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महाराष्ट्र: HC ने सभी अदालतों के अंतरिम आदेशों की अवधि आठ अक्टूबर तक बढ़ाई

बंबई उच्च न्यायालय ने राज्य की सभी अदालतों द्वारा पारित अंतरिम आदेशों की अवधि शुक्रवार को आठ अक्टूबर तक बढ़ा दी, साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि कोविड-19 के कम होते मामलों को देखते हुए वह इसे और आगे बढ़ाने को इच्छुक नहीं है. पढ़ें पूरी खबर...

बंबई उच्च न्यायालय
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Published : Sep 24, 2021, 6:46 PM IST

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने राज्य की सभी अदालतों द्वारा पारित अंतरिम आदेशों की अवधि शुक्रवार को आठ अक्टूबर तक बढ़ा दी, साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि कोविड-19 के कम होते मामलों को देखते हुए वह इसे और आगे बढ़ाने को इच्छुक नहीं है.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता, न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति पीबी वरले की एक पीठ ने पिछले साल स्वत: संज्ञान लेते हुए सभी आदेशों की अवधि बढ़ा दी थी, जिससे लोगों को काफी राहत मिली थी.

अदालत ने तब कहा था कि कोविड-19 वैश्विक महामारी और उसके मद्देनजर लगे लॉकडाउन के कारण लोग अदालत आने में सक्षम नहीं होंगे. बता दें, इस पूर्ण पीठ का आदेश समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है.

पूर्ण पीठ ने शुक्रवार को पाया कि कोविड-19 के मामले धीरे-धीरे कम हो रहे हैं, लेकिन वह अंतरिम आदेशों को तत्काल रद्द नहीं करना चाहता था, क्योंकि इससे लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.

अदालत ने कहा, हम आठ अक्टूबर तक ओदशों की अवधि बढ़ा रहे हैं. पूरी संभावना है कि इन्हें आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. अगर स्थिति बेहतर होती है तो हम अपने आदेश को रद्द कर देंगे. हालांकि, अगर हमने पाया कि स्थिति खराब हो गई है तो हम इसे और आगे बढ़ा देंगे.

अदालत ने सुनवाई के दौरान सरकार के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी से पूछा कि क्या महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में लॉकडाउन संबंधी पाबंदियां जारी रखने से जुड़ा कोई फैसला किया है.

कुंभकोणि ने इसके जवाब में कहा कि अभी तक कोई निर्णय नहीं किया गया है.

कुंभकोणि ने कहा, सरकार ने अभी कोई फैसला नहीं किया है, लेकिन सभी रिपोर्ट से स्थिति बेहतर लग रही है. विशेषज्ञों ने गणेश विसर्जन के आखिरी दिन से 10 दिन तक स्थिति का आकलन करने को कहा है, जिससे की कोविड-19 की स्थिति का पता चलेगा.

पढ़ें : 31 अक्टूबर तक अंतरिम आदेश बढ़ाने के आदेश पर स्पष्टीकरण की मांग हुई वापस

'एडवोकेट्स एसोसिएशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया' का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील उदय वरुंजिकर ने अनुरोध किया कि स्थगन आदेश दो सप्ताह के बजाय तीन सप्ताह के लिए जारी रखा जाए, क्योंकि कई वकीलों ने हाल ही में टीका लगावाया है. हालांकि अदालत ने उनके इस अनुरोध को खारिज कर दिया.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने राज्य की सभी अदालतों द्वारा पारित अंतरिम आदेशों की अवधि शुक्रवार को आठ अक्टूबर तक बढ़ा दी, साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि कोविड-19 के कम होते मामलों को देखते हुए वह इसे और आगे बढ़ाने को इच्छुक नहीं है.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता, न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति पीबी वरले की एक पीठ ने पिछले साल स्वत: संज्ञान लेते हुए सभी आदेशों की अवधि बढ़ा दी थी, जिससे लोगों को काफी राहत मिली थी.

अदालत ने तब कहा था कि कोविड-19 वैश्विक महामारी और उसके मद्देनजर लगे लॉकडाउन के कारण लोग अदालत आने में सक्षम नहीं होंगे. बता दें, इस पूर्ण पीठ का आदेश समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है.

पूर्ण पीठ ने शुक्रवार को पाया कि कोविड-19 के मामले धीरे-धीरे कम हो रहे हैं, लेकिन वह अंतरिम आदेशों को तत्काल रद्द नहीं करना चाहता था, क्योंकि इससे लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.

अदालत ने कहा, हम आठ अक्टूबर तक ओदशों की अवधि बढ़ा रहे हैं. पूरी संभावना है कि इन्हें आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. अगर स्थिति बेहतर होती है तो हम अपने आदेश को रद्द कर देंगे. हालांकि, अगर हमने पाया कि स्थिति खराब हो गई है तो हम इसे और आगे बढ़ा देंगे.

अदालत ने सुनवाई के दौरान सरकार के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी से पूछा कि क्या महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में लॉकडाउन संबंधी पाबंदियां जारी रखने से जुड़ा कोई फैसला किया है.

कुंभकोणि ने इसके जवाब में कहा कि अभी तक कोई निर्णय नहीं किया गया है.

कुंभकोणि ने कहा, सरकार ने अभी कोई फैसला नहीं किया है, लेकिन सभी रिपोर्ट से स्थिति बेहतर लग रही है. विशेषज्ञों ने गणेश विसर्जन के आखिरी दिन से 10 दिन तक स्थिति का आकलन करने को कहा है, जिससे की कोविड-19 की स्थिति का पता चलेगा.

पढ़ें : 31 अक्टूबर तक अंतरिम आदेश बढ़ाने के आदेश पर स्पष्टीकरण की मांग हुई वापस

'एडवोकेट्स एसोसिएशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया' का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील उदय वरुंजिकर ने अनुरोध किया कि स्थगन आदेश दो सप्ताह के बजाय तीन सप्ताह के लिए जारी रखा जाए, क्योंकि कई वकीलों ने हाल ही में टीका लगावाया है. हालांकि अदालत ने उनके इस अनुरोध को खारिज कर दिया.

(पीटीआई-भाषा)

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