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BRS विधायक को मिली सुप्रीम राहत, तेलंगाना हाई कोर्ट के चुनाव को शून्य घोषित करने वाले आदेश पर रोक

भारत राष्ट्र समिति के विधायक बंदला कृष्ण मोहन रेड्डी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. उच्चतम अदालत ने गडवाल निर्वाचन क्षेत्र से विधायक का चुनाव रद्द करने के तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है.

supreme court
उच्चतम अदालत
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By PTI

Published : Sep 11, 2023, 6:57 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गडवाल निर्वाचन क्षेत्र से भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के विधायक बंदला कृष्ण मोहन रेड्डी के चुनाव को शून्य घोषित करने वाले तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने भाजपा नेता डीके अरुणा को नोटिस जारी किया, जिन्हें उच्च न्यायालय ने रेड्डी के चुनाव को रद्द करने के बाद निर्वाचित घोषित किया था और उनसे चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था.

उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को रेड्डी के चुनाव को शून्य घोषित करते हुए, अपनी संपत्ति के बारे में नामांकन पत्र के साथ गलत हलफनामा दाखिल करने के लिए उन पर 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. इसने अरुणा को दिसंबर, 2018 से पूर्वव्यापी प्रभाव से निर्वाचित घोषित किया था, इसके अलावा रेड्डी को मुकदमे की लागत के लिए 50,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था.

अरुणा ने 2018 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लड़ा था और हार गई थीं. रेड्डी के चुनाव जीतने के बाद, अरुणा, जो दूसरे स्थान पर रहीं, ने उनके खिलाफ चुनाव याचिका दायर की. बाद में वह भाजपा में शामिल हो गईं और वर्तमान में इसकी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. अरुणा ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी थी कि रेड्डी ने अपना चुनावी हलफनामा दाखिल करते समय अपनी संपत्तियों के बारे में जानकारी छिपाई थी.

उन्होंने दावा किया कि बीआरएस विधायक ने तेलंगाना में महबूबनगर जिले के पुदुर गांव में अपनी 24.09 एकड़ जमीन के विवरण का खुलासा नहीं किया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि रेड्डी ने अपनी पत्नी के बैंक खाते के विवरण के बारे में जानकारी का खुलासा नहीं किया था. रेड्डी ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गडवाल निर्वाचन क्षेत्र से भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के विधायक बंदला कृष्ण मोहन रेड्डी के चुनाव को शून्य घोषित करने वाले तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने भाजपा नेता डीके अरुणा को नोटिस जारी किया, जिन्हें उच्च न्यायालय ने रेड्डी के चुनाव को रद्द करने के बाद निर्वाचित घोषित किया था और उनसे चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था.

उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को रेड्डी के चुनाव को शून्य घोषित करते हुए, अपनी संपत्ति के बारे में नामांकन पत्र के साथ गलत हलफनामा दाखिल करने के लिए उन पर 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. इसने अरुणा को दिसंबर, 2018 से पूर्वव्यापी प्रभाव से निर्वाचित घोषित किया था, इसके अलावा रेड्डी को मुकदमे की लागत के लिए 50,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था.

अरुणा ने 2018 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लड़ा था और हार गई थीं. रेड्डी के चुनाव जीतने के बाद, अरुणा, जो दूसरे स्थान पर रहीं, ने उनके खिलाफ चुनाव याचिका दायर की. बाद में वह भाजपा में शामिल हो गईं और वर्तमान में इसकी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. अरुणा ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी थी कि रेड्डी ने अपना चुनावी हलफनामा दाखिल करते समय अपनी संपत्तियों के बारे में जानकारी छिपाई थी.

उन्होंने दावा किया कि बीआरएस विधायक ने तेलंगाना में महबूबनगर जिले के पुदुर गांव में अपनी 24.09 एकड़ जमीन के विवरण का खुलासा नहीं किया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि रेड्डी ने अपनी पत्नी के बैंक खाते के विवरण के बारे में जानकारी का खुलासा नहीं किया था. रेड्डी ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है.

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