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बंबई हाई काेर्ट ने ट्राई का आदेश बरकरार रखा - ट्राई का आदेश

बंबई हाई काेर्ट ने ट्राई (TRAI) द्वारा पिछले साल जारी शुल्क से जुड़े एक आदेश की संवैधानिक वैधता को बुधवार को बरकरार रखा लेकिन उसमें शामिल एक शर्त को निरस्त कर दिया.

बंबई हाई काेर्ट
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Published : Jun 30, 2021, 5:49 PM IST

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा पिछले साल जारी शुल्क से जुड़े एक आदेश की संवैधानिक वैधता को बुधवार को बरकरार रखा लेकिन उसमें शामिल एक शर्त को निरस्त कर दिया. इस शर्त के अनुसार किसी एक चैनल की कीमत चैनलों के गुच्छे के सबसे महंगे चैनल की औसत कीमत का एक-तिहाई से ज्यादा नहीं हो सकती.

न्यायमूर्ति अमजद सैयद और अनुजा प्रभुदेसाई की खंडपीठ ने कई प्रसारकों द्वारा दायर याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया. इन प्रसारकों में टीवी प्रसारकों का प्रतिनिधि संगठन इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन (Indian Broadcasting Foundation), फिल्म एंड टेलीविजन प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Film and Television Producers Guild of India), जी इंटरटेनमेंट लिमिटेड और सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया शामिल हैं. एक जनवरी, 2020 को ट्राई ने शुल्क से जुड़े नये नियम जारी किए थे.

नये नियमों के तहत उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचाते हुए नेटवर्क क्षमता शुल्क (एनसीएफ) कम कर दिया गया. इससे पहले सभी फ्री-टू-एयर चैनलों (free-to-air channels) के लिए 130 रुपए का अतिरिक्त शुल्क लागू था और और उपभोक्ताओं को अतिरिक्त चैनल देखने के लिए ज्यादा पैसे देने पड़ते थे.

प्रसारण क्षेत्र के शुल्कों में बदलाव के बाद उपभोक्ताओं को एनसीएफ शुल्क (NCF Fee) के तौर पर 130 रुपए का भुगतान करना होगा लेकिन वे 200 चैनल पाने के हकदार होंगे. अलग-अलग चैनलों की कीमत में बदलाव करने का भी आदेश दिया गया था.

इसे भी पढ़ें : भारत नेट प्रोजेक्ट के लिए ₹ 19 हजार करोड़ के आवंटन को मंजूरी मिली

ट्राई की ओर से खड़े वरिष्ठ अधिवक्ता वेंकटेश धोंड और अधिवक्ता आशीष प्यासी ने कहा कि अन्य सम्बद्ध पक्षों ने ट्राई के आदेश का पहले ही अनुपालन कर दिया है. ट्राई की ओर से कहा गया कि यह निर्णय उपभोक्तओं के हित के लिए है और इसके माध्यम से यह सुनिश्चित कि गया है कि चैनलों की दर लगारने में कोई मनमानी न हो तथा पारदर्शिता रहे.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा पिछले साल जारी शुल्क से जुड़े एक आदेश की संवैधानिक वैधता को बुधवार को बरकरार रखा लेकिन उसमें शामिल एक शर्त को निरस्त कर दिया. इस शर्त के अनुसार किसी एक चैनल की कीमत चैनलों के गुच्छे के सबसे महंगे चैनल की औसत कीमत का एक-तिहाई से ज्यादा नहीं हो सकती.

न्यायमूर्ति अमजद सैयद और अनुजा प्रभुदेसाई की खंडपीठ ने कई प्रसारकों द्वारा दायर याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया. इन प्रसारकों में टीवी प्रसारकों का प्रतिनिधि संगठन इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन (Indian Broadcasting Foundation), फिल्म एंड टेलीविजन प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Film and Television Producers Guild of India), जी इंटरटेनमेंट लिमिटेड और सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया शामिल हैं. एक जनवरी, 2020 को ट्राई ने शुल्क से जुड़े नये नियम जारी किए थे.

नये नियमों के तहत उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचाते हुए नेटवर्क क्षमता शुल्क (एनसीएफ) कम कर दिया गया. इससे पहले सभी फ्री-टू-एयर चैनलों (free-to-air channels) के लिए 130 रुपए का अतिरिक्त शुल्क लागू था और और उपभोक्ताओं को अतिरिक्त चैनल देखने के लिए ज्यादा पैसे देने पड़ते थे.

प्रसारण क्षेत्र के शुल्कों में बदलाव के बाद उपभोक्ताओं को एनसीएफ शुल्क (NCF Fee) के तौर पर 130 रुपए का भुगतान करना होगा लेकिन वे 200 चैनल पाने के हकदार होंगे. अलग-अलग चैनलों की कीमत में बदलाव करने का भी आदेश दिया गया था.

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ट्राई की ओर से खड़े वरिष्ठ अधिवक्ता वेंकटेश धोंड और अधिवक्ता आशीष प्यासी ने कहा कि अन्य सम्बद्ध पक्षों ने ट्राई के आदेश का पहले ही अनुपालन कर दिया है. ट्राई की ओर से कहा गया कि यह निर्णय उपभोक्तओं के हित के लिए है और इसके माध्यम से यह सुनिश्चित कि गया है कि चैनलों की दर लगारने में कोई मनमानी न हो तथा पारदर्शिता रहे.

(पीटीआई-भाषा)

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