नई दिल्ली/जम्मू : सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने जम्मू क्षेत्र में भारत-पाकिस्तान अंतराष्ट्रीय सीमा पर आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ में इस्तेमाल की जाने वाली सुरंगों की मौजूदगी का पता लगाने को लेकर पहली बार रडार लगे ड्रोन तैनात किए हैं (BSF deploys drone mounted radars). अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
सुरक्षा बल द्वारा सुरंग का पता लगाने के अभ्यास के तहत हाल में इस मोर्चे पर स्वदेश में निर्मित तकनीकी उपकरण का इस्तेमाल किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी आतंकवादी भारतीय क्षेत्र में घुसने और जम्मू-कश्मीर या देश के किसी अन्य स्थान पर हमले करने में सक्षम नहीं हो. इन सुरंगों का इस्तेमाल नशीले पदार्थों, हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी के लिए भी किया जाता रहा है.
बीएसएफ ने पिछले तीन वर्षों में जम्मू मोर्चे (भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा) के लगभग 192 किमी में कम से कम पांच सुरंगों का पता लगाया है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दो ऐसी सीमा-पार सुरंगों का पता 2020 और 2021 में लगाया गया था, जबकि एक पिछले साल मिली थी और ये सभी जम्मू के इंद्रेश्वर नगर सेक्टर में पाई गई थीं.
बीएसएफ के एक अधिकारी ने बताया, 'बीएसएफ ने भारत-पाकिस्तान अंतराष्ट्रीय सीमा के जम्मू क्षेत्र में सुरंगों का आए दिन पता चलने के मद्देनजर खतरे का मुकाबला करने के लिए एक स्मार्ट तकनीकी उपकरण खरीदा है. पाकिस्तान से भारत में घुसपैठ करने के लिए आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली इन गुप्त संरचनाओं की जांच के लिए क्षेत्र में एक से अधिक रडार युक्त ड्रोन तैनात किए गए हैं.'
क्षेत्र में कार्यरत अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान में तैनात किए जा रहे रडार एक भारतीय निर्माता द्वारा विकसित किए गए हैं और ये सुरंगों की मौजूदगी का पता लगाने तथा उनकी लंबाई को मापने के लिए मजबूत रेडियो तरंगों का प्रयोग करते हैं.
सुरंग का पता लगाने में मदद : अधिकारियों ने कहा कि रडार के विशिष्ट विवरण का खुलासा नहीं किया जा सकता है, लेकिन नए उपकरण से सुरंग का पता लगाने में सैनिकों को काफी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि इसकी प्रभावशीलता का अभी अध्ययन किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि इस मोर्चे पर ऐसे इलाकों तक बेहतर पहुंच प्रदान करने के लिए ड्रोन पर रडार लगाए गए हैं, जहां तक जमीनी टीम का पहुंचना मुश्किल है. आमतौर पर छिपी सुरंगों की निगरानी सीमा बाड़ से लगभग 400 मीटर दूर तक की जाती है.
बीएसएफ के सुरंग रोधी निगरानी दल ड्रोन को दूर से नियंत्रित करते हैं जब वे मोर्चे पर एक विशिष्ट क्षेत्र का पता लगाने के लिए बाहर जाते हैं और हाथ से इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के साथ ‘फ्लाइंग रडार’ की सहायता लेते हैं.
एक अधिकारी ने कहा, 'एक समस्या जो इन रडार के सामने आती है वह धूल की मात्रा है जो ड्रोन के उड़ने के कारण उत्पन्न होती है और वे नीचे जमीन को स्कैन करने के लिए रडार द्वारा उत्सर्जित होने वाली रेडियो तरंगों से टकराते हैं. यह एक शुरुआत है और नए उपकरण को अभी भी सटीक बनाया जाना है.'
जम्मू क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा 192 किलोमीटर लंबी है. अंतरराष्ट्रीय सीमा पंजाब, राजस्थान और गुजरात से भी लगी है जिसकी कुल लंबाई 2289 किलोमीटर है. क्षेत्र में मिट्टी की ढीली संरचना के कारण सुरंग बनाए जाने का खतरा हमेशा बना रहता है. बीएसएफ ने पिछले एक दशक में यहां लगभग दस ऐसी संरचनाओं का पता लगाया है.
पढ़ें- जम्मू कश्मीर : सांबा में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास तलाशी अभियान चलाया गया
(पीटीआई-भाषा)