्युफैक्चरिंग हब बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र है. हिमाचल भारत के दवा उत्पादन के आधे हिस्से का उत्पादन करता है. कोरोना काल में भी हिमाचल में बनी दवाएं दुनियाभर के कई देशों तक निर्यात की गई.
सरकार इन पार्क की स्थापना से घरेलू दवा बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना चाहती है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दवा निर्माण और उत्पादन क्षेत्र में भारत को शीर्ष पर ले जाने की योजना है. भारत के इस कदम से फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में चीन का दबदबा खत्म हो जाएगा.