ETV Bharat / bharat

7 साल की मासूम से कुकर्म मामले में बॉम्बे HC ने आरोपी को दी जमानत, यह है आधार - नाबालिग कुकर्म मामले में जमानत

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बच्ची के साथ कुकर्म मामले में आरोपी को जमानत दे दी है. अदालत ने पेश मामले में कुकर्म के अपराध को कानूनी रूप से परिभाषित करते हुए जमानत दी.

No penetration, says HC, gives bail to Sec 377 accusedEtv Bharat
बॉम्बे HC ने 7 साल की बच्ची के साथ कुकर्म के मामले में इस आधार पर आरोपी को दी जमानतEtv Bharat
author img

By

Published : Sep 3, 2022, 10:57 AM IST

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) के एक मामले में एक आरोपी को जमानत दे दी. आरोपी पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2019 में एक सात साल की बच्ची दोस्त के साथ खेल रही थी. दोपहर में जब वह लौट रही तो उसके साथ घटना हुई. दोस्त ने उसकी की मां को बताया कि दाढ़ी वाले व्यक्ति ने नाबालिग के कपड़े उतार दिए, उसकी गुदा फैला दी और उसमें लाल पानी डाल दिया. मां ने इसकी शिकायत पुलिस से की. पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. अगस्त 2020 में, एक सत्र अदालत ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया.

उच्च न्यायालय में आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि धारा 377 के तहत आरोप साबित नहीं हुआ है. न्यायमूर्ति भारती डांगरे इस दलील से सहमत दिखीं. उन्होंने कहा, 'हाथों से गुदा का विस्तार करने और उसमें कुछ पदार्थ डालने का कथित कार्य, प्रथम दृष्टया, 'शारीरिक संभोग' शब्द में शामिल नहीं किया जा सकता है, इसमें अनिवार्य रूप से मांस या कामुक आनंद शामिल होना चाहिए.'

न्यायाधीश ने कहा कि अप्राकृतिक अपराध को परिभाषित नहीं किया गया है, जैसा कि धारा 377 में संकेत दिया गया है, जो कोई भी स्वेच्छा से किसी भी पुरुष, महिला या जानवर के साथ प्रकृति के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाता है, उसे आजीवन कारावास या 10 साल तक की सजा हो सकती है. धारा 377 शारीरिक संभोग और धारा 375 (बलात्कार) में यौन संभोग के रूप मे स्पष्ट रूप से अलग है.'

ये भी पढ़ें- सोनाली फोगाट मामला, अदालत ने दो आरोपियों को दस दिन की पुलिस हिरासत में भेजा

उन्होंने कहा कि नाबालिग का यह कहना कि आरोपी उसके ऊपर सोया था, इसलिए पोक्सो लगेगा इसपर न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा, आज की तारीख में, चूंकि आवेदक लगभग तीन साल से जेल में बंद है, इसलिए वह जमानत पर रिहा होने का हकदार है.' न्यायमूर्ति डांगरे ने नाबालिग के बयान का हवाला दिया कि एक 'चाचा' ने उसके और साथ ही खुद के भी कपड़े उतारे. जब वह चिल्लाने लगी तो वह उसका मुंह ढक कर उसके ऊपर सो गया. बाद में उसने उसकी गुदा में लाल पानी डाला और उसे जाने दिया.

मेडिकल जांच रिपोर्ट में गुदा में कोई चोट की बात सामने नहीं आई. न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा कि मां की शिकायत या लड़की ने पेनेट्रेटिव यौन शोषण का आरोप नहीं लगाया है, लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि नाबालिग के साथ पेनेट्रेटिव सेक्सुअल कॉटेक्ट हुआ. पीड़िता की जांच घटना के तीन दिन बाद की जाती है और उसके यौन अंग विकृत पाये गये. जबकि खुद लड़की के अनुसार, उसकी योनि को न तो छुआ गया था और न ही कोई जबरदस्ती की गयी थी जैसा कि पुलिस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया.

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) के एक मामले में एक आरोपी को जमानत दे दी. आरोपी पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2019 में एक सात साल की बच्ची दोस्त के साथ खेल रही थी. दोपहर में जब वह लौट रही तो उसके साथ घटना हुई. दोस्त ने उसकी की मां को बताया कि दाढ़ी वाले व्यक्ति ने नाबालिग के कपड़े उतार दिए, उसकी गुदा फैला दी और उसमें लाल पानी डाल दिया. मां ने इसकी शिकायत पुलिस से की. पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. अगस्त 2020 में, एक सत्र अदालत ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया.

उच्च न्यायालय में आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि धारा 377 के तहत आरोप साबित नहीं हुआ है. न्यायमूर्ति भारती डांगरे इस दलील से सहमत दिखीं. उन्होंने कहा, 'हाथों से गुदा का विस्तार करने और उसमें कुछ पदार्थ डालने का कथित कार्य, प्रथम दृष्टया, 'शारीरिक संभोग' शब्द में शामिल नहीं किया जा सकता है, इसमें अनिवार्य रूप से मांस या कामुक आनंद शामिल होना चाहिए.'

न्यायाधीश ने कहा कि अप्राकृतिक अपराध को परिभाषित नहीं किया गया है, जैसा कि धारा 377 में संकेत दिया गया है, जो कोई भी स्वेच्छा से किसी भी पुरुष, महिला या जानवर के साथ प्रकृति के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाता है, उसे आजीवन कारावास या 10 साल तक की सजा हो सकती है. धारा 377 शारीरिक संभोग और धारा 375 (बलात्कार) में यौन संभोग के रूप मे स्पष्ट रूप से अलग है.'

ये भी पढ़ें- सोनाली फोगाट मामला, अदालत ने दो आरोपियों को दस दिन की पुलिस हिरासत में भेजा

उन्होंने कहा कि नाबालिग का यह कहना कि आरोपी उसके ऊपर सोया था, इसलिए पोक्सो लगेगा इसपर न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा, आज की तारीख में, चूंकि आवेदक लगभग तीन साल से जेल में बंद है, इसलिए वह जमानत पर रिहा होने का हकदार है.' न्यायमूर्ति डांगरे ने नाबालिग के बयान का हवाला दिया कि एक 'चाचा' ने उसके और साथ ही खुद के भी कपड़े उतारे. जब वह चिल्लाने लगी तो वह उसका मुंह ढक कर उसके ऊपर सो गया. बाद में उसने उसकी गुदा में लाल पानी डाला और उसे जाने दिया.

मेडिकल जांच रिपोर्ट में गुदा में कोई चोट की बात सामने नहीं आई. न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा कि मां की शिकायत या लड़की ने पेनेट्रेटिव यौन शोषण का आरोप नहीं लगाया है, लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि नाबालिग के साथ पेनेट्रेटिव सेक्सुअल कॉटेक्ट हुआ. पीड़िता की जांच घटना के तीन दिन बाद की जाती है और उसके यौन अंग विकृत पाये गये. जबकि खुद लड़की के अनुसार, उसकी योनि को न तो छुआ गया था और न ही कोई जबरदस्ती की गयी थी जैसा कि पुलिस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.