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130 डॉलर प्रति बैरल हुई कच्चे तेल की कीमत, महंगा होगा पेट्रोल-डीजल ! - क्रूड ऑयल

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत में आग लग गई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में रेकॉर्ड इजाफा हुआ है. कच्चे तेल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल से अधिक का उछाल आया है और यह 14 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. रूस पर यूरोपीय यूनियन और नाटो देशों के प्रतिबंध के कारण क्रूड ऑयल की कीमत और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.

Crude oil prices jump
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Published : Mar 7, 2022, 9:55 AM IST

Updated : Mar 7, 2022, 1:56 PM IST

टोक्यो : रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों और बढ़ती मांग के कारण बेंट क्रूड ऑयल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल से अधिक का उछाल आया है. इसका असर शेयर बाजार पर भी देखा गया. सोमवार को शेयर बाजार में तेजी से गिरावट आई. भारत में सोमवार को बीएसई में 1,600 से अधिक अंकों की गिरावट हुई है.

सोमवार सुबह ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत में कुछ समय के लिए 10 डॉलर का इजाफा हुआ. इसकी कीमत लगभग 130 डॉलर प्रति बैरल हो गई. इसके लिए रूस के खिलाफ कठोर प्रतिबंधों के बढ़ते आह्वान के बीच यूक्रेन में संघर्ष के गहराने को जिम्मेदार माना जा रहा है. गौरतलब है कि दुनिया में रूस दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. ऐसे में रूस से सप्लाई में गड़बड़ होती है तो कीमतें बढ़ेंगी. इस बीच, लीबिया की राष्ट्रीय तेल कम्पनी ने कहा कि एक सशस्त्र समूह ने दो महत्वपूर्ण तेल क्षेत्रों को बंद कर दिया था, जिसके बाद तेल की कीमतें बढ़ रही हैं.

इससे पहले कच्चे तेल ने सबसे पहले 2012 में 128 डॉलर का आंकड़ा छुआ था. कच्‍चे तेल के दाम लाइफ टाइम हाई पर पहुंचने के कारण यह आशंका जताई जा रही है कि भारत में भी पेट्रोल और डीजल की कीमत में इजाफा हो सकता है. 10 मार्च को चुनाव के नतीजे आने के बाद पेट्रोल के दाम बढ़ सकते हैं. पिछले 124 दिनों से देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है, जबकि कच्चे तेल की कीमत करीब 73% बढ़ चुकी है.

तेल के दाम बढ़ने से भारत सरकार का इंपोर्ट बिल भी बढ़ रहा है क्योंकि देश में 75 फ़ीसदी से ज्यादा कच्चे तेल का आयात होता है. ब्रेंट कच्चे तेल के लिए भारत अपने आयात बिल का लगभग 20 प्रतिशत खर्च करता है. भारत तेल की कीमत डॉलर में अदा करता है , डॉलर का मूल्य जितना अधिक होगा, आयातकों को कच्चे तेल के लिए उतना ही अधिक भुगतान करना होगा.

पढ़ें : Stock Market: बड़ी गिरावट संग खुले शेयर बाजार, सेंसेक्स 1450 निफ्टी में 400 अंकों की गिरावट

टोक्यो : रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों और बढ़ती मांग के कारण बेंट क्रूड ऑयल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल से अधिक का उछाल आया है. इसका असर शेयर बाजार पर भी देखा गया. सोमवार को शेयर बाजार में तेजी से गिरावट आई. भारत में सोमवार को बीएसई में 1,600 से अधिक अंकों की गिरावट हुई है.

सोमवार सुबह ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत में कुछ समय के लिए 10 डॉलर का इजाफा हुआ. इसकी कीमत लगभग 130 डॉलर प्रति बैरल हो गई. इसके लिए रूस के खिलाफ कठोर प्रतिबंधों के बढ़ते आह्वान के बीच यूक्रेन में संघर्ष के गहराने को जिम्मेदार माना जा रहा है. गौरतलब है कि दुनिया में रूस दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. ऐसे में रूस से सप्लाई में गड़बड़ होती है तो कीमतें बढ़ेंगी. इस बीच, लीबिया की राष्ट्रीय तेल कम्पनी ने कहा कि एक सशस्त्र समूह ने दो महत्वपूर्ण तेल क्षेत्रों को बंद कर दिया था, जिसके बाद तेल की कीमतें बढ़ रही हैं.

इससे पहले कच्चे तेल ने सबसे पहले 2012 में 128 डॉलर का आंकड़ा छुआ था. कच्‍चे तेल के दाम लाइफ टाइम हाई पर पहुंचने के कारण यह आशंका जताई जा रही है कि भारत में भी पेट्रोल और डीजल की कीमत में इजाफा हो सकता है. 10 मार्च को चुनाव के नतीजे आने के बाद पेट्रोल के दाम बढ़ सकते हैं. पिछले 124 दिनों से देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है, जबकि कच्चे तेल की कीमत करीब 73% बढ़ चुकी है.

तेल के दाम बढ़ने से भारत सरकार का इंपोर्ट बिल भी बढ़ रहा है क्योंकि देश में 75 फ़ीसदी से ज्यादा कच्चे तेल का आयात होता है. ब्रेंट कच्चे तेल के लिए भारत अपने आयात बिल का लगभग 20 प्रतिशत खर्च करता है. भारत तेल की कीमत डॉलर में अदा करता है , डॉलर का मूल्य जितना अधिक होगा, आयातकों को कच्चे तेल के लिए उतना ही अधिक भुगतान करना होगा.

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Last Updated : Mar 7, 2022, 1:56 PM IST
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