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बम्बई उच्च न्यायालय ने पत्रकार राणा अय्यूब को ट्रांजिट अग्रिम जमानत दी

गाजियाबाद पुलिस (Ghaziabad Police) ने बुजुर्ग मारपीट केस में ट्वीट कर अफवाह फैलाने के आरोप में कई लोगों पर केस दर्ज किया था. पत्रकार राणा अय्यूब पर भी केस दर्ज किया गया था, जिसको लेकर उन्होंने बम्बई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने राणा अय्यूब को चार हफ्ते की ट्रांजिट अग्रिम जमानत दी है.

बम्बई उच्च न्यायालय
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Published : Jun 22, 2021, 7:16 AM IST

मुंबई : बम्बई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने उत्तर प्रदेश पुलिस (Uttar Pradesh Police) द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के सिलसिले में सोमवार को पत्रकार राणा अय्यूब ( journalist Rana Ayyub) को चार सप्ताह की ट्रांजिट अग्रिम जमानत (transit anticipatory bail) दे दी. उत्तर प्रदेश पुलिस ने अय्यूब के खिलाफ सोशल मीडिया पर उस वीडियो को कथित तौर पर प्रसारित करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति ने दावा किया था उसे पीटा गया और उनसे 'जय श्री राम' का नारा (Jai Shri Ram slogan) लगाने के लिए कहा गया.

पुलिस ने अपनी प्राथमिकी में दावा किया कि वीडियो सांप्रदायिक अशांति पैदा करने के लिए प्रसारित किया गया था.

उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 153ए (धर्म, वर्ग आदि के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 ए (किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वास का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य करना), 120बी (आपराधिक साजिश) और अन्य के प्राथमिकी दर्ज की गई है.

पढ़ें- पूर्व मंत्री काे क्लीन चिट मामला : 'अगर दिन को रात बताया गया तो काेर्ट स्वीकार नहीं करेगी'

अय्यूब के वकील मिहिर देसाई ने सोमवार को न्यायमूर्ति पी डी नाइक की एकल पीठ को बताया कि आवेदक एक पत्रकार है, जिसने अपने ट्विटर हैंडल से वीडियो को केवल 'फॉरवर्ड' किया था. देसाई ने कहा, जब 16 जून को उन्हें पता चला कि वीडियो की सामग्री सही नहीं है, तो उन्होंने उसे हटा दिया.

उन्होंने कहा कि जिन अपराधों के तहत अय्यूब पर मामला दर्ज किया गया है, उन सभी में केवल तीन साल तक की जेल की सजा हो सकती हैं और इसलिए उन्हें राहत पाने के लिए उत्तर प्रदेश में संबंधित अदालत से संपर्क करने का समय दिया जाना चाहिए.

न्यायमूर्ति नाइक ने कहा कि बाद में पुलिस जांच में पता चला कि कथित तौर पर उसे पीटने और 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए मजबूर करने का दावा करने वाले व्यक्ति का उन लोगों के साथ कुछ विवाद था, जिन्होंने उसे किसी अन्य लेनदेन के मामले को लेकर पीटा था.

अदालत ने अपने आदेश में कहा, मामले के तथ्यात्मक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए और आवेदक (अय्यूब) को उत्तर प्रदेश में संबंधित अदालत से संपर्क करने के लिए चार सप्ताह की अवधि के लिए ट्रांजिट अग्रिम जमानत दी जाती है.

पढ़ें- IISC आतंकी हमला मामला : मोहम्मद हबीब NIA की विशेष अदालत से रिहा

न्यायमूर्ति नाइक ने कहा, इस अवधि में आवेदक की गिरफ्तारी की स्थिति में उसे 25,000 रुपये के निजी मुचलके पर रिहा किया जाएगा. साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि आवेदक को प्रदान की गयी इस अवधि को बढ़ाया नहीं जायेगा.

अय्यूब के अलावा पुलिस ने ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया, समाचार वेबसाइट 'द वायर', पत्रकारों मोहम्मद जुबैर, कांग्रेस नेताओं सलमान निजामी, मश्कूर उस्मानी, शमा मोहम्मद और लेखिका सबा नकवी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.

गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर 14 जून को सामने आए वीडियो क्लिप में बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति अब्दुल समद सैफी ने आरोप लगाया था कि कुछ युवकों ने उनकी पिटाई की और उनसे 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए कहा. हाालांकि, गाजियाबाद पुलिस ने इस घटना में किसी भी तरह के सांपद्रायिक होने से इंकार किया और कहा कि आरोपी व्यक्ति उस 'ताबीज' को लेकर नाखुश थे, जो पीड़ित वृद्ध ने उन्हें बेचा था.

(भाषा)

मुंबई : बम्बई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने उत्तर प्रदेश पुलिस (Uttar Pradesh Police) द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के सिलसिले में सोमवार को पत्रकार राणा अय्यूब ( journalist Rana Ayyub) को चार सप्ताह की ट्रांजिट अग्रिम जमानत (transit anticipatory bail) दे दी. उत्तर प्रदेश पुलिस ने अय्यूब के खिलाफ सोशल मीडिया पर उस वीडियो को कथित तौर पर प्रसारित करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति ने दावा किया था उसे पीटा गया और उनसे 'जय श्री राम' का नारा (Jai Shri Ram slogan) लगाने के लिए कहा गया.

पुलिस ने अपनी प्राथमिकी में दावा किया कि वीडियो सांप्रदायिक अशांति पैदा करने के लिए प्रसारित किया गया था.

उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 153ए (धर्म, वर्ग आदि के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 ए (किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वास का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य करना), 120बी (आपराधिक साजिश) और अन्य के प्राथमिकी दर्ज की गई है.

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अय्यूब के वकील मिहिर देसाई ने सोमवार को न्यायमूर्ति पी डी नाइक की एकल पीठ को बताया कि आवेदक एक पत्रकार है, जिसने अपने ट्विटर हैंडल से वीडियो को केवल 'फॉरवर्ड' किया था. देसाई ने कहा, जब 16 जून को उन्हें पता चला कि वीडियो की सामग्री सही नहीं है, तो उन्होंने उसे हटा दिया.

उन्होंने कहा कि जिन अपराधों के तहत अय्यूब पर मामला दर्ज किया गया है, उन सभी में केवल तीन साल तक की जेल की सजा हो सकती हैं और इसलिए उन्हें राहत पाने के लिए उत्तर प्रदेश में संबंधित अदालत से संपर्क करने का समय दिया जाना चाहिए.

न्यायमूर्ति नाइक ने कहा कि बाद में पुलिस जांच में पता चला कि कथित तौर पर उसे पीटने और 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए मजबूर करने का दावा करने वाले व्यक्ति का उन लोगों के साथ कुछ विवाद था, जिन्होंने उसे किसी अन्य लेनदेन के मामले को लेकर पीटा था.

अदालत ने अपने आदेश में कहा, मामले के तथ्यात्मक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए और आवेदक (अय्यूब) को उत्तर प्रदेश में संबंधित अदालत से संपर्क करने के लिए चार सप्ताह की अवधि के लिए ट्रांजिट अग्रिम जमानत दी जाती है.

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न्यायमूर्ति नाइक ने कहा, इस अवधि में आवेदक की गिरफ्तारी की स्थिति में उसे 25,000 रुपये के निजी मुचलके पर रिहा किया जाएगा. साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि आवेदक को प्रदान की गयी इस अवधि को बढ़ाया नहीं जायेगा.

अय्यूब के अलावा पुलिस ने ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया, समाचार वेबसाइट 'द वायर', पत्रकारों मोहम्मद जुबैर, कांग्रेस नेताओं सलमान निजामी, मश्कूर उस्मानी, शमा मोहम्मद और लेखिका सबा नकवी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.

गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर 14 जून को सामने आए वीडियो क्लिप में बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति अब्दुल समद सैफी ने आरोप लगाया था कि कुछ युवकों ने उनकी पिटाई की और उनसे 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए कहा. हाालांकि, गाजियाबाद पुलिस ने इस घटना में किसी भी तरह के सांपद्रायिक होने से इंकार किया और कहा कि आरोपी व्यक्ति उस 'ताबीज' को लेकर नाखुश थे, जो पीड़ित वृद्ध ने उन्हें बेचा था.

(भाषा)

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