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माता-पिता को परेशान करने वाले व्यक्ति को घर से बेदखल करने का आदेश

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने बुजुर्ग माता-पिता को परेशान करने वाले व्यक्ति को घर से बेदखल करने के आदेश को बरकरार रखा है.

nagpur bench judgment
नागपुर पीठ
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Published : Apr 30, 2022, 11:53 AM IST

नागपुर : बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने अपने वृद्धि माता-पिता को प्रताड़ित करने वाले एक व्यक्ति को घर से बेदखल करने का आदेश दिया है. जस्टिस रोहित देव ने फैसला सुनाते हुए अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यहार करने वाले व्यक्ति को घर से बेदखल करने निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा. पीड़ित बुजुर्ग दंपति नागपुर के हंसापुरी इलाके में रहते हैं. जिनकी उम्र 78 साल और 65 साल है. पुत्र ने उनके घर पर कब्जा कर लिया था. व्यक्ति के बुजुर्ग पिता बीमार हैं और उन्हें बाईपास सर्जरी करानी है. लेकिन उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं हैं. पुत्र से कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती है.

बुजुर्ग दंपति का बेटा माता-पिता की सेवा करने के बजाय उनके साथ मारपीट और गाली-गलौज करता था. साथ ही जान से मारने की धमकी देता था, जिससे तंग आकर माता-पिता ने बेटे के खिलाफ याचिका दायर की थी. पीड़ित बुजुर्ग दंपति ने अदालत से उनके बेटे को घर से बेदखल करने की गुहार लगाई थी. उन्होंने अदालत से कहा था कि बेटे को घर से बेदखल किए बिना उन्हें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संतुष्टि नहीं मिल सकती है. इसके बाद अदालत ने भी पाया कि माता-पिता के लिए एक सुरक्षित और संतोषजनक वातावरण प्रदान करने के लिए पुत्र को घर से बेदखल करना ही उचित है.

बेटे की प्रताड़ना से परेशान बुजुर्ग दंपति ने 21 जनवरी, 2020 को स्थानीय अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी. अदालत ने इस संबंध में माता-पिता की शिकायत को स्वीकार कर लिया था और बेटे को घर से बेदखल करने का फैसला सुनाया था. इसके बाद व्यक्ति ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने मामले के तथ्यों को कानूनी मानते हुए निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा और पुत्र को माता-पिता का घर खाली करने का आदेश दिया.

यह भी पढ़ें- नागपुर: शराब की लत के चलते पिता ने नवजात बच्ची को बेचा, गिरफ्तार

नागपुर : बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने अपने वृद्धि माता-पिता को प्रताड़ित करने वाले एक व्यक्ति को घर से बेदखल करने का आदेश दिया है. जस्टिस रोहित देव ने फैसला सुनाते हुए अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यहार करने वाले व्यक्ति को घर से बेदखल करने निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा. पीड़ित बुजुर्ग दंपति नागपुर के हंसापुरी इलाके में रहते हैं. जिनकी उम्र 78 साल और 65 साल है. पुत्र ने उनके घर पर कब्जा कर लिया था. व्यक्ति के बुजुर्ग पिता बीमार हैं और उन्हें बाईपास सर्जरी करानी है. लेकिन उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं हैं. पुत्र से कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती है.

बुजुर्ग दंपति का बेटा माता-पिता की सेवा करने के बजाय उनके साथ मारपीट और गाली-गलौज करता था. साथ ही जान से मारने की धमकी देता था, जिससे तंग आकर माता-पिता ने बेटे के खिलाफ याचिका दायर की थी. पीड़ित बुजुर्ग दंपति ने अदालत से उनके बेटे को घर से बेदखल करने की गुहार लगाई थी. उन्होंने अदालत से कहा था कि बेटे को घर से बेदखल किए बिना उन्हें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संतुष्टि नहीं मिल सकती है. इसके बाद अदालत ने भी पाया कि माता-पिता के लिए एक सुरक्षित और संतोषजनक वातावरण प्रदान करने के लिए पुत्र को घर से बेदखल करना ही उचित है.

बेटे की प्रताड़ना से परेशान बुजुर्ग दंपति ने 21 जनवरी, 2020 को स्थानीय अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी. अदालत ने इस संबंध में माता-पिता की शिकायत को स्वीकार कर लिया था और बेटे को घर से बेदखल करने का फैसला सुनाया था. इसके बाद व्यक्ति ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने मामले के तथ्यों को कानूनी मानते हुए निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा और पुत्र को माता-पिता का घर खाली करने का आदेश दिया.

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