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Bright Female IAS : जानिए आज कल कहां हैं लेडी सिंघम आईएएस बी. चंद्रकला और सोशल मीडिया से क्यों किया किनारा

समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान चर्चा में रही आईएएस बी. चंद्रकला के सितारे आज कल गर्दिश में हैं. कभी सोशल मीडिया पर लाखों के फालोवर्स वाली लेडी सिंघम खुद ही चर्चा से दूर रहना पसंद कर रही हैं. बताया जा रहा है कि वे किसी मीडिया पर्सन से भी बात नहीं करती हैं. देखें विस्तृत खबर...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 28, 2023, 1:08 PM IST

लखनऊ : एक दौर था, जब सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश की इस आईएएस अफसर के जलवे हुआ करते थे और सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोवर्स के एक मिनट में लाइक, शेयर, रिट्वीट और कमेंट की झड़ी लग जाती थी. हालांकि पिछले पांच साल से इनके सितारे गर्दिश में हैं. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) इनके लखनऊ आवास समेत कई लोगों के 12 ठिकानों पर छापे मार चुकी है. तभी से इन्होंने सोशल मीडिया से तौबा कर लिया और इनके साथ इनके लाखों फॉलोवर आज भी अपनी तेवर वाली लेडी सिंघम बी. चन्द्रकला को खोज रहे हैं. किसी ने उन्हें टैग करके भी कोई बड़ी खबर ‘ब्रेकिंग’ नहीं बनाई. न ही किसी ने उनके उन हजारों कार्यों को दोबारा सोशल मीडिया पर शेयर किया, जो उन्होंने जनता के लिए किया था. हालांकि उनके नाम से सोशल मीडिया पर बने पेज में उनकी तस्वीर गुड मॉर्निंग आदि के मैसेज शेयर होते हैं, लेकिन यह कोई अन्य शेयर करता है. वह सोशल मीडिया से पूरी तरह से दूर हो चुकी हैं.

आईएएस बी चंद्रकला.
आईएएस बी चंद्रकला.


गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में मार्च 2012 में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी. अगले माह अप्रैल में ही उन्होंने बी. चंद्रकला को हमीरपुर जैसे खनन बहुल जिले का जिलाधिकारी बना दिया. वह जून 2014 तक हमीरपुर की डीएम रहीं और वहीं से उनके हिस्से में विवादों ने घर कर लिया. उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि जुलाई 2012 में नियम-कानून को दरकिनार कर सत्तापक्ष के लोगों के कहने पर बी.चंद्रकला ने 60 पट्टे बांट डाले थे. जबकि कानूनन उन्हें ई-टेंडरिंग से पट्टे देने थे. हाईकोर्ट में केस हुआ तो उच्च अदालत ने इन सभी पट्टों को अवैध ठहरा दिया. बात यहीं रुक जाती तो ठीक थी, लेकिन अक्टूबर 2016 में यूपी की सबसे बड़ी कचहरी ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. तब बी.चंद्रकला मेरठ जैसे महत्वपूर्ण जिले की डीएम थीं. वर्ष 2012 से 2017 तक (अखिलेश यादव के सीएम रहने तक) चंद्रकला डीएम बनी रहीं और हमीरपुर, मथुरा, बुलंदशहर, बिजनौर और मेरठ जैसे जिलों की जिलाधिकारी रहीं.

आईएएस बी चंद्रकला.
आईएएस बी चंद्रकला.


शासन में विशेष सचिव तक सफर : वर्ष 2017 में यूपी की जनता ने फलक पर भगवा लहरा दिया और योगी आदित्यनाथ सूबे के वजीर-ए-आला बने. तब चंद्रकला केंद्र जा पहुंचीं और मार्च 2017 से फरवरी 18 तक केंद्र में तैनात रहीं. इस दौरान वह पेयजल एवं स्वच्छता मिशन की अनुसचिव/उप सचिव रहीं. मार्च 2018 से वह वापस यूपी में अपनी सेवाएं दे रही हैं, लेकिन किसी लाइम लाइट वाले पद पर नहीं, बल्कि कृषि उत्पादन आयुक्त शाखा में विशेष सचिव के पद पर तैनात हैं. साथ ही सहकारिता विभाग में अपर आयुक्त एवं अपर निबंधक (बैंकिंग) का चार्ज भी उनके पास है. सूत्रों का कहना है कि अब न वो किसी पत्रकार से मिलना चाहती हैं और न किसी नेता या समाजसेवी से. उन्हें डर है कि कोई उनके दर्द को कुरेद न दे या फिर जिन नेताओं के चलते वो सीबीआई जांच के लपेटे में हैं, उनसे मिलने-जुलने के चक्कर में फिर कोई नई आफत न आ जाए.

यह भी पढ़ें : 5000 करोड़ के खनन घोटाले को लेकर सीबीआई छापेमारी की पूरी कहानी

आईएएस बी. चंद्रकला को सहकारिता विभाग में मिला अपर आयुक्त और निबंधक बैंकिंग का अतिरिक्त प्रभार

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आईएएस बी चंद्रकला.
आईएएस बी चंद्रकला.


गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में मार्च 2012 में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी. अगले माह अप्रैल में ही उन्होंने बी. चंद्रकला को हमीरपुर जैसे खनन बहुल जिले का जिलाधिकारी बना दिया. वह जून 2014 तक हमीरपुर की डीएम रहीं और वहीं से उनके हिस्से में विवादों ने घर कर लिया. उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि जुलाई 2012 में नियम-कानून को दरकिनार कर सत्तापक्ष के लोगों के कहने पर बी.चंद्रकला ने 60 पट्टे बांट डाले थे. जबकि कानूनन उन्हें ई-टेंडरिंग से पट्टे देने थे. हाईकोर्ट में केस हुआ तो उच्च अदालत ने इन सभी पट्टों को अवैध ठहरा दिया. बात यहीं रुक जाती तो ठीक थी, लेकिन अक्टूबर 2016 में यूपी की सबसे बड़ी कचहरी ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. तब बी.चंद्रकला मेरठ जैसे महत्वपूर्ण जिले की डीएम थीं. वर्ष 2012 से 2017 तक (अखिलेश यादव के सीएम रहने तक) चंद्रकला डीएम बनी रहीं और हमीरपुर, मथुरा, बुलंदशहर, बिजनौर और मेरठ जैसे जिलों की जिलाधिकारी रहीं.

आईएएस बी चंद्रकला.
आईएएस बी चंद्रकला.


शासन में विशेष सचिव तक सफर : वर्ष 2017 में यूपी की जनता ने फलक पर भगवा लहरा दिया और योगी आदित्यनाथ सूबे के वजीर-ए-आला बने. तब चंद्रकला केंद्र जा पहुंचीं और मार्च 2017 से फरवरी 18 तक केंद्र में तैनात रहीं. इस दौरान वह पेयजल एवं स्वच्छता मिशन की अनुसचिव/उप सचिव रहीं. मार्च 2018 से वह वापस यूपी में अपनी सेवाएं दे रही हैं, लेकिन किसी लाइम लाइट वाले पद पर नहीं, बल्कि कृषि उत्पादन आयुक्त शाखा में विशेष सचिव के पद पर तैनात हैं. साथ ही सहकारिता विभाग में अपर आयुक्त एवं अपर निबंधक (बैंकिंग) का चार्ज भी उनके पास है. सूत्रों का कहना है कि अब न वो किसी पत्रकार से मिलना चाहती हैं और न किसी नेता या समाजसेवी से. उन्हें डर है कि कोई उनके दर्द को कुरेद न दे या फिर जिन नेताओं के चलते वो सीबीआई जांच के लपेटे में हैं, उनसे मिलने-जुलने के चक्कर में फिर कोई नई आफत न आ जाए.

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