ETV Bharat / bharat

Republic Day 2023 : इस कथा सम्राट ने हिला दी थी अंग्रेजों की नींव, इस पंक्ति से मच गई थी खलबली

मुंशी प्रेमचंद ने बनारस से देश भक्ति के रंग में रंगी एक ऐसी किताब लिखी थी, जिसकी पांच कहानियों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था. आइए जानते हैं गणतंत्र दिवस पर मुंशी देशभक्ति से जुड़ी किताबों के बारे में..

Etv Bharat
मुंशी प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं के दम पर हिला दी थी अंग्रेजों की नींव
author img

By

Published : Jan 25, 2023, 5:30 PM IST

मुंशी प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं के दम पर हिला दी थी अंग्रेजों की नींव

वाराणसी: पूरा देश गणतंत्र दिवस के जश्न में शामिल होने की तैयारियां कर रहा है. चौराहों पर तिरंगे दिखने लगे हैं, तो बच्चों ने भी स्कूलों में होने वाले कार्यक्रमों में देशभक्ति के जज्बे को जगाने की तैयारी कर ली है. पूरा माहौल देश भक्ति के रंग में रंगा नजर आ रहा हैं. बनारस में देशभक्ति के आंदोलन में अपने ही तरीके से अलग-अलग तरह अपनी सहभागिता दर्ज कराई थी.

वाराणसी में विख्यात साहित्यकार, कवि और उपन्यासकारों ने भी अपनी लेखनी के जरिए अंग्रेजी हुकूमत की जड़ों को कमजोर करने में बड़ी भूमिका निभाई थी. रचनाकार और साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद ने बनारस से देश भक्ति के रंग में रंगी एक ऐसी किताब लिखी थी, जिसकी पांच कहानियों के संग्रह में लिखी बातों ने अंग्रेजों को इतना परेशान किया था कि 1909 में लिखी गई इस किताब को अंग्रेजी हुकूमत ने आग के हवाले कर दिया था.

लमही में हुआ था मुंशी प्रेमचंद का जन्म
वाराणसी से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित लमही गांव में मुंशी प्रेमचंद का जन्म हुआ था. वाराणसी के लमही गांव को कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के गांव के नाम से आज भी जाना जाता है. इस गांव में प्रवेश के साथ ही इसकी सोंधी महक और मुंशी प्रेमचंद की कहानियों के तमाम किरदार आज भी आपको यहां पर नजर आ जाएंगे. गोदान, कफन, दो बैलों की जोड़ी, ईदगाह समेत तमाम चर्चित उपन्यास और साहित्य के यह किरदार मुंशी जी की अद्भुत सोच को व्यक्त करने के लिए काफी हैं, लेकिन कम लोग ही जानते हैं कि मुंशी जी ने एक तरफ जहां सामाजिक परिवेश पर कठोर वार करते हुए अपनी लेखनी के बल पर समाज में बड़ा बदलाव लाने का प्रयास किया था, तो वहीं देशभक्ति के आंदोलन में अपनी लेखनी के बल पर अंग्रेजों को काफी परेशान करके रखा था.

आजादी में अपनी लेखनी का दिया बड़ा योगदान
इस बारे में लमही गांव में मुंशी प्रेमचंद का आवास और स्मारक की लंबे वक्त से देखरेख करने वाले मुंशी प्रेमचंद के परिवार के बेहद करीबी और लमही में स्थित प्रेमचंद मेमोरियल ट्रस्ट के संरक्षक सुरेश चंद दुबे ने बताया कि मुंशी प्रेमचंद जी ने समाज की आजादी के साथ देश की आजादी के लिए अपनी लेखनी के बल पर बहुत सी रचनाएं की. 15 से ज्यादा किताबों को लिखने के साथ ही बच्चों के लिए कहानियों के बेहतरीन संग्रह और एक से बढ़कर एक कथा और उपन्यास की रचना करके उन्होंने हिंदी साहित्य में वह स्थान हासिल किया, जो शायद ही किसी को हासिल हो सके. कम लोग ही जानते हैं कि मुंशी जी ने देश की आजादी में अपनी लेखनी के बल पर बहुत बड़ा योगदान दिया था.

अंग्रेजों ने पुस्तकों को किया आग के हवाले
सुरेश चंद दुबे ने बताया कि मुंशी जी ने आजादी की लड़ाई में अपनी लेखनी के बल पर सोजे वतन की रचना की थी. यह मुंशी जी के द्वारा पांच कहानियों के संग्रह की एक ऐसी किताब थी, जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव को हिला कर रख दिया था. उनके द्वारा पहली कहानी में लिखी गई एक पंक्ति 'खून का वह आखिरी कतरा जो वतन की हिफाजत में गिरे, वही दुनिया की सबसे अनमोल चीज है'.

इस पंक्ति ने अंग्रेजों को इस कदर परेशान किया कि अंग्रेजी हुकूमत के अफसरों ने देशभक्ति के रंग में रंगी पांच कहानियों के संग्रह, जिसमें दुनिया का सबसे अनमोल रतन, यही मेरा वतन, शेख मखमूर, शोक का पुरस्कार, सांसारिक प्रेम और देश प्रेम नामक कहानियों की पुस्तक को ही आग के हवाले करने का आदेश दे दिया. इसके बाद बनारस समेत अलग-अलग हिस्सों में इस किताब को तलाश कर अंग्रेजी हुकूमत ने जलाना शुरू कर दिया, जो अपने आप में ऐतिहासिक है.

मुंशी जी के गांव में मौजूद हैं जलाई गई किताबों के कुछ अंश
सुरेश दुबे का कहना है कि शायद ही कोई ऐसा साहित्यकार हो जिसकी लेखनी ने अंग्रेजों को परेशान किया हो और किसी साहित्यकार की किताबों को जलाने का आदेश दिया गया है. इन किताबों और उपन्यास के बल पर मुंशी जी ने बहुत बड़ा योगदान देश की आजादी की अलख को जलाने में किया था. उस वक्त के क्रांतिकारी इन किताबों को युवाओं तक पहुंचाते थे, ताकि इसे पढ़कर उनके अंदर देशभक्ति का जज्बा जागे और देश की आजादी के आंदोलन में वह अपनी सहभागिता दर्ज करवा सकें. मुंशी जी के गांव में आज भी इस किताब की मूल प्रति के साथ ही जलाई गई किताबों के कुछ अंश भी मौजूद हैं. जिन्हें बकायदा दीवार पर लगाकर रखा गया है.

पढ़ेंः Munshi Premchand Birth Anniversary: कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के गांव की नहीं बदली हालत, सरकारी वादों के पूरा होने का इंतजार

मुंशी प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं के दम पर हिला दी थी अंग्रेजों की नींव

वाराणसी: पूरा देश गणतंत्र दिवस के जश्न में शामिल होने की तैयारियां कर रहा है. चौराहों पर तिरंगे दिखने लगे हैं, तो बच्चों ने भी स्कूलों में होने वाले कार्यक्रमों में देशभक्ति के जज्बे को जगाने की तैयारी कर ली है. पूरा माहौल देश भक्ति के रंग में रंगा नजर आ रहा हैं. बनारस में देशभक्ति के आंदोलन में अपने ही तरीके से अलग-अलग तरह अपनी सहभागिता दर्ज कराई थी.

वाराणसी में विख्यात साहित्यकार, कवि और उपन्यासकारों ने भी अपनी लेखनी के जरिए अंग्रेजी हुकूमत की जड़ों को कमजोर करने में बड़ी भूमिका निभाई थी. रचनाकार और साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद ने बनारस से देश भक्ति के रंग में रंगी एक ऐसी किताब लिखी थी, जिसकी पांच कहानियों के संग्रह में लिखी बातों ने अंग्रेजों को इतना परेशान किया था कि 1909 में लिखी गई इस किताब को अंग्रेजी हुकूमत ने आग के हवाले कर दिया था.

लमही में हुआ था मुंशी प्रेमचंद का जन्म
वाराणसी से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित लमही गांव में मुंशी प्रेमचंद का जन्म हुआ था. वाराणसी के लमही गांव को कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के गांव के नाम से आज भी जाना जाता है. इस गांव में प्रवेश के साथ ही इसकी सोंधी महक और मुंशी प्रेमचंद की कहानियों के तमाम किरदार आज भी आपको यहां पर नजर आ जाएंगे. गोदान, कफन, दो बैलों की जोड़ी, ईदगाह समेत तमाम चर्चित उपन्यास और साहित्य के यह किरदार मुंशी जी की अद्भुत सोच को व्यक्त करने के लिए काफी हैं, लेकिन कम लोग ही जानते हैं कि मुंशी जी ने एक तरफ जहां सामाजिक परिवेश पर कठोर वार करते हुए अपनी लेखनी के बल पर समाज में बड़ा बदलाव लाने का प्रयास किया था, तो वहीं देशभक्ति के आंदोलन में अपनी लेखनी के बल पर अंग्रेजों को काफी परेशान करके रखा था.

आजादी में अपनी लेखनी का दिया बड़ा योगदान
इस बारे में लमही गांव में मुंशी प्रेमचंद का आवास और स्मारक की लंबे वक्त से देखरेख करने वाले मुंशी प्रेमचंद के परिवार के बेहद करीबी और लमही में स्थित प्रेमचंद मेमोरियल ट्रस्ट के संरक्षक सुरेश चंद दुबे ने बताया कि मुंशी प्रेमचंद जी ने समाज की आजादी के साथ देश की आजादी के लिए अपनी लेखनी के बल पर बहुत सी रचनाएं की. 15 से ज्यादा किताबों को लिखने के साथ ही बच्चों के लिए कहानियों के बेहतरीन संग्रह और एक से बढ़कर एक कथा और उपन्यास की रचना करके उन्होंने हिंदी साहित्य में वह स्थान हासिल किया, जो शायद ही किसी को हासिल हो सके. कम लोग ही जानते हैं कि मुंशी जी ने देश की आजादी में अपनी लेखनी के बल पर बहुत बड़ा योगदान दिया था.

अंग्रेजों ने पुस्तकों को किया आग के हवाले
सुरेश चंद दुबे ने बताया कि मुंशी जी ने आजादी की लड़ाई में अपनी लेखनी के बल पर सोजे वतन की रचना की थी. यह मुंशी जी के द्वारा पांच कहानियों के संग्रह की एक ऐसी किताब थी, जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव को हिला कर रख दिया था. उनके द्वारा पहली कहानी में लिखी गई एक पंक्ति 'खून का वह आखिरी कतरा जो वतन की हिफाजत में गिरे, वही दुनिया की सबसे अनमोल चीज है'.

इस पंक्ति ने अंग्रेजों को इस कदर परेशान किया कि अंग्रेजी हुकूमत के अफसरों ने देशभक्ति के रंग में रंगी पांच कहानियों के संग्रह, जिसमें दुनिया का सबसे अनमोल रतन, यही मेरा वतन, शेख मखमूर, शोक का पुरस्कार, सांसारिक प्रेम और देश प्रेम नामक कहानियों की पुस्तक को ही आग के हवाले करने का आदेश दे दिया. इसके बाद बनारस समेत अलग-अलग हिस्सों में इस किताब को तलाश कर अंग्रेजी हुकूमत ने जलाना शुरू कर दिया, जो अपने आप में ऐतिहासिक है.

मुंशी जी के गांव में मौजूद हैं जलाई गई किताबों के कुछ अंश
सुरेश दुबे का कहना है कि शायद ही कोई ऐसा साहित्यकार हो जिसकी लेखनी ने अंग्रेजों को परेशान किया हो और किसी साहित्यकार की किताबों को जलाने का आदेश दिया गया है. इन किताबों और उपन्यास के बल पर मुंशी जी ने बहुत बड़ा योगदान देश की आजादी की अलख को जलाने में किया था. उस वक्त के क्रांतिकारी इन किताबों को युवाओं तक पहुंचाते थे, ताकि इसे पढ़कर उनके अंदर देशभक्ति का जज्बा जागे और देश की आजादी के आंदोलन में वह अपनी सहभागिता दर्ज करवा सकें. मुंशी जी के गांव में आज भी इस किताब की मूल प्रति के साथ ही जलाई गई किताबों के कुछ अंश भी मौजूद हैं. जिन्हें बकायदा दीवार पर लगाकर रखा गया है.

पढ़ेंः Munshi Premchand Birth Anniversary: कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के गांव की नहीं बदली हालत, सरकारी वादों के पूरा होने का इंतजार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.