ETV Bharat / bharat

नागरिक रक्षा केंद्र स्थापित नहीं करने पर HC ने महाराष्ट्र सरकार से मांगा जवाब - civil defence centres not set up in ratnagiri

अदालत ने कहा कि रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग में पिछले कुछ वक्त में कई प्राकृतिक आपदाएं आई हैं और अगर वक्त रहते ये केन्द्र स्थापित हो जाते और इनमें कामकाज शुरू हो जाता तो नागरिकों को वक्त पर और बेहतर बचाव सेवाएं मुहैया कराई जा सकती थीं.

नागरिक रक्षा केंद्र
नागरिक रक्षा केंद्र
author img

By

Published : Aug 31, 2021, 3:17 PM IST

मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से मंगलवार को जवाब दाखिल करके यह बताने का निर्देश दिया कि प्राकृतिक आपदा के लिहाज से संवेदनशील रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिलों में अब तक नागरिक रक्षा केन्द्र स्थापित क्यों नहीं किए गए हैं.

अदालत ने कहा कि रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग में पिछले कुछ वक्त में कई प्राकृतिक आपदाएं आई हैं और अगर वक्त रहते ये केन्द्र स्थापित हो जाते और इनमें कामकाज शुरू हो जाता तो नागरिकों को वक्त पर और बेहतर बचाव सेवाएं मुहैया कराई जा सकती थीं.

बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने महाराष्ट्र के गृह विभाग के सचिव को 10 दिन में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

पीठ राज्य के राजस्व विभाग के पूर्व अधिकारी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. जनहित याचिका के अनुसार, राज्य प्राधिकारों ने 2011 में सिंधुदुर्ग और रत्नागिरि सहित छह जिलों को 'कई खतरों वाला क्षेत्र' घोषित किया था और मुंबई, ठाणे और रायगढ़ सहित छह तटीय जिलों में नागरिक सुरक्षा केंद्र स्थापित करने के निर्देश दिए थे.

इन केन्द्रों का मकसद शत्रु हमले अथवा चक्रवात, भूकंप, बाढ़, आग, विस्फोट आदि प्राकृतिक आपदा के वक्त लोगों की और संपत्तियों की रक्षा करना और उन्हें सहायता प्रदान करना है.

याचिकाकर्ता के वकील राकेश भाटकर ने अदालत को बताया कि इस प्रकार के केन्द्र मुंबई, रायगढ़, पालघर और ठाणे में स्थापित किए जा चुके हैं, जबकि रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग में इन्हें अभी खोला जाना है.

यह भी पढ़ें- यौन उत्पीड़न की मंशा के बगैर बच्ची का गाल छूना अपराध नहीं है : उच्च न्यायालय

इस पर पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि इस कानून का उद्देश्य ही क्या रह गया जब कुछ ज्यादा संवेदनशील जिलों में ये केन्द्र अभी भी स्थापित किए जाने हैं. हम राज्य के गृह विभाग के सचिव से जानना चाहते हैं कि अभी तक रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग में अभी तक ये केन्द्र क्यों नहीं खोले गए और इन्हें स्थापित करने के बारे में सरकार का क्या प्रस्ताव है.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से मंगलवार को जवाब दाखिल करके यह बताने का निर्देश दिया कि प्राकृतिक आपदा के लिहाज से संवेदनशील रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिलों में अब तक नागरिक रक्षा केन्द्र स्थापित क्यों नहीं किए गए हैं.

अदालत ने कहा कि रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग में पिछले कुछ वक्त में कई प्राकृतिक आपदाएं आई हैं और अगर वक्त रहते ये केन्द्र स्थापित हो जाते और इनमें कामकाज शुरू हो जाता तो नागरिकों को वक्त पर और बेहतर बचाव सेवाएं मुहैया कराई जा सकती थीं.

बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने महाराष्ट्र के गृह विभाग के सचिव को 10 दिन में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

पीठ राज्य के राजस्व विभाग के पूर्व अधिकारी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. जनहित याचिका के अनुसार, राज्य प्राधिकारों ने 2011 में सिंधुदुर्ग और रत्नागिरि सहित छह जिलों को 'कई खतरों वाला क्षेत्र' घोषित किया था और मुंबई, ठाणे और रायगढ़ सहित छह तटीय जिलों में नागरिक सुरक्षा केंद्र स्थापित करने के निर्देश दिए थे.

इन केन्द्रों का मकसद शत्रु हमले अथवा चक्रवात, भूकंप, बाढ़, आग, विस्फोट आदि प्राकृतिक आपदा के वक्त लोगों की और संपत्तियों की रक्षा करना और उन्हें सहायता प्रदान करना है.

याचिकाकर्ता के वकील राकेश भाटकर ने अदालत को बताया कि इस प्रकार के केन्द्र मुंबई, रायगढ़, पालघर और ठाणे में स्थापित किए जा चुके हैं, जबकि रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग में इन्हें अभी खोला जाना है.

यह भी पढ़ें- यौन उत्पीड़न की मंशा के बगैर बच्ची का गाल छूना अपराध नहीं है : उच्च न्यायालय

इस पर पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि इस कानून का उद्देश्य ही क्या रह गया जब कुछ ज्यादा संवेदनशील जिलों में ये केन्द्र अभी भी स्थापित किए जाने हैं. हम राज्य के गृह विभाग के सचिव से जानना चाहते हैं कि अभी तक रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग में अभी तक ये केन्द्र क्यों नहीं खोले गए और इन्हें स्थापित करने के बारे में सरकार का क्या प्रस्ताव है.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.